Thursday, March 28, 2024

बंग्लोर एयरपोर्ट पर ‘कामरा कांड’: तीन लड़कियों ने दिखाए कर्नाटक के एक संघी ट्रोल को दिन में 13 तारे

हमारी पीढ़ी तो क्या ख़ाक बदलेगी। लेकिन लगता है नई पीढ़ी में इस बीच काफी बदलाव आया है। हाल के वर्षों में जब लगा कि फासीवाद के डैने पूरे भारतीय आसमान को अपनी आगोश में ले लेंगे, तो ऐसे में हमने हैदराबाद, ऊना और सहारनपुर से जो नई आवाजें सुनी, उसके साथ ही मेट्रो में भी मध्यवर्गीय छात्र-छात्राओं और बौद्धिक वर्ग में एक अलग तरह की रिबेल छवि उभरी है।

कुणाल कामरा ने जो हरकत कुछ दिन पहले रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी से की, और बदले में जो सजा नागरिक मंत्री हरदीप पुरी ने दी और अपने मंत्रालय के रौब से निजी विमान कंपनियों के जरिये दिलवाई, वह दो मिनट विमान में कामरा के गोस्वामी की ही मिमिक्री से हजार गुना भारी है।

सभ्य समाज इस कदम से थू-थू कर रहा है। इतना ही नहीं क्रू पायलट ने तो इस मामले में अपने ही मैनेजमेंट से सवाल पूछा है और उसकी डिटेल्स भी शेयर की है, कि किस प्रकार कुणाल ने उनकी बात मानी और एक अच्छे नागरिक की तरह उनके निर्देशों का पालन किया।

खैर, हरदीप पुरी जी को बिना कुछ किये मंत्रालय मिला है। और मोदी सरकार में एक दो मंत्री को छोड़ किसी की हैसियत ही नहीं कि अपनी अन्तरात्मा से कोई फैसला ले सके। वे तो बस सरदार को खुश करने के मौके ही ढूंढते हैं। सरदार की नमक अदायगी करते रहे, तो शायद बच जाएं। खैर मामला कुछ दूसरा है जो मैं आपसे शेयर करने जा रहा हूं।

हुआ यूं कि कोई महेश विक्रम हेगड़े साहब हैं कर्नाटक में। इन्हें एयरपोर्ट पर तीन लड़कियों ने बैठे देखा तो घेर लिया, और कैमरे पर लेते हुए पूछा कि वन्दे मातरम् सुना के दिखाओ।

ये साहब वे हैं जो हेट स्पीच के लिए साउथ में प्रसिद्ध हैं। ट्विटर पर खूब फैन फालोइंग है। और नरेंद्र मोदी जी इन्हें फॉलो करते हैं। ऐसा इनके ओपनिंग हैंडल में लिखा है।

लड़कियां बार-बार विक्रम को कह रही हैं, विक्रम वन्दे मातरम् सुना के दिखाओ। तुम्हारे लिए यह बेस्ट मौका है। करीब डेढ़ मिनट के इस मोमेंट में वे लगातार पूछ रहे हैं कि फेसबुक पर तो तुम हमें लगातार प्रताड़ित करते रहते हो।

आज हम देखते हैं कि वन्दे मातरम् तुम्हे आता है या नहीं। देखो देश के लिए गा दो प्लीज। हम एंटीनेशनल हैं न। हम तेरे साथ गायेंगे। एक लड़की कहती है, ये तो अर्नब गोस्वामी की तरह शान्त बैठा है। वे लगभग चिढ़ाते हुए पूछती हैं, यही समय रहा होगा जब गोडसे ने गांधी को गोली मारी थी। और इस सबके बीच बैठा, मुस्कराता, लजाता हेगड़े एक शब्द नहीं बोलता।

शायद उसे शर्म आ रही होगी यह याद करके कि वह यही सब तो खुद और अपने भक्तों से बीच रास्ते में एक खास किस्म के लोगों के कपड़ों, टोपी और दाढ़ी को देखकर पूछता रहता है। महिलाओं ने बेहद शालीनता से लेकिन काफी परेशान करने वाले सवाल पूछे हैं।

ठीक उसी तरह से जवाब देने की कोशिश की है, जैसा अत्याचार वीभत्स रूप में पिछले 6 सालों से सड़कों पर, टीवी की डिबेट में हम देखने के अभ्यस्त हो चुके हैं।

एक सभ्य समाज के लिए यह बेहतर विकल्प न हो। लेकिन एक विद्रोही लेकिन जागरूक पीढ़ी के रॉबिनहुड बनने की लगता है शुरुआत हो चुकी है। लड़कियां कविता रेड्डी, अमुल्या और नजमा नजीर हैं, शायद अपने 20-25 साल की उम्र में।

2019 के अंत और 2020 की शुरुआत ने वास्तव में भारतीय महिला शक्ति के एक नए युग की शुरुआत कर दी है। जहां आंखों में आंखें डालकर गुंडे मवाली को चार रपाटे मारने ही नहीं, बल्कि जुबान खींच लेने की ताकत प्रतिरोध ने जन्म लिया है।

ट्रोल की खैर नहीं, शाबास महिला शक्ति।

(लेखक रविंद्र सिंह पटवाल स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। आप आजकल दिल्ली में रहते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles