ग्राउंड रिपोर्ट: बनारस में कोविशील्ड पर बखेड़ा, कांग्रेस-बीजेपी में छिड़ी सियासी जंग के बीच जिम में कसरत करते युवक की कार्डियक अरेस्ट से मौत  

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वाराणसी। कोरोना की वैक्सीन कोविशील्ड को लेकर बनारस में मचे बवाल के बीच उत्तर प्रदेश के बनारस में एक ऐसा वीडियो सामने आया है जिससे पूर्वांचल के लोगों की धड़कन बढ़ गई है। बनारस के पियरी इलाके का 32 वर्षीय दीपक गुप्ता पिछले एक दशक से जिम कर रहा था। युवक ने वार्मअप शुरू ही किया था कि उसके सिर में तेज दर्ज हुआ और नीचे गिरकर तड़पने लगा। कुछ देर में उसकी मौत हो गई। यह घटना 01 मई 2024 की है। इस घटना से एक दिन पहले 30 अप्रैल 2024 को बनारस में कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और बीजेपी सरकार में राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल के बीच जुबानी जंग छिड़ गई थी।

कार्डियक अरेस्ट  में जान गंवाने वाले दीपक के भाई दिलीप गुप्ता कहते हैं, “हमारा भाई अपनी सेहत को लेकर काफी फिक्रमंद रहता था। पिछले दस साल से वह हर रोज जिम जाता था। उसे कोई बीमारी नहीं थी। सालों से उसे कभी बुख़ार भी नहीं आया था। कोरोना के समय उसने कोविशील्ड का टीका लगवाया था।” दीपक के अभी तक यह यकीन नहीं हो पा रहा है कि दीपक अब इस दुनिया में नहीं है। पत्नी और उसके दो बच्चों का रो-रोककर बुरा हाल है। परिवार के  लोग उस दिन को कोस रहे हैं जब दीपक कसरत करने जिम पहुंचा  था।

दीपक गुप्ता की मौत से पहले बनारस के पिपलानी कटरा इलाके के औघड़नाथ तकिया निवासी मनोज विश्वकर्मा अपने भतीजे की शादी में डांस कर रहे थे। अचानक उन्हें हार्ट अटैक आया और वह गिर पड़े, जिससे उकी  मौके पर ही मौत हो गई। यह घटना 30 नंवबर 2022 को हुई थी।

इसी तरह अयोध्या में डांस करते-करते 45 साल के एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इसमें युवक ‘खईके पान बनारस वाला’ गाने पर डांस करता दिख रहा था। उसके साथ में एक बच्चा भी डांस कर रहा है। जबकि पास में खड़े कुछ बच्चे, महिलाएं और युवक हंस रहे हैं। इसी बीच अचानक युवक जमीन पर गिर जाता है। आस-पास खड़े लोग उसकी तरफ दौड़ते हैं। उसके चेहरे पर पानी की छींटे मारते हैं। इसके बाद आनन फानन में उसे अस्पताल लेकर जाते हैं। लेकिन डॉक्टर ने उसे वहां मृत घोषित कर दिया। यह घटना पटरंगा थाना क्षेत्र में हुई थी। उस समय भी आशंका जताई गई थी कि युवक की मौत हार्ट अटैक से हुई थी।

जिम के ट्रेड मिल पर दौड़ रहे कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव की अचानक मौत की घटना को उत्तर भारत के लोग आज भी याद करते हैं। राजू के सीने में तेज दर्द हुआ और वह गिर पड़े। कुछ ही देर बाद उनकी मौत हो गई। डॉक्टरों के मुताबिक, उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ा था। इसी तरह कन्नड़ अभिनेता पुनीत राजकुमार भी जिम में कसरत कर रहे थे और अचानक  कार्डियक अरेस्ट  पड़ा और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई।

कार्डियक अरेस्ट से अचानक हो रही मौत के वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहे हैं। पिछले कुछ सालों में चलते-फिरते, उठते बैठते, नाचते-गाते और जिम में अचानक ही कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक और ब्रेन हेमरेज के मामले देखने को मिल रहे हैं। कोरोना संकट के बाद हो रही इन मौतों ने हर किसी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि इंसान की जिंदगी बहुत छोटी पड़ गई है।

