Saturday, April 27, 2024

हिट एंड रन कानून के खिलाफ यूपी रोडवेज बसों का चक्का जाम, चालक बोले- नमक रोटी खा लेंगे, बस लेकर नहीं जाएंगे

वाराणसी। हिट एंड रन कानून के विरोध में उतरे ट्रांसपोर्टरों के विरोध प्रदर्शन से जूझती सरकार के लिए यूपी रोडवेज बस चालकों ने भी मुसीबतें बढ़ा दी हैं। इस कानून के विरोध में उतरे ट्रांसपोर्टरों के आंदोलन को मजबूती भरा समर्थन देते हुए परिवहन निगम के चालकों ने भी सोमवार को रोडवेज बसों को सड़क पर न उतारकर डिपो में ही खड़ा रखा, जिससे यात्रियों को भारी परेशानियों के साथ इधर-उधर भटकते हुए देखा गया। सुबह से रोडवेज बसों के पहिये हिले तक नहीं। इससे निगम के अधिकारियों को परेशान देखा गया।

नववर्ष के पहले ही दिन मिला हड़ताल का तोहफा

उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में चालकों के लिए नया नियम आने के बाद नववर्ष के पहले दिन सभी चालक हड़ताल पर चले गए। सारी बसें डिपो के अंदर खड़ी रहीं, जिससे अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए यात्री परेशान देखे गए। चालकों के लिए नया नियम आने के बाद दुश्वारियों को झेलने को मजबूर यात्रियों ने कहा कि “सोमवार सुबह 4 बजे से ही रोडवेज बसों के चलने का इंतजार किया जा रहा है, लेकिन डिपो चालकों के चक्का जाम किए जाने की वजह से हम सभी लोग परेशान हैं।”

लखनऊ, मिर्ज़ापुर, सोनभद्र, भदोही, सुल्तानपुर से लखनऊ, अयोध्या से प्रयागराज, वाराणसी जाने वाले मार्गों के लिए सुल्तानपुर डिपो की बसों का संचालन पूरी तरह ठप्प रहा। यही हाल अन्य जनपदों के रोडवेज बसों का रहा है। यात्री अपना सामान लेकर इधर से उधर टहलते हुए नजर आए।

रोडवेज बस चालक अरविंद कुमार दुबे ने कहा कि “सरकार दस साल की सजा और पांच लाख रुपये जुर्माने का नियम ले आई है। कौन ड्राइवर इसे दे पाएगा? हम नून रोटी खा लेंगे, लेकिन बस नहीं चलाएंगे।”

चालक महिपाल यादव ने बताया कि “कौन ड्राइवर है जो दस लाख रुपये रखा है, जो एक्सीडेंट होने पर दे देगा? दो पैसे से किसी तरह हम लोग अपनी जीविका चला रहे हैं, इतना पैसा हमारे पास नहीं कि एक्सीडेंट होने पर हम अपनी जेब से भर देंगे। वह इंश्योरेंस कंपनी देखे जैसे पहले चल रहा था। अन्यथा बस खड़ी करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता है।”

महिपाल के समर्थन में बोलते हुए अन्य चालाक भी इस कानून को गलत करार देते हुए बोलते हैं कि “कोई भी चालक यह नहीं चाहता है कि उसके वाहन से कोई दुर्घटना और जन हानि हो। यदि दुर्घटना हो भी जाती है तो घायल को बचाने और उपचार के लिए अस्पताल ले जाने के दौरान अक्सर उन्मादी भीड़ कानून हाथ में ले लेती है। ऐसे में चालक के साथ अनहोनी भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में सारे कानून को सिर्फ चालक पर ही थोपना कहां तक मुनासिब कहा जा सकता है?”

सोमवार को नये साल का पहला दिन और पहले ही दिन ट्रांसपोर्टरों के साथ-साथ रोडवेज बसों के पहियों के थम जाने से विभिन्न मार्गों पर वाहनों के इंतजार में हलकान यात्रियों को देखकर इस कानून को बदले जाने की मांग उठ रही है। इस मसले पर एआरएम सुल्तानपुर से जब फोन पर बात करने का प्रयास किया गया तो फोन पर घंटी जाने के बावजूद उनका मोबाइल फोन रिसीव नहीं हुआ।

वहीं रोडवेज बसों के चक्के थमने से ड्यूटी पर जाने वाले लोग काफी परेशान रहे। उनका कहना था कि सरकार को कोई भी कानून बनाने से पहले विधि विशेषज्ञों के साथ-साथ संबंधित लोगों से भी रायशुमारी कर लेनी चाहिए। जल्दबाजी में बनाए गए कानून से कई हजार चालकों के परिवार के मुंह से रोटी का निवाला छिन जाएगा। जिनके परिवार का जीविकोपार्जन का साधन ट्रकों और बसों के पहिये चलने पर निर्भर हैं।”

जौनपुर के ट्रक चालक मोहम्मद कयूम खां “जनचौक” को बताते हैं कि “देश में विभिन्न मार्गो, सड़कों पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के और भी कई तरीके हो सकते हैं। सिर्फ इस प्रकार का कानून बना देने मात्र से ही दुर्घटनाएं रुकने वाली नहीं हैं। इसके लिए आवश्यकता इस बात की है कि पारदर्शी व्यवस्था के साथ कानून लागू किया जाए। जिसके दायरे में वह उन्मादी भीड़ भी आए जो अक्सर दुर्घटना स्थलों पर सहयोग के बजाय अशांति का माहौल पैदा करने का कार्य करती है।”

ट्रकों की हड़ताल के समर्थन में ऑटो, टैक्सी और कमर्शियल ट्रैवल्स भी

हिट एंड रन कानून के विरोध में उतरे ट्रांसपोर्टरों के विरोध प्रदर्शन के बढ़ने के आसार नज़र आने लगे हैं। परिवहन निगम की रोडवेज बसों का जगह-जगह चक्का जाम होने से यात्रियों की मुसीबतें बढ़ गई हैं। वहीं प्रदेश भर में ट्रांसपोर्ट व्यवस्था भी लड़खड़ा गई है। यात्रियों को परेशान हालत में इधर उधर भटकते हुए देखा गया, तो रोडवेज डिपो के अधिकारी, चालकों और परिचालकों को मनाने में जुटे रहे।

रोडवेज बसों का चक्का जाम होने से सरकार को काफी चपत लगने की आशंका है, वहीं ट्रकों के साथ ऑटो टैक्सी, कमर्शियल ट्रैवल्स वाले भी इस कानून का पुरजोर विरोध प्रदर्शन करते हुए रोडवेज बस चालकों को समर्थन कर रहे हैं। ऑटो, टेंपो के साथ ट्रेवल्स की गाड़ियों का भी संचालन कई जनपदों में बंद है। यात्रियों के सामने सफर करने के लिए सिर्फ ट्रेन और हवाई जहाज का सहारा बचा है। साल के पहले दिन ट्रेनों में भारी भीड़ देखी गई।

प्राइवेट वाहन वसूल रहे मनमाना किराया

हिट एंड रन कानून के विरोध में उतरे ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल के साथ रोडवेज बसों के न चलने से प्राइवेट वाहनों की मनमानी भी खुलकर देखी गई है। विभिन्न क्षेत्रों और मार्गों पर अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए परेशान लोगों से प्राइवेट वाहन मनमाना किराया वसूली करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

नए कानून के विरोध में चालकों का प्रदर्शन, किया सड़क जाम

केंद्र सरकार के नए कानून के विरोध में बहराइच जिले में रोडवेज बस के चालकों ने कानून के विरोध में नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। चालकों ने बस परिसर में ही खड़ी कर विरोध जताया है। इससे यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उधर नानपारा बहराइच मार्ग पर ट्रक चालकों ने वाहन बीच सड़क में खड़ा कर प्रदर्शन शुरू कर दिया।

चालकों का कहना है कि “केंद्र सरकार के सड़क मंत्रालय की ओर से जो नया कानून बनाया गया है वह कहीं से भी उचित नहीं कहा जा सकता है। इस कानून में वाहन चलाने पर किसी की मौत हुई तो चालक को सात लाख रुपये जुर्माना और 10 साल की सजा का प्रावधान है।” चालक संघ के अध्यक्ष तारिक बबलू का कहना है कि “जब तक यह कानून वापस नहीं लिया जाएगा, तब तक बसों का संचालन नहीं करेंगे।” शादाब, राकेश और सलमान ने कहा कि “इतना रुपया जुर्माना कहां से देंगे। अगर इतना पैसा होता तो हम चालक की नौकरी क्यों करते?” 

विरोध का जनजीवन पर असर

राजधानी लखनऊ से सटे जिले रायबरेली में भी इस कानून के विरोध का असर दिखा। सुबह से चालकों ने बसों को रोडवेड बस डिपो में खड़ा कर प्रदर्शन किया। बस चालकों को सिटी मजिस्ट्रेट व एआरएम ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन चालक नहीं माने। हड़ताल से यात्रियों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ा। अधिकतर लोगों को डग्गामार वाहनों से सफर करना पड़ा।

रायबरेली, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, होते हुए विरोध की चिंगारी अयोध्या में भी देखने को मिली। क्षेत्र में सोमवार को टैक्सी, निजी बस और ई-रिक्शा वालों ने संचालन ठप्प कर प्रदर्शन किया। निजी ऑपरेटरों का कहना है कि यह बदलाव उनकी रोजी-रोटी को प्रभावित करेगा।

तारुन बाजार में ड्राइवरों ने चक्का जाम करते हुए सरकार विरोधी नारे लगाए। बैटरी ई रिक्शा, मैजिक व अन्य गाड़ियों के ड्राइवरों ने सड़क पर एकत्रित होकर केंद्र सरकार के कानून का पुरजोर विरोध किया। निजी ऑपरेटरों का कहना है कि हम लोग जानबूझकर दुर्घटना नहीं करते। लाए गए कानून में 10 वर्ष की सजा या 5 लाख का जुर्माना हम लोग कहां से अदा कर पाएंगे। सभी खुद गरीबी रेखा में जी कर किसी तरह परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं।

(उत्तर प्रदेश से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट)

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