मणिपुर हिंसा से पैदा हुआ डर पहले तो मिजोरम में रहने वाले मैतेई समुदाय के लोगों को पलायन के लिए मजबूर कर रहा था। लेकिन अब ये डर असम में रहने वाले मैतेई समुदाय को सताने लगा है और उन्हें अपनी जमीन से उखड़ने के लिए मजबूर कर रहा है।मिजोरम के एक उग्रवादी समूह की ओर से मैतेई समुदाय को मिजोरम छोड़ने की सलाह जारी करने के बाद से मैतेई समुदाय के लोग मिजोरम से पलायन करने लगे हैं।
इस बात से ऑल असम मणिपुरी स्टूडेंट्स यूनियन नाराज है। आम्सू ने सोमवार को एक जवाबी बयान जारी करते हुए दक्षिण असम की बराक घाटी जिले में रहने वाले मिज़ोस को “अपनी सुरक्षा के लिए” असम छोड़ने की सलाह दे डाली है। आम्सू ने कहा है कि “चूंकि मिजोरम में रहने वाले अधिकांश मैतेई लोग असम से हैं, ऐसे में मिजोरम के असंतुलित व्यवहार ने पहले से ही असम के मैतेई समुदाय के बीच में गुस्सा बढ़ा दिया है। इसलिए अपनी सुरक्षा के लिए हम बराक घाटी के मैतेई इलाकों में रहने वाले मिज़ो लोगों को जल्द से जल्द इलाका खाली करने की सलाह देते हैं।“
PAMRA (पीस एकॉर्ड एमएनएफ रिटर्नीज़ एसोसिएशन) द्वारा जारी चेतावनी के बाद पिछले सप्ताह से मैतेई मिजोरम से पलायन कर रहे हैं। हालांकि, PAMRA प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया था कि उन्होंने मैतेई समुदाय के लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर सिर्फ अनुरोध किया था। अब तक मैतेई समुदाय के करीब 1,000 लोग अपनी सुरक्षा के मद्देनजर मिजोरम से असम की बराक घाटी में पलायन कर चुके हैं।
हालांकि, मिजोरम के डीजीपी अनिल शुक्ला ने सोमवार को कहा कि राज्य से मैतेई लोगों का पलायन किसी भय की वजह से नहीं है और न ही इसे किसी बड़े पैमाने पर पलायन के हिस्से के तौर पर देखा जा सकता है। एचसी वनलालरुता की रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर के मिज़ो-बसाहट वाले क्षेत्रों को शामिल कर “ग्रेटर मिज़ोरम” के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए मिज़ोरम के सीएम ज़ोरमथांगा ने कहा कि मणिपुर में मिज़ो लोगों को जोर-जबरदस्ती करने के बजाय संविधान के अनुच्छेद 3 के अनुसार कदम उठाना चाहिए।
उन्होंने कहा “मणिपुर में मिज़ो लोग अब एक अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं, जो पुन: एकीकरण हासिल करने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।” उन्होंने ये भी कहा कि मिजोरम ने मणिपुर के विस्थापित लोगों का खुले दिल से स्वागत किया है और वह उनके साथ अपना खाना-पीना साझा करेगा।
(‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ की खबर पर आधारित।)