ग्वालियर में जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर सामूहिक इस्तीफा दिया है। भोपाल जूनियर डॉक्टर ने आंदोलन जारी रखने का एलान किया है। जूडा ने मेडिकल से जुड़े दूसरे संगठनों के समर्थन का दावा भी किया। दूसरे राज्यों के स्वास्थ्य से जुड़े डॉक्टरों का समर्थन है। वहीं जबलपुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल के क़रीब 400 जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफे दे दिये हैं।
भोपाल में भी जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (juda) ने आंदोलन जारी रखने और सामूहिक इस्तीफे का एलान किया है। गौरतलब है कि जूनियर डॉक्टर सरकार से मुख्य तौर पर मानदेय बढ़ाने और कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर उन्हें और उनके परिवार के लिए मुफ्त ईलाज की मांग कर रहे हैं।
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि, “गुरुवार को मध्य प्रदेश में सभी 3000 जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दिया है। ये हमारी मजबूरी है। हम अपने माननीय से अनुरोध करते हैं कि हमारी मांगे मानी जाएं।”
जबलपुर हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टरों को 24 घंटे के अंदर काम पर लौटने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल की निंदा करते हुए असंवैधानिक बताया और तत्काल हड़ताल को वापस लेने के आदेश दिए हैं। जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल पर हाईकोर्ट में पहले से लंबित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ये दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
हाईकोर्ट ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान जब डॉक्टरों की सबसे ज्यादा जरूरत है ऐसे नाजुक हालातों में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को उचित नहीं ठहराया जा सकता। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि 24 घंटे के भीतर अगर जूनियर डॉक्टर अपने काम पर वापस नहीं लौटते हैं तो सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में कहा गया कि जूनियर डॉक्टर की अधिकतम मांगों को सरकार ने मंजूर कर लिया है, उसके बावजूद भी डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं।
इससे पहले गुरुवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैधानिक करार दिया था। हाईकोर्ट ने जूडा को निर्देश दिया था कि वो 24 घंटे के भीतर काम पर शीघ्र लौटे। 24 घंटे के भीतर काम पर नहीं लौटने पर सरकार को जूडा पर सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे ।
राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता पुरषेंद्र कौरव ने कहा कि हाईकोर्ट ने जूडा की हड़ताल को अवैधानिक घोषित किया है। उन्हें 24 घंटे में काम पर वापस आने को कहा है। वे काम पर नहीं आते हैं तो सरकार को निर्देशित किया है कि उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। सरकार ने जूडा की अधिकतर मांगें मान ली हैं। कोरोना के कारण स्टडी पीरियड को आगे बढ़ाया जा रहा है। उसकी अलग से फीस भी नहीं ली जाएगी। अन्य मांगों पर भी संवेदनशीलता से विचार होगा।
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