Thursday, March 28, 2024

प्रोफेसर रविकांत पर जानलेवा हमला करने वाला छात्र लखनऊ यूनिवर्सिटी से निष्कासित

लखनऊ/इलाहाबाद। ढाई महीने पहले लखनऊ विश्वविद्यालय कैंपस में प्रोफेसर रविकांत पर जान लेवा हमला करने वाले छात्र कार्तिक पांडेय को विश्वविद्यालय प्रशासन ने यूनिवर्सिटी से निष्कासित कर दिया है।

हमालवर कार्तिक पांडेय के निष्कासन पर संतोष जाहिर करते हुए प्रोफेसर रविकांत ने इसे न्याय की शुरूआत करार दिया है। उन्होंने जनचौक को अपनी प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि देर से ही सही विश्वविद्यालय प्रशासन ने उचित कदम उठाया है। उन्होंने आगे कहा कि “माननीय कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय जी से मुझे न्याय की उम्मीद है। उम्मीद है 10 मई की घटना की जाँच कराकर वह मुझे न्याय देंगे और दोषियों पर कार्रवाई होगी।”

18 मई 2022 को लखनऊ विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर स्थित कला संकाय  भवन के सम्मुख हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर रविकांत चंदन पर एमए के छात्र कार्तिक पांडेय ने जानलेवा हमला किया था। कार्तिक पांडेय पुत्र शिव कुमार पांडेय लखनऊ यूनिवर्सिटी में एमए (संस्कृत) प्रथम वर्ष के द्वितीय सेमेस्टर का छात्र था। वह जयपुरवा, गांधीनगर बस्ती का रहने वाला है।

इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 11 जुलाई 2022 को यूनिवर्सिटी प्रशासन को जांच कमेटी गठित करके मामले की जांच करने और उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया था।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद कुलानुशासक जांच मंडल की रिपोर्ट 31 जुलाई को पेश की गयी थी। जिसके बाद कल 1 अगस्त 2022 को लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर व अधिष्ठाता छात्र कल्याण की सहमति तथा कुलपति महोदय की स्वीकृति के बाद आरोपी छात्र कार्तिक पांडेय को लखनऊ यूनिवर्सिटी से निष्कासित करने और भविष्य में लखनऊ विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध किसी भी महाविद्यालय में प्रवेश न देने का फैसला दिया गया।

गौरतलब है कि प्रोफेसर रविकांत के द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर सत्य हिंदी के एक कार्यक्रम में एक टिप्पणी की गई थी। आरएसएस के आनुषांगिक संगठन एबीवीपी के सदस्यों को उनकी टिप्पणी के उस हिस्से पर आपत्ति थी जिसमें उन्होंने पट्टाभि सीतारमैया की एक किताब ‘फेदर्स एंड स्टोन्स’ की एक कहानी का ज़िक्र किया था।

जिसके बाद 10 मई को विश्वविद्यालय परिसर में एबीवीपी के कुछ छात्रों और अन्य बाहरी तत्वों द्वारा जातिगत टिप्पणियों के साथ उन पर जानलेवा हमला करने की कोशिश की गई थी और इसकी तहरीर उन्होंने उसी दिन शाम को हसनगंज थाने में दी थी। लेकिन उनकी तहरीर पर एफआईआर दर्ज़ नहीं हुई। इसके एक सप्ताह बाद 18 मई को उन पर कार्तिक पांडेय ने जानलेवा हमला किया। हमले के बाद प्रोफेसर रविकांत ने हसनगंज के थाना प्रभारी के सामने एफआईआर दर्ज़ कराने के लिए शिक़ायत पत्र जमा किया था। जिसमें उन्होंने बताया था कि 18 मई को दिन में क़रीब 1 बजे वह एक क्लास लेने के लिए प्रॉक्टर ऑफिस के सामने से जा रहे थे और इस दौरान उनके साथ सुरक्षा गार्ड भी थे। तभी अचानक कार्तिक पांडे नामक छात्र ने जातिगत गालियां देते हुए उन पर जानलेवा हमला कर दिया।

उन्होंने 18 मई को थाने में दी गयी अपनी तहरीर में 10 मई की घटना का उल्लेख करते हुये कहा था कि 10 मई और 18 मई को हुई घटनाओं का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए तत्काल कार्तिक पांडे एवं पिछली तहरीर में जिन हमलावरों का नाम लिखा गया था, उन पर एफआईआर दर्ज करके तुरंत कानूनी कार्रवाई करें जिससे उनके और उनके परिवार की जान माल की रक्षा हो सके।

प्रोफेसर रविकांत ने 18 मई को खुद पर हमला करने वाले छात्र कार्तिक पांडेय पर हुई कार्रवाई का स्वागत करते हुये 10 मई को उन पर हमला करने वाले एबीवीपी के छात्रों पर कार्रवाई की अपील कुलपति से की है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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