बनारस में छिड़ी नई जंग

बनारस में कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर सियासी जंग छिड़ गई है। यह जंग तब से छिड़ी है जब कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी ने एस्ट्राजेनिका ने ब्रिटेन की कोर्ट में स्वीकार किया कि उनकी दवा के गंभीर साइड इफ़ेक्ट भी हो सकते हैं। इसी कंपनी की वैक्सीन कोविशील्ड भारत में लगाई गई थी। करीब एक सप्ताह पहले यह राज भी खुल गया था कि कोविशील्ड के इस्तेमाल की अनुमति देने के पहले दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनिका ने बीजेपी को 52 करोड़ रुपये का चुनावी चंदा दिया था।

कोविशील्ड के इस्तेमाल को लेकर बनारस में सियासी तूफान आ गया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने 30 अप्रैल 2024 को मीडिया बात करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी पर आरोप जड़ा था कि उन्होंने देश की 140 करोड़ जनता की जिंदगी के साथ सौदा किया है। कांग्रेस ने मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अजय राय को बनारस से टिकट दिया है। अजय कहते हैं, “कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने साफ तौर पर यह स्वीकार किया है कि उसकी वैक्सीन का साइड इफेक्ट है, जिससे हार्टअटैक और ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्या पैदा हो सकती है। जनता की जान का सौदा करना क्या यही मोदी की गारंटी है? बीजेपी सरकार ने कोविशील्ड का इंजेक्शन लगवाने के लिए जनता को मजबूर किया। यही नहीं, इस कंपनी के ब्रांड एंबेस्डर की तरह प्रचार भी किया।” अजय राय ने पूछा कि क्या पीएम मोदी देश में वैक्सीन के साइड इफेक्ट से हो रही मौतों की जिम्मेदारी लेंगे?

मीडिया से रुबरु होते अजय राय

“कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कोविड के दौरान ही इस वैक्सीन का विरोध किया था और उसके जांच की बात उठाई थी। उन दिनों उन्हें बदनाम किया गया। जिस समय लोग महामारी से जूझ रहे थे उस समय मोदी एक तरफ जनता से ताली-थाली बजवा रहे थे तो दूसरी तरफ आदार पूनावाला (सीरम इंस्टीट्यूट) से भारी-भरकम चंदा लेकर करोड़ों हिन्दुस्तानियों की जान का सौदा कर रहे थे। क्या यही है मोदी की गारंटी? बनारस के लोगों ने देखा है कि महामारी के दौर में बनारस में कपड़ों से ज्यादा कफन बिक गए थे। लाशों को गंगा में बहते हुए पाया था। संकट के दौर में भाजपा के नेता और अपने मंत्री घरों में दुबके हुए थे और पीएम मोदी अपने प्रचार का इवेंट शो कर रहे थे। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं अपनी जान का परवाह किए बगैर ही दिन-रात जनता की मदद में जुटे रहे। मोदी के संसदीय क्षेत्र में पूर्वांचल के सबसे बड़े बीएचयू हास्पिटल में कोरोना के मरीजों को बेड तक नसीब नहीं हुआ।”

कोविशील्ड के नाम पर मांगे थे वोट

अजय राय यह भी कहते हैं, “मोदी सरकार ने कोरोना के बाद कई राज्यों में हुए चुनाव में कोविशील्ड के नाम पर वोट मांगा। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक दहाड़ते रहे कि मोदीजी ने कोविशील्ड वैक्सीन लाकर देश की जनता की जान बचाई है। चुनावी बांड से चंदे का राज खुला तो बीजेपी सरकार की कलई भी खुल गई। बीजेपी के नेताओं में हिम्मत है तो कोविशिल्ड को लेकर “Thank You” मोदी जी का बैनर लगवाकर दिखाएं। कोविशील्ड का काला सच उजागर होने के बाद आईसीएमआर भी खामोश है।” प्रेस कांफ्रेंस में बनारस के कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय के साथ जिलाध्यक्ष राजेश्वर पटेल, महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे, प्रदेश प्रवक्ता संजीव सिंह, फसाहत हुसैन बाबू, गुलशन अंसारी, चंचल शर्मा, अनुभव राय समेत कई नेता मौजूद थे।

बीजेपी के राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के बयान के बाद यूपी के राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। जनसंपर्क अभियान में निकले जायसवाल ने 0 मई अजय राय के बयान पर पलटवार करते हुए उन्हें हत्यारा बताया और कहा, “अबकी अमेठी और बनारस से सब भाग जाएंगे। गुंडा-गुंडी की भाजपा में कोई जगह नहीं है। पहले विरोध किया, फिर उसने खुद कोविशील्ड का टीका लगवाया है। कांग्रेस को अपनी हार पता है। वह तो सिर्फ जमानत बचाने के लिए चुनाव लड़ रही है। लोकतंत्र में चुनाव जरूरी है और बनारस के लोग सिर्फ नरेंद्र मोदी को पसंद करते हैं। कांग्रेस और सपा वोटरों को गुमराह कर रही है। कोरोना के दौरान इन दलों के नेता घर से निकलते ही नहीं थे। कोरोना के टीकाकरण का विरोध कर रहे थे। बनारस में कांग्रेस कहीं नहीं ठहर रही है। वह सिर्फ अपनी मौजूदगी दर्शाने के लिए चुनाव लड़ रही है।”

बीजेपी के मंत्री के बयान के बाद कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने लोकसभा प्रत्याशी अजय राय पर की गई अशोभनीय और अमर्यादित टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा, “बीजेपी नेता रविंद्र जायसवाल माफी मांगे अन्यथा कांग्रेस विधिक कार्रवाई करेगी। जब मंत्री रविंद्र जायसवाल कोरोना महामारी में फरियादियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीट रहे थे, उस समय अजय राय रक्तदान कर रहे थे।” इस बीच मोदी के मुकाबले चुनाव लड़ने जा रहे अजय राय ने बनारस में श्री श्री रविशंकर के दो दिवसीय काशी यात्रा को पीएम नरेंद्र मोदी का एजेंडा करार दिया है। वह कहते हैं, “जिस समय बनारस की जनता कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही थी तब श्री श्री रविशंकर काशी में क्यों नहीं दिखे? रविशंकर का बनारस दौरा पीएम नरेंद्र मोदी के एजेंडे का हिस्सा है। वो बीजेपी के मोहरे हैं। मोदी को एहसास हो गया है की अब जनता झूठ को नकारने जा रही है।”

क्या चंदा देने आई थी कंपनी?

बनारस के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कुमार कहते हैं कि कोविशील्ड लगाए जाने के समय से ही उसके परीक्षण के तरीकों पर सवाल खड़े हो रहे थे। यह सवाल कोई और नहीं, चिकित्सा जगत के तमाम विशेषज्ञ उठा रहे थे, जिसे मोदी सरकार लगातार खारिज कर रही थी। कोविड का टीका बनाने वाली कंपनी ने खुद इंगलैंड की अदालत में स्वीकार कर लिया है कि उसकी वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं। ऐसे मामले में सरकार चुप्पी खुद उसे कटघरे में खड़ा करती है। यह बात भी अब साफ हो चुकी है को कोरोना के संकटकाल में लोग जब जिंदगी और मौत से जूझ रहे थे तब बीजेपी ने कोविशील्ड का टीका बनाने वाली कंपनी से चुनावी बांड के जरिये 52 करोड़ की उगाही की। इतना ही नहीं, उस टीके के प्रचार-प्रसार में पीएम मोदी की तस्वीर का खुलेआम इस्तेमाल किया गया। लोग यह सवाल भी पूछने लगे थे कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस दवा कंपनी के ब्रांड एबेस्डर बन गए हैं? “

“पिछले दो-तीन सालों में देश में तमाम मौतें हुई तो कहा जाने लगा कि यह कोविशील्ड टीके का नतीजा है। फिर भी सरकार सफाई पेश करती रही कि ऐसा मुमकिन नहीं है। आए दिन कार्डियक अरेस्ट  से हो रही मौतें सामान्य नहीं, बल्कि गंभीर सवाल खड़ा करती हैं? सरकार यह कहकर नहीं बच सकती कि इन मौतों के लिए वह जिम्मेदार नहीं है। जब संदेह और सवाल बड़े पैमाने पर खड़े हो रहे हों तब सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि समूचे मामले की विशेषज्ञों की टीम से उच्चस्तरीय जांच किया जाए। भारत में बहुत से लोग यह सवाल भी उठा रहे हैं कि कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी यहां टीका बनाने आई थी या फिर सत्तारूढ़ दल को चंदा देने।

वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कहते हैं, “जाहिर है कि कार्डियक अटैक से आए दिन हो रही मौतों से यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि चुनावी चंदे के एवज में उचित परीक्षण के बगैर आम जनता पर टीकाकरण के लिए दवाब बनाया गया। यहां तक कि लोगों के आवश्यक कार्यों के लिए भी टीकाकरण के सर्टिफिकेट को अनिवार्य कर दिया गया। कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी की यह स्वीकारोक्ति ऐसे समय में आई है जब देश में लोकसभा के चुनाव हो रहे हैं। बैठे-ठाले विपक्ष के हाथ में एक बड़ा मुद्दा आ गया है। इस मुद्दे पर विपक्ष सरकार को घेरने कोशिश करने में जुट गया है। फिलहाल इस समूचे मामले का सच सामने आना जनहित में नियाहत जरूरी है। इस मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को आगे आकर जांच की जिम्मेदारी उठानी चाहिए।

सुरक्षित नहीं कोविशील्ड वैक्सीन

काशी  हिन्दू विश्वविद्यालय के हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर ओमशंकर कहते हैं, “कोविड की तरह ही नए दौर का कार्डियक अरेस्ट लोगों की जान ले रहा है। मांसपेशियों की ब्लॉकेज के चलते जब हार्ट ख़ून को पंप करना बंद कर देता है तब कार्डियक अरेस्ट होता है। पहले सीने में दर्द, घबराहट और पसीना आने वाले मरीजों में कार्डियक अरेस्ट के लक्षण उभरने लगते थे। मैं तभी से कोविशील्ड वैक्सीन लगाए जाने का विरोध कर रहा हूं, जब अखबारों में मोदी सरकार की ओर से बड़े-बड़े इश्तिहार छपवाए जा रहे थे। हमने इस वैक्सीन का एक डोज भी नहीं लिया था। मैंने पहले ही बता दिया था कि यह वैक्सीन सुरक्षित नहीं है। इंसान के शरीर पर इसका काफी  बुरा असर पड़ रहा है। भारत में 67.18 फीसदी लोगों ने कोरोना वैक्सीन की कंप्लीट डोज लगवा रखी है। ऐसे लोगों का जीवन खतरे में है।”

बीएचयू के हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो.ओमशंकर

प्रो.ओमशंकर के मुताबिक, “वैक्सीन लेने के बाद उनके खून में थक्का जमने लगा था। ब्रेन से खून का संचार नहीं हो पा रहा था। इस वजह से लोग थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) की जद में आ गए। एस्ट्राजेनेका फार्मा ने भारत के सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में कोविशील्ड नाम से वैक्सीन तैयार की थी। शुरुआती रिसर्च में यह  बात सामने आई है कि वैक्सीन की वजह से दिल की नसों में कहीं न कहीं स्वेलिंग हो रही है, जिससे ब्लड क्लॉटिंग हो रही है। वैक्सीन ले चुके लोगों के दिल में कब क्लॉटिंग शुरू हो जाए, कहा नहीं जा सकता। इस संकट को खत्म करने के लिए सरकार को ठोस इंतजाम करने होंगे। रिसर्च से पता चला है कि ज्यादा मेहनत का काम करने पर हार्ट फेल हो जा रहा। वैक्सीन लेने के बाद से ही हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि वैक्सीन की स्टडी हुई ही नहीं।”

“भारत में किसी वैक्सीन को तभी मंज़ूरी मिलती है, जब तथ्यों के आधार पर ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई) ये फ़ैसला करता है कि वैक्सीन इस्तेमाल के लिए सुरक्षित और असरदार है। इसी तरह दूसरे देशों में भी ऐसे नियामक होते हैं जो वैक्सीन के इस्तेमाल को मंज़ूरी देते हैं। मंज़ूरी के बाद भी वैक्सीन के असर पर नज़र रखी जाती है, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि आगे इसका कोई दुष्प्रभाव या दीर्घकालिक जोखिम नहीं है। फाइज़र-बायोएनटेक की वैक्सीन (और मॉडर्ना) इम्यून रिस्पॉन्स के लिए कुछ आनुवंशिक कोड का इस्तेमाल करती है और इसे mRNA वैक्सीन कहा जाता है। ये मानव कोशिकाओं में बदलाव नहीं करता है, बल्कि शरीर को कोविड के ख़िलाफ़ इम्यूनिटी बनाने का निर्देश देता है। ऑक्सफ़र्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन में एक