ट्रम्प का स्वागत करने वाली समिति की क्रोनोलॉजी समझिए

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डोनाल्ड ट्रंप नागरिक अभिनंदन समिति की नींव गुजरात मॉडल के टाइम में वाइब्रेंट गुजरात के नाम पर तत्कालीन सीएम गुजरात के दिशा निर्देशों के तहत शुरू हुई थी।

वाइब्रेंट गुजरात के तहत एक कच्छ शरदोत्सव 2005 आयोजित हुआ था। 16 से 18 अक्टूबर 2005 में, तत्कालीन जिला कलेक्टर प्रदीप शर्मा जो बाद में साहेब की सहेली मानसी सोनी के चक्कर मे निपटा दिए गए थे, खैर वो किस्सा फिर कभी मानसी सोनी वाला, यहीं दी गयी तस्वीरों में एक पत्र है प्रिंसिपल सेक्रेटरी आर एम पटेल का जो उन्होंने प्रदीप शर्मा जिला कलेक्टर कच्छ को लिखा था और वहां निर्देशित किया गया था कि एक बैंक एकाउंट शरद महोत्सव 2005 के नाम पर जिला कलेक्टर खोलेंगे और उसमें प्राप्त राशि को एक निजी संस्थान द्वारा संचालित कमेटी को दे दी जानी है, वो कमेटी इस मेला महोत्सव के खर्च का काम देखेगी।

जिला कलेक्टर ने अडानी से 50 लाख रुपये मांगे इस शरद महोत्सव के आयोजन के लिए। अडानी ने 25 लाख रुपये का चेक भिजवा दिया, उक्त दोनों पत्रों की भी तस्वीरें दी गयी हैं।

जिला कलेक्टर ने सुजलॉन एनर्जी को भी खत लिखा और सहयोग मांगा, सुजलॉन ने 5लाख का चंदा दे दिया।

उपजिला कलेक्टर ने इफको से दस लाख का चंदा मांगा। वह भी मिल गया। इस तरह इन पंक्तियों के लेखक के पास कुल जमा 64 करोड़ रुपये का हिसाब है, उतने के पत्र जिला कलेक्टर ने विभिन्न संस्थाओं व निजी कंपनियों को लिखे और कमोबेश उतनी राशि इनको प्राप्त भी हुई। शरद महोत्सव 2005 नामक बैंक एकाउंट में जो पीएनबी में खोला गया था।

अब सवाल यह है कि यह 64 करोड़ रुपया जिला प्रशसन ने अपनी सरकारी धौंस दिखाते हुए चंदा वसूली की, और यह पैसा एक निजी मेला ऑर्गनाइजिंग कमेटी को दे दिया गया उक्त मेले का आयोजन करने हेतु।

जब जिला प्रशासन इस 64 करोड़ की उगाही कर सकता था तो वो इवेंट मैनेजमेंट का काम भी खुद कर लेता। उसको क्या जरूरत थी यह पैसा एक निजी संस्था को देने की, लेकिन ऊपर से नीचे तक सब मजबूर थे क्योंकि यह निजी संस्था मेला कमेटी के मुख्य कर्ताधर्ता साहब की दोस्त मानसी सोनी थी।

यदि इस 64 करोड़ के हिसाब पर जाऊं तो इसमें से साहब ने करीब 12000 रुपये की दूध रबड़ी खाई थी। और उनकी सहेली की शॉपिंग पर करीब 68000 खर्च हुए थे। 

आज यह सब इसलिए याद आ गया कि डोनाल्ड ट्रंप आने वाले हैं और इस आयोजन इवेंट का खर्चा एक डोनाल्ड ट्रंप नागरिक अभिनंदन कमेटी उठा रही है, ऐसा बताया गया है और इस कमेटी के बैनर तले यह पूरा इवेंट है ऐसा विदेश मंत्रालय ने कहा है, तो बरबस हंसी छूट पड़ी।

कुछ ऐसा ही हुआ होगा, गुजरात सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने कुछ इसी तरह के पत्र विभिन्न निजी कंपनियों को लिखे गए होंगे और पैसा उगाही हुई होगी और इस पैसे को फिर इस निजी कमेटी को दे दिया जाएगा।

अर्थात सरकारी डंडे के दम पर कॉरपोरेट से चंदा उगाही कर के मनमाना इवेंट आयोजित करवाना और इस इवेंट से अपनी ब्रांडिंग छवि चमकाना यही है मोदी जी का गुजरात मॉडल।

जबकि कायदे से एक जिला कलेक्टर को एक बैंक एकाउंट तक खोलने की परमिशन कैबिनेट की बैठक में हुई मंजूरी के बाद मिलती है, यदि एकाउंट खुल भी गया तो उस पैसे को किसी निजी संस्था को देने का हक भी नहीं है। पूरा मामला ग़ैरविधिक व अनैतिक है।

ट्रम्प आ रहे हैं इस आयोजन के खर्च का प्रावधान न तो केंद्र सरकार के बजट में होगा और न किसी राज्य सरकार के बजट में, ऐसे में इस तरह से चंदा उगाही सरकारी डंडे व ताकत के दम पर करवाना और बदले में इन कॉरपोरेट को नमक का कर्ज अदा तो करना ही पड़ेगा।

यही है क्रोनोलॉजी इस पूरे झोलझाल की, इसी तरह से पैसा आता है यहां…यह तरीका पूर्णतः गैरकानूनी है आपराधिक कृत्य है।

(नवनीत चतुर्वेदी वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल दिल्ली में रहते हैं।)

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