यूपी में महिलाओं के खिलाफ न सिर्फ अपराधों की बाढ़ है, बल्कि पुलिस का रवैया भी अपराध को छिपाने और अपराधियों की हिम्मत बढ़ाने वाला है। हाथरस में पुलिस के निकम्मेपन की घटना पूरे देश ने देखी-सुनी है। इसी यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में गर्भवती महिला की हत्या के मामले में भी पुलिस लीपापोती करने में लगी हुई है। यहां भी सवर्ण दबंगों ने पिछड़ी जाति की महिला को पानी भरने के मामूली से मामले में मार डाला। साफ तौर से कत्ल के मामले को पुलिस गैरइरादन हत्या का मामला बनाने पर तुली हुई है।
थाना पसगवां के बरनैया गांव की घटना है। यहां का ग्राम रोजगार सेवक सुशील मिश्रा दबंग प्रवृत्ति का है। कुम्हारर जाति के मनोज के घर के पास सरकारी नल लगा हुआ है। मनोज के परिवार को सरकारी नल से पानी भरने को लेकर सुशील आए दिन रोकता था। पीड़ित पक्ष के मुताबिक सुशील का कहना है कि नल से पानी इस शर्त पर भरने को मिलेगा कि मनोज का परिवार उसके घर में आकर बेगारी करे।
मनोज ने बताया कि 27 सितंबर को वह नल पर नहाने गए थे। वहां उन्हें सुशील और उसके भाई ने रोक दिया। उन्होंने धमकाते हुए कहा कि यह नल तुम्हारे बाप की जमीन पर नहीं लगा है, तुम यहां नहीं नहा सकते। इसके बाद मनोज वहां से बाल्टी लेकर चले आए। मनोज ने बताया कि पांच अक्तूबर को शाम तीन बजे पानी के ही विवाद में सुशील, उसके भाई सुनील, अनिल और उसकी पत्नी अर्चना ने उनके घर पर हमला बोल लिया। चारों मनोज को पीटने लगे। मनोज को बचाने पहुंची उसकी गर्भवती पत्नी शालू के सर पर दबगों ने लाठी से वार कर दिया। इसकी वजह से शालू की मौके पर ही मौत हो गई। मनोज और उसकी मां को भी गंभीर चोटें आई हैं। घटना के बाद आरोपी परिवार फरार हो गया।

मनोज का कहना है कि हमलावरों के पास धारदार हथियार भी थे, इसी वजह से गहरे जख्म आए हैं। जानबूझकर और पूरी तैयारी से किए गए इस हमले और हत्या को पुलिस गैरइरादन हत्या बता रही है। उसने 302 की जगह दफा 304 में मुकदमा दर्ज किया है। यही नहीं शालू के गर्भवती होने के मामले को भी पुलिस ने नजरअंदाज कर दिया। सपा नेता क्रांति कुमार सिंह का कहना है कि पुलिस ने घटना के बाद घायल मनोज से सतही तहरीर लेकर हलकी धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया। आज सपा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवार और पुलिस से मिला। इस के बाद 316 धारा मुकदमे में जोड़ी गई है। यह भ्रूण हत्या से संबंधित धारा है। सपा नता सोमवार को एसपी से मिलकर हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज करने की मांग करेंगे।
मनोज की 2009 में शादी हुई थी और 11 साल के लंबे इंतजार के बाद उनके घर बच्चे की किलकारी गूंजने वाली थी। मनोज ने बताया कि शालू पांच महीने की गर्भवती थी। मनोज, पत्नी शालू की हत्या के बाद काफी निराश हैं। उनके पास कोई काम नहीं है और वह खेती से किसी तरीके से गुजारा करते हैं। अब परिवार में बूढ़ी मां और दिमागी तौर से कमजोर भाई के अलावा कोई नहीं है। मनोज ने कहा कि उनकी दुनिया एक छोटी सी बात के लिए उजाड़ दी गई। अब उन्हें इंसाफ भी नहीं मिल रहा है। मनोज का पूरा परिवार डरा हुआ है और तीन दिन से घर से नहीं निकला है। इस मामले में पुलिस ने सुनील और अनिल को गिरफ्तार कर लिया है। मुख्य आरोपी सुशील और अनिल की पत्नी अर्चना फरार हैं।
बता दें कि बरनैया गांव ब्राह्मण जाति की अकसरियत वाला है। यहां दलित और पिछड़ी जाति के लोग अल्प हैं। यही वजह कि उन्हें अभी भी पानी जैसी छोटी चीज को लेकर भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है। इस घटना के बाद से गांव के दलितों और पिछड़ों में दहशत है। कोई भी खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं है। पुलिस के रवैये ने इस खौफ को और बढ़ा दिया है।