बंगाल हिंसा में सीबीआई को 21 महिलाओं से रेप के सबूत नहीं मिले

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बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा,बलात्कार की खबरें खूब आई थीं और भाजपा तथा गोदी मीडिया ने इस तरह उछाला था जैसे पूरा बंगाल बलात्कारी हो । मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने हिंसा का आरोप सत्तारूढ़ टीएमसी पर लगाया था। बाद में कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। अब सीबीआई को 21 मामलों में यौन उत्पीड़न और रेप के कोई सबूत नहीं मिले हैं। उसने मामले को एसआईटी को लौटा दिया है।इससे जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता की पोल खुल गयी है जिसकी रिपोर्ट ने उस समय खूब सुर्खियाँ बटोरी थीं।
बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान हत्याओं और यौन उत्पीड़न के कई मामले सामने आए थे। इन आरोपों की जांच सीबीआई कर रही है और सीबीआई जांच की निगरानी खुद कोलकाता हाईकोर्ट कर रहा है। जांच के दौरान सीबीआई ने पाया कि जिन रेप के मामलों की लिस्ट राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भेजी थी, उनमें से 21 मामलों में महिलाओं के साथ रेप या रेप के प्रयास के कोई सबूत नहीं मिले हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में बलात्कार और बलात्कार के प्रयास की 64 कथित घटनाओं की सूची है। सीबीआई ने सोमवार को अदालत को अपनी स्थिति रिपोर्ट में कहा कि उन्होंने 39 मामले दर्ज किए हैं और चार अन्य की जांच कर रही है। 21 को सबूतों के अभाव में बंगाल पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) को वापस भेज दिया गया है।
सीबीआई ने कहा कि सबूत न मिलने के कारण ही दो हत्या के मामले भी एसआईटी को वापस भेजे थे। सीबीआई चुनाव बाद हिंसा से संबंधित हत्या या अप्राकृतिक मौत के 52 आरोपों की जांच कर रही है। एजेंसी पहले ही 10 मामलों में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है जबकि 38 और मामले जांच के विभिन्न चरणों में हैं।एनएचआरसी ने 59 हत्याओं की सूचना दी थी, जिनमें से 29 को राज्य सरकार ने स्वीकार किया था। अन्य आपराधिक मामलों की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में एसआईटी गठित की गई थी, इसके साथ 19 अगस्त को सीबीआई जांच शुरू हुई थी।
पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने एनएचआरसी, राज्य सरकार और अन्य सभी आयोगों या समितियों को भी निर्देश दिए कि उनके पास हत्या, रेप या बंगाल चुनाव के बाद हिंसा संबंधी जो भी शिकायतें मिली हैं सभी सीबीआई की सौंपें। एचसी के आदेश को चुनौती देते हुए बंगाल सरकार ने 1 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
आठ चरणों में हुए चुनावों का रिपोर्ट 2 मई को घोषित हुआ। तृणमूल कांग्रेस की शानदार जीत के बाद बलात्कार और हत्या के आरोप सामने आए। एनएचआरसी और राष्ट्रीय महिला आयोग सहित अधिकारों के लिए काम करने वाले कई निकायों ने जांच के लिए अलग-अलग टीमें भेजीं। तृणमूल ने बार-बार आरोपों का विरोध किया है और निकायों पर भाजपा की टीम होने का आरोप लगाया।
सात सदस्यीय एनएचआरसी  समिति ने दावा किया था कि लगभग 5,000 पीड़ितों से जुड़ी लगभग 1,650 शिकायतें मिली हैं। महिलाओं पर अत्याचार से संबंधित 75 शिकायतें अकेले एनसीडब्ल्यू में दर्ज की गईं। राज्य पुलिस ने एनएचआरसी को रेप और कथित रेप की 12 शिकायतों की जानकारी दी थी। मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति केसांग डोमा भूटिया की खंडपीठ 24 जनवरी को मामले की फिर से सुनवाई करेगी।

इसके पहले  कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनाव नतीजों के बाद रेप और हत्या जैसे गंभीर मामलों की जांच राज्य सरकार को सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया था ।.इसके अलावा चुनावी हिंसा के दूसरे मामलों की जांच के हाई कोर्ट की निगरानी में गठित एक स्पेशल जांच टीम को सौंपा था ।
.कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए थे और कहा था कि चुनाव बाद हत्या और बलात्कार के सभी केस की जांच सीबीआई को दी जाए,चुनावी हिंसा से जुड़े दूसरे केस की जांच अदालत की निगरानी में गठित एक स्पेशल जांच टीम करेगी । अदालत ने इस कमेटी का गठन कर दिया था । ये कमेटी पुलिस अधिकारी सुमन बाला साहू (डीजी रैंक अधिकारी) और दो अन्य अधिकारियों के नेतृत्व में काम करेगी। ये कमेटी 6 हफ्तों की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट अदालत में सौंपेगी । कोर्ट के निर्देश के बिना किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।पीड़ितों को सीधे उनके बैंक खाते में मुआवजा दिया जाएगा ।जांच पारदर्शी तरीके से होगा और राज्य सरकार की सभी एजेंसियां जांच एजेंसियों की मदद करेगी ।वैसा कोई भी केस जो चुनाव बाद हिंसा से नहीं जुड़ा है उसे जांच के लिए संबंधित अधिकारी को सौंपा जाएगा ।
दरअसल बंगाल में पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में टीएमसी पूर्ण बहुमत के साथ एक बार फिर सत्ता में लौटीं। ममता बनर्जी एक बार फिर बंगाल की सत्ता पर काबिज हुई। बंगाल की सियासत में हिंसा के इतिहास को देखते हुए सभी को शक था कि, विधानसभा चुनावों के बाद बंगाल में हिंसा हो सकती है और चुनावों के बाद हुआ भी ऐसा ही भगवा कैंप ने आरोप लगाया कि, उसके कार्यकर्ताओं की हत्या की गई, और महिलाओं के साथ दुष्कर्म भी किया गया।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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