Friday, April 26, 2024

तुर्की और सीरिया के भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए आगे आया सिख समुदाय

तुर्की और सीरिया में आए भयावह भूकंप से दोनों देश ही नहीं कांपे हैं बल्कि समूची दुनिया में हलचल तेज हुई है। दोनों देशों के भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए कतिपय सिख संस्थाएं आगे आईं हैं। सर्वोच्च पंथक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्राकृतिक आपदाओं में राहत के लिए अलहदा पहचान रखने वाली प्रमुख संस्था ‘खालसा एड इंटरनेशनल’ के साथ-साथ कई अन्य संस्थाएं और सिख समुदाय से वाबस्ता लोग राहत एवं सहयोग के लिए आगे आ रहे हैं।

श्री अकाल तख्त साहिब के मुख्य जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने भी दुनिया भर के सिखों से अपील की है कि वे तुर्की और सीरिया के भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए हर संभव मदद करें तथा कोशिश करें कि बचाव कार्यों में भी वहां जाकर सक्रिय सहयोग दिया जा सके। श्री हरिमंदिर साहिब में तुर्की और सीरिया के भीषण भूकंप में मारे गए और जख्मी होकर बच गए लोगों की जल्द सेहतमंदी और हालात सामान्य होने के लिए बकायदा अरदास की गई। शेष गुरुद्वारों में भी ऐसा किया जा रहा है।

श्री अकाल तख्त साहिब के मुख्य जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह

हासिल जानकारी के मुताबिक भारत और पंजाब ही नहीं बल्कि ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, इटली, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में बसे सिखों ने भी ‘अरदास’ के साथ-साथ मदद के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए हैं।

सर्वोच्च सिख संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने एसजीपीसी की ओर से तुर्की और सीरिया में भूकंप की वजह से हुए जान-माल के नुकसान पर गहरा दुख व्यक्त किया है और कहा है कि विपदा की इस घड़ी में एसजीपीसी पीड़ितों के साथ खड़ी है और उन्हें हर संभव सहायता मुहैया कराई जाएगी।

अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने भारत में तुर्की के राजदूत, तुर्की में भारत के राजदूत, सीरिया में भारतीय दूतावास के प्रभारी और भारत में सीरिया के राजदूत को अलग-अलग पत्र लिखकर संवेदना प्रकट की है।

हरजिंदर सिंह धामी बातचीत में कहते हैं, “सिख धर्म में ‘वंड छकना’ (यानी मिल-बांटकर खाना) और ‘सरबत दा भला’ (सबकी भलाई) को बुनियादी तरजीह दी गई है। सिक्खी के इन मूल सिद्धांतों का पालन करते हुए पहली कतार की सिख संस्था शिरोमणि अकाली दल; विपदा के वक्त दुनिया के हर कोने में सहयोग के लिए पहुंचने को तत्पर रहती है। मानवता की सेवा से बढ़कर कुछ नहीं है”।

लंगर के तैयार होता खाना

उन्होंने कहा कि “संकट की इस घड़ी में एसजीपीसी और इससे जुड़ी तमाम संस्थाएं तथा सिख समुदाय तुर्की और सीरिया के भूकंप पीड़ितों के साथ हैं। हम वहां जरूरतमंदों के लिए राशन, कपड़े और अन्य जरूरी सामान बतौर फौरी सहायता पहुंचाएंगे। इस बाबत हमने भारत सरकार और तुर्की व सीरिया के प्रमुख सरकारी तथा अधिकृत प्रतिनिधियों को विधिवत सूचित कर दिया है।”

श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के अनुसार, “सिख पूरी दुनिया में बसे हुए हैं और उनके गुरुओं का हुक्म है कि किसी भी आपदा के वक्त बढ़-चढ़कर पीड़ितों की सेवा की जाए।

तमाम सिखों से अपील की गई है कि वे किसी भी तरह राहत सामग्री लेकर तुर्की और सीरिया के भूकंप पीड़ितों के बीच जाएं। सहयोग के वक्त धर्म, जात-पात और वर्ग नहीं देखा जाता, यह हमारे गुरुओं का मूल सिद्धांत है। दुनियाभर के सिख समुदाय के लोगों को गुरुद्वारों में अरदास के लिए भी कहा गया है।”

एसीपीसी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी कहते हैं कि “जरूरत पड़ने पर राहत के लिए हम अपना पूरा खजाना खोल देंगे। यह संगत के दिए दान का सही इस्तेमाल होगा। कोरोना काल के वक्त भी एसजीपीसी ने जरूरतमंदों के बीच ‘लंगर’ बांटने के लिए देशभर में खुलकर अपने बजट का इस्तेमाल किया था।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी

अरबों रुपए के सालाना बजट वाली यह संस्था वक्त आने पर राहत कार्यों के लिए भी जानी जाती है और अग्रणी भूमिका निभाती है। यह इस सर्वोच्च सिख संस्था का एक जनपक्षीय सकारात्मक पहलू है”।

मूल रूप से यूके से संचालित ‘खालसा एड इंटरनेशनल’ भी तुर्की और सीरिया के भूकंप पीड़ितों के बीच राहत कार्यों में जुट गया है। व्यापक सिख समुदाय ‘खालसा एड इंटरनेशनल’ से जुड़ा हुआ है। यह संस्था भी ‘सरबत दा भला’ सिद्धांत पर खड़ी है और इसके पास भी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी जितनी धनराशि संरक्षित है।

‘खालसा एड इंटरनेशनल’ के सक्रिय कार्यकर्ता समरजीत सिंह के मुताबिक, “हम पूरी राहत सामग्री के साथ जल्द से जल्द तुर्की और सीरिया के भूकंप पीड़ितों के बीच जाने को तत्पर हैं। सारी तैयारियां कर ली गईं हैं। हमारी सेवा भावना किसी भी तरह से सिख समुदाय तक ही सीमित नहीं है। आपदा अथवा संकट के वक्त मजहब के आधार पर काम करना सिक्खी के उसूलों के खिलाफ है।”

फोन-वार्ता पर वह कहते हैं कि “खालसा एड द्वारा गठित पहली टीम जरूरी राहत सामग्री लेकर तुर्की और सीरिया में पहुंच गई है। वहां ताजा खाने और कपड़ों के साथ-साथ चिकित्सा सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगीं। यूरोप के दक्ष डॉक्टर खालसा एड इंटरनेशनल के सदस्य हैं। उनसे कहा गया है कि वे अपनी तमाम व्यस्तताएं स्थगित करके तुर्की और सीरिया का रुख करें”।

खालसा एड का राहत अभियान

सहयोग के लिए ‘खालसा एड इंटरनेशनल’ ने अपने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं। 1999 में स्थापित खालसा एड को अब एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्था माना जाता है, जो किसी भी देश में विपदा के वक्त उल्लेखनीय राहत कार्य जमीनी स्तर पर जाकर करती है। इसकी स्थापना रविंद्र सिंह ने की थी, जो 1999 में कोसोवो में शरणार्थियों की दुर्दशा से बेहद आहत हुए थे।

हाल ही में पाकिस्तान में बाढ़ से भयानक तबाही हुई थी। तब भी ‘खालसा एड इंटरनेशनल’ ने वहां की सरकार से दो कदम आगे जाकर लोगों को राहत पहुंचाई थी। इस संस्था का नेटवर्क अब दुनिया के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक फैला हुआ है।

यूरोप और अन्य देशों के संपन्न सिख जबरदस्त दान देकर इसकी आर्थिक बुनियाद को पुख्ता करते हैं और ‘खालसा एड इंटरनेशनल’ का समूचा आर्थिक ढांचा पूरी तरह पारदर्शी है। कोरोना महामारी के वक्त भी ‘खालसा एड इंटरनेशनल’ ने बहुत काम किया था। अब तुर्की और सीरिया में भी वही भूमिका निभाने जा रहे हैं।

भूकंप पीड़ितों के ‘सिख मददगार’ हाथों की एक जिक्रेखास मिसाल पंजाब की औद्योगिक नगरी लुधियाना के एक सिख व्यवसायी हरजिंदर सिंह कुकरेजा हैं। वह तुर्की में भूकंप आपदा के पीड़ितों की दिन-रात सेवा कर रहे हैं।

दरअसल, हरजिंदर सिंह कुकरेजा ‘एमिट इस्तांबुल टूरिज्म फेयर-2023’ में हिस्सा लेने तुर्की जा रहे थे। जब भूकंप की खबर आई तो वह विमान में थे। भूकंप की वजह से एमिट इस्तांबुल फेयर-2023 स्थगित कर दिया गया। भारत से गए बहुत से लोग बीच रास्ते से वापिस आ गए, लेकिन बिजनेसमैन हरजिंदर सिंह कुकरेजा ने वतन लौटने की बजाय भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए वहां जाना मुनासिब समझा।

भूकंप पीड़ितों के बीच हरजिंदर सिंह कुकरेजा

अब वह तुर्की के भूकंप पीड़ितों के बीच अपने तौर पर राहत कार्यों में हाथ बंटा रहे हैं। लुधियाना, जालंधर और अमृतसर के अपने व्यवसायी दोस्तों से उन्होंने अपील की है कि वे भी वहां से ज्यादा से ज्यादा राहत सामग्री भूकंप पीड़ितों के लिए इकट्ठा करके भिजवाएं। 

‘खालसा एड इंटरनेशनल’ की भारत शाखा ने भी तुर्की और सीरिया में राहत कार्य के लिए मोर्चा संभाल लिया है और इसकी तस्वीरें उसने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की हैं। गुरु का लंगर दोनों देशों में अटूट चल रहा है। 

गौरतलब है कि डेढ़ साल पहले किसान आंदोलन पर फतेह हासिल करने वाली पंजाब के किसान जत्थेबंदियों ने भी भूकंप पीड़ितों की हर संभव सहायता के लिए सामग्री जुटानी शुरू कर दी है। पंजाब के लोग अपनी दानवीरता तथा मानव सेवा के लिए अलहदा पहचान रखते हैं। सो तुर्की और सीरिया के भूकंप पीड़ितों के लिए खुलकर मदद दी जा रही है।

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक की रिपोर्ट)

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