किसान आंदोलन का कल का दिन होगा महिलाओं के नाम

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किसान संघर्ष समन्यव समिति ने 18 जनवरी को महिला किसान दिवस मनाने की रूपरेखा महिला किसानों को बताई। संगठन ने कहा कि देश के 500 किसान संगठनों एवं करोड़ों किसानों के द्वारा गत 54 दिनों से तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द कराने तथा सभी कृषि उत्पादों की लागत से डेढ़ गुना मूल्य पर (सी2+50 प्रतिशत)  के समर्थन मूल्य पर खरीदी की कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन आंदोलन किया जा रहा है।

आंदोलन के दौरान अब तक 125 किसान शहीद हो चुके हैं, लेकिन सरकार ने नौ बार बातचीत होने के बावजूद भी किसानों की मांगों को नहीं माना है। किसान संगठनों ने 18 जनवरी को महिला किसान दिवस, 23 जनवरी को नेताजी सुभाषचंद बोस का जन्मदिवस मनाने और 26 जनवरी को (किसान परेड ट्रैक्टर, मोटर साईकिल या पैदल) परेड निकालने की घोषणा की है।

किसान संघर्ष समिति की प्रदेश उपाध्यक्ष एड. आराधना भार्गव ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है और 75 प्रतिशत खेती का काम महिलाओं द्वारा ही किया जाता है। महिला किसान सबसे पहले तो अपने घर पर जानवरों के लिए चारे-पानी की व्यवस्था कर, जहां जानवर रखा जाता है, उस कोठे की सफाई करती हैं, घर की सफाई, पीने का पानी, बच्चों को स्कूल पहुंचाने, घर के बुजुर्गों की देखभाल करने, भोजन की व्यवस्था की जिम्मेदारी पूरी करने के बाद अपने खेत में काम करने जाती हैं।

खेती का काम पूरा करने के पश्चात्, पशुओं के लिए चारे का गट्ठा सिर पर रख कर लाने के बाद पशु को चारा डालना, दूध निकालने के बाद, शाम को घर की सफाई, बुजुर्गों एवं बच्चों की देखभाल के साथ-साथ भोजन बनाती और खिलाती हैं। इस तरह महिला किसान पुरुष के साथ खेती का काम जितने घंटे करती हैं, उससे ज्यादा घंटे घर के काम में लगाती हैं, लेकिन महिला किसानों के काम का उन्हें कोई भुगतान नहीं किया जाता न ही उन्हें परिवार, समाज और देश महत्वपूर्ण आर्थिक योगदान करने वाली ईकाई के तौर पर मानता है।

उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओं को न तो किसान के तौर पर अलग ईकाई मानती है और न ही राज्य सरकारें आम तौर पर उनके लिए कोई अलग से योजनाएं बनाती हैं। किसानों के लिए जो भी योजनाएं बनाई जाती हैं, वे महिला किसानों तक नही पहुंच पाती हैं। न ही उन योजनाओं का लाभ स्वतंत्र रूप से महिला किसानों को ही मिल पाता है। इस स्थिति को बदलने के जरूरत है। इस कारण से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में किसान संघर्ष समिति द्वारा आयोजित महिला किसान दिवस 18 जनवरी 2021 आयोजित किया जा रहा है।

आराधना भार्गव ने कहा कि यह जानना भी जरूरी है कि किसान विरोधी कानूनों का सर्वाधिक विपरीत असर महिला किसानों पर पड़ेगा। किसान आंदोलन के माध्यम से यदि सभी कृषि उत्पादों की एमएसपी पर खरीदी की कानूनी गारंटी  मिल जाती है, तो किसानों की आय बढ़ने से परिवार को अधिक पौष्टिक भोजन मिल सकेगा, जिसे देश की 60 प्रतिशत से अधिक कुपोषित एवं एनिमिक (खून की कमी) महिलाओं की सेहत सुधरेगी। परिवार स्वस्थ्य एवं समृद्ध होगा, इसलिए जरूरी है कि आप आंदोलन का समर्थन करें।

हमारी मांगें
1.
तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द किया जाए।
2.
सभी कृषि उत्पादों की लागत से डेढ़ गुना मूल्य पर (सी2+50 प्रतिशत) के समर्थन मूल्य पर खरीदी की कानूनी गारंटी दी जाए।
3.
60 वर्ष से अधिक की सभी महिला किसानों को 10,000/- रुपये  प्रतिमाह पेंशन उपलब्ध कराई जाए।
4.
कृषि उपकरणों का निर्माण महिला किसानों की शारीरिक क्षमता के अनुरूप किया जाए तथा उन्हें सभी कृषि उपकरण लागत मूल्य पर उपलब्ध कराए जाएं।
5.
महिला किसानों को बीज, खाद और कीटनाशक आधे दाम पर उपलब्ध कराया जाए, तथा महिला किसानों द्वारा उत्पादित फसल सब्जी, फल और दूध की खरीद समर्थन मूल्य पर उनके घर-खेत से सुनिश्चित की जाए।


6.
जब तक यह व्यवस्था नहीं होती तब तक महिला किसानों को सभी कृषि उत्पाद बाजार तक लाने की निःशुल्क वाहन  सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
7.
भूमिहीन महिला किसानों को कम से कम एक हेक्टेयर शासकीय भूमि कृषि कार्य के लिए आवंटित की जाए।
8.
मनरेगा के कार्यों में कृषि कार्यों को जोड़ा जाए। महिला किसानों द्वारा अपने खेत में अपने परिवार की भूमि पर या किसी भी किसान के खेत में मजदूरी करने पर पूरा भुगतान मनरेगा की दर पर सरकार द्वारा किया जाए।
9.
सभी महिला किसानों को 5-5 गाय-भैंस अथवा 10 बकरी निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए।
10.
ग्राम स्तर पर महिला किसानों की सहकारी समितियां बनाकर शासन द्वारा हर समिति के लिए पांच लाख रुपये की राशि उपलब्ध कराई जाए, जिससे वे कृषि उत्पादों का प्रॉसेसिंग कर बाजार में बिक्री कर सकें।


11.   महिला किसानों को दीर्घकालीन ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जाए।
12.
जिन परिवारों में किसानों ने आत्महत्याएं की हैं, उन परिवारों की महिलाओं को 50 लाख रुपये की राशि उपलब्ध कराई जाए, क्योंकि किसान द्वारा की गई आत्महत्या संस्थागत हत्या है, जिसके लिए राष्ट्र-राज्य (सरकारें) दोषी हैं।

किसान संघर्ष समिति की प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि उक्त मांगों के लेकर किसान संघर्ष समिति द्वारा 18 जनवरी को 12 बजे जिला कलेक्टरेट में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेगी। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि अधिक से अधिक संख्या में महिला किसान दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों में शामिल हो।

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