नई दिल्ली। सरदार सरोवर परियोजना (एसएसपी) के बांध संचालकों द्वारा की गई एक छोटी गलती ने गुजरात के कुछ हिस्सों को बाढ़ ला दिया है। एक छोटी सी गलती इसलिए क्योंकि यदि बांध को सही समय पर खोला गया होता तो ये लोगों के लिए उपयोगी साबित होता। लेकिन संचालकों द्वारा बांध को विलंब से खोलने के कारण गुजरात के निचले इलाके पूरी तरह पानी में डूब गए हैं। भरूच में गोल्डन ब्रिज पर जल स्तर उच्चतम बाढ़ स्तर (एचएफएल) के करीब पहुंच गया है। हालांकि बांध प्रबंधकों ने समय रहते हुए, जानकारी के आधार पर बांध को खोला होता तो ऊपरी और निचले क्षेत्र दोनों इससे कम प्रभावित होते।
एक रिपोर्ट की माने तो बांध प्रबंधकों ने इस बीच में पानी छोड़ने का कार्यक्रम इसलिए बंद कर रखा था क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन को लेकर बांध पर आयोजित एक कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री शिरकत करने वाले थे।
14 से लेकर 15 सिंतबर के बीच, लगातार 24 घंटे तक राज्य के अलग-अलग जगहों पर हुई बारिश के कारण एसएसपी बांध पर जल स्तर बढ़ गया। गुजरात के पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के खरगोन, मंडला, नरसिंहपुर, सिवनी, बालाघाट, हरदा, जबलपुर और खंडवा जैसे जिलों में लगातार बारिश हुई। भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा देश में बारिश की स्थिति को लेकर जारी किए गए रिपोर्ट पर, एसएसपी बांध संचालक और केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने अगर बारिश की स्थिति पर गौर किया होता तो उन्हें समझ में आ जाता कि बांध को 14 सितंबर को ही खोल देना चाहिए ताकि जल स्तर के बढ़ने से ज्यादा फर्क नहीं पड़े।
सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के अनुसार 15 सितंबर शाम तक नर्मदा पर बने इंदिरा सागर बांध और ओंकारेश्वर दोनों बांधों पर जल स्तर…पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) के करीब था। और बार्गी बांध का जल का स्तर एफआरएल को पार कर गया था। बांध नियमों के अनुसार इस तरह के जल का स्तर एफआरएल को पार करना रूल कर्व सिद्धांत का उल्लंघन है। और ये एक संकेत भी था कि एसएसपी बांध को खोल दिया जाए।
हालांकि चौंकाने वाली बात ये है कि 16 सितंबर सुबह 10 बजे तक भी एसएसपी बांध को नहीं खोला गया था। जबकि 15 सितंबर के शाम तक जल स्तर एफआरएल के करीब था। पानी को छोड़ने का काम पावर हाउस (आरबीपीएच) और कैनाल हेड पावर हाउस (सीएचपीएच) के द्वारा की गई थी। जब इन स्थानों पर जल का स्तर क्रमश: 1600 क्यूमेक्स और 11500 क्यूमेक्स तक पहुंच गया था।
लगभग 48 से 72 घंटे लेट होने के बाद, सीडब्ल्यूसी और एसएसएनएनएल (सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड) ने कार्रवाई योग्य पर्याप्त जानकारी के बाद यह निर्णय लिया कि निचले स्तर के नदी में पानी छोड़ने का समय आ गया है। अधिकारियों को 17 सितंबर को सुबह 5 बजे तक 52706 क्यूमेक्स (18.76 लाख क्यूसेक) तक पानी छोड़ना होगा और उसके बाद कई घंटों तक उसी उच्च स्तर पर बनाए रखना होगा।
बांध से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा कहीं ज्यादा थी और ये प्रवाह निश्चित रूप से बांध के नीचे की ओर नर्मदा नदी की वहन क्षमता से कहीं अधिक था। जिससे हजारों लोग और परिवार प्रभावित होने वाले थे और हुए भी। इसी तरह, इससे बांध के अपस्ट्रीम में बड़े पैमाने पर बैकवाटर का प्रभाव पड़ता है।
ऐसा कहा जा रहा है कि अगर बांध से पहले पानी छोड़ा जाता तो संचालकों द्वारा की गई गलती से जो आपदा पैदा हुई है उसे टाला जा सकता था। और इस वक्त भी बांध संचालकों के पास जल स्तर बढ़ने और बांध को खोलने की पर्याप्त जानकारी उपलब्ध थी।
एसएसपी के अलावा भी 16 सितंबर तक, सीडब्ल्यूसी बाढ़ पूर्वानुमान निगरानी पर नर्मदा घाटी में लगभग एक दर्जन साइटें थीं। जहां जल स्तर पहले से ही पिछले उच्चतम बाढ़ स्तर (एचएफएल) को पार कर चुका था। ये भी एक मौका था जब एसएसपी संचालक बांध का गेट खोल सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
हालांकि गुजरात में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। 2017 से लगभग हर साल प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर उन्हें शुभकामाएं देने के लिए बांध पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। और हर बार निचले इलाकों में एकतरफा पानी छोड़कर एक बाढ़ आपदा जैसी स्थिति को पैदा की जाती है।
(राहुल कुमार की रिपोर्ट।)
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