G-20 में दुनिया के महत्वपूर्ण 20 देश शामिल हैं। रोटेशन के आधार इसकी अध्यक्षता हर वर्ष बदलती रहती है। 2023 में इसकी अध्यक्षता भारत कर रहा है। जो देश अध्यक्षता करता है, वही उसकी मेजबानी भी करता है। 2023 में इसकी मेजबानी भारत को मिली है। 2022 में इसकी अध्यक्षता इंडोनेशिया ने किया था। G-20 का अगले साल का मेजबान देश ब्राजील होगा। इस बैठक में 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष भाग लेते हैं। जहां महत्वपूर्ण ग्लोबल विषयों पर विचार विमर्श होता है। G-20 की बैठक में कई मुद्दों पर (मुख्य रुप से ग्लोबल इकोनॉमी, वित्तीय स्थिरता,पर्यावरण और एक दूसरे के सहयोग से स्थिर विकास ) गहन रुप से चर्चा कर उस पर काम करने पर जोर दिया जाता है। इसी क्रम में इन देशों के कई मंत्रियों की बैठकें भी मेजबान देशों में ही आयोजित की जाती हैं। जैसे बिजनेस-20, सिविल-20, यूथ-20, महिला-20, वित्त-20,लेबर-20 आदि। इसी प्रक्रिया में इन देशों से आए लेबर-20 (L-20) के प्रतिनिधि बिहार में बैठक कर रहे हैं।
पटना में हो रही जी-20 के ट्रेड यूनियनों की बैठक लेबर-20 (L-20) का लगभग 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (सीटीयू) ने बहिष्कार किया। G-20 के ट्रेड यूनियनों की यह दो दिवसीय बैठक 22 जून से शुरू हुई, जो आज 23 जून तक चलेगी। बहिष्कार करने वाली यूनियनों का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ समर्थित ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) को L-20 का अध्यक्ष केंद्र सरकार को नहीं बनाना चाहिए था। क्योंकि इससे पहले तो हमेशा से ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संघ (आईटीयूसी) ही एल-20 की अध्यक्षता करती रही है और भारतीय मजदूर संघ इसका हिस्सा कभी नहीं रहा है।
आईटीयूसी के इस मांग को केंद्र सरकार ने अस्वीकार कर दिया है कि भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (आईएनटीयूसी) को L-20 का अध्यक्ष बनाया जाय। केंद्र का कहना है कि बीएमएस देश का सबसे बड़ा ट्रेड यूनियन है। इस फैसले से नाराज होकर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने इस बैठक का बहिष्कार किया।
इधर बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने गुरुवार को L-20 के एंगेजमेंट ग्रुप के विषयगत कार्यक्रम का उद्घाटन किया। जहां बीएमएस अध्यक्ष हिरण्मय पंड्या बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। पंड्या ने कहा कि L-20 न केवल L-20 देशों की आवाज का प्रतिनिधित्व करेगा बल्कि यह निश्चित रूप से उन देशों की आवाज का भी प्रतिनिधित्व करेगा जिनके प्रतिनिधि आज यहां उपस्थित नहीं हैं।
बैठक का मुख्य विषय “सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा कोष की अंतर्राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी और महिलाएं और कार्य का भविष्य” हैं। पंड्या ने कहा कि ट्रेड यूनियनों ने स्वयं इन मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ”बिजनेस-20, सिविल-20, यूथ-20, महिला-20 आदि के प्रतिनिधियों के साथ भी व्यापक चर्चा की गई।”
बैठक में केंद्रीय श्रम सचिव आरती आहूजा भी शामिल हो रही हैं। केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री रामेश्वर तेली और बिहार सरकार के श्रम मंत्री सुरेंद्र राम शुक्रवार को शिखर सम्मेलन को संबोधित करेंगे L-20 के बहिष्कार के सीटीयू के फैसले के बारे में पूछे जाने पर श्रम मंत्री यादव ने कहा कि उनका मंत्रालय हमेशा त्रिपक्षीय परामर्श को प्रोत्साहित करता रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के कई ट्रेड यूनियन सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। पंड्या ने बताया कि सम्मेलन में 28 देशों के 173 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
सीटीयू ने केंद्रीय श्रम मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि केंद्र ने पिछले छह महीनों में L-20 पर उनके पत्रों का जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि सीटीयू ने बीएमएस को L-20 चेयरमैनशिप दिए जाने के संबंध में अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। “चूंकि यह एकतरफा और बिना किसी परामर्श के किया गया था, इसलिए हम किसी भी L-20 समारोह में भाग नहीं लेंगे। हमने सर्वसम्मति से यह भी सुझाव दिया था कि भारत की ओर से L-20 की अध्यक्षता ऐसे व्यक्ति को करनी चाहिए, जिसे इसकी बहुलता के बावजूद संपूर्ण ट्रेड यूनियन आंदोलन/संगठनों के बहुमत का विश्वास प्राप्त हो। लेकिन सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
(जनचौक की रिपोर्ट।)