किसान आंदोलन का चौंतीसवां दिन: उत्साह बरकरार

शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन मंगलवार को चौंतीसवें दिन में प्रवेश कर गया। हरियाणा-पंजाब की सीमा (पंजाब की ओर से ज़िला बठिंडा/हरियाणा की ओर से सिरसा) में भी पक्का किसान मोर्चा लगा हुआ है। तीनों जगह ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर किसानों का आना जारी है। बड़ी तादाद में किसान और मज़दूर महिलाएं भी आंदोलन में शिरकत कर रही हैं।

किसान संगठनों के प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार आंदोलन स्थल पर 8 मार्च को ‘महिला दिवस’ मनाया जाएगा। बुधवार को किसानों का राष्ट्रव्यापी दिल्ली कूच कार्यक्रम है। पंजाब और हरियाणा के किसान इस में शामिल नहीं होंगे। बॉर्डरों पर चल रहे मोर्चों के जरिए यहीं से केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जाएगा। इसके तहत संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और भारतीय किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी की ओर से आंदोलन में समर्थन दे रही सभी जत्थेबंदियों से अपील की गई है कि बॉर्डर पर किसानों की गिनती बढ़ाई जाए। इसके लिए जत्थेबंदियों के नुमाइंदे अपने स्तर पर गांव-गांव जाकर किसानों को बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ बॉर्डरों पर पहुंचने के लिए प्रेरित करें।

भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी के अध्यक्ष रणजीत सिंह सवाजपुर कहते हैं, “इस आह्वान के तहत मंगलवार को उनकी जत्थेबंदी काफी गिनती में किसानों के ट्रैक्टर-ट्रॉलियां लेकर शंभू बॉर्डर पर जा रही है। शंभू व खनौरी की तरह अन्य बॉर्डर पर भी पक्के किसान मोर्चे लगाए जाने हैं। ऐसे में आने वाले वक्त में और बॉर्डेरों को घेरने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की ज़रूरत पड़ेगी। इसलिए इनकी गिनती बढ़ाई जा रही है।”

दूसरी जत्थेबंदियां भी राशन और अन्य जरूरी सामान के साथ बॉर्डरों पर जा रही हैं। शंभू मोर्चे में शामिल एक किसान गगनदीप सिंह ने फोन पर बताया कि बॉर्डर पर हरियाणा की तरफ से कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। यहां तक कि नदी के पास भी सुरक्षा बल तैनात हैं, ताकि किसान किसी भी सूरत में बॉर्डर पार न कर सकें।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान-मज़दूर संघर्ष कमेटी पर आधारित फ़ोरम के वरिष्ठ नेता सरवण सिंह पंधेर ने फिर दोहराया है कि जब तक तमाम मांगें नहीं मान ली जातीं; किसान संगठन अपना मोर्चा नहीं छोड़ेंगे। जब तक किसानों के दिल्ली कूच के लिए रास्ता नहीं खोला जाएगा, तब तक बॉर्डरों पर संघर्ष जारी रहेगा। पंजाब और हरियाणा के किसानों को छोड़कर शेष देश के किसान 6 मार्च को दिल्ली पहुंचेंगे। इस बीच शंभू और खनौरी बॉर्डरों पर शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन ज़ारी रहेगा।

पंधेर ने कहा कि हरियाणा सरकार ने किसानों को भयभीत करने के लिए बैरिकेडिंग की हुई है। वहां पुलिस और अर्धसैनिक बल तैनात हैं। 6 मार्च के बाद 14 मार्च को दिल्ली में किसान संगठनों की ओर से महापंचायत बुलाई गई है। इस ‘किसान महापंचायत’ में एमएसपी (फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी कानून, बिजली अधिनियम में संशोधन, ओल्ड ऐज पेंशन, लेबर कोड वापस लेने और अन्य मांगों को लेकर चर्चा होगी।

विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ शंभू व खनौरी बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों ने अस्थाई घर बनाने शुरू कर दिए हैं। सोमवार को बॉर्डर पर जिला संगरूर के किसानों ने करीबन 1400 स्क्वायर फीट एरिया कवर करके बांसों से दो घर तैयार किए हैं। ऐसे 10 घर तैयार किए जाने हैं। इंटरनेट का विकल्प तलाशते हुए कुछ किसानों ने अंबाला दिल्ली नेशनल हाईवे के ओवर ब्रिज पर डिश लगाकर उसकी तार नीचे सड़क पर खड़ी ट्रॉलियों से जोड़कर टीवी चला लिए हैं। किसान फुटपाथ के किनारे प्याज और दूसरी फसलें उग रहे हैं। यह सब जाहिर करता है कि किसान लंबे संघर्ष के मूड में हैं और उनका आंदोलन लंबा चलेगा। किसान संगठनों के नेता भी लगातार इसका संकेत दे रहे हैं।

(पंजाब से अमरीक की रिपोर्ट)

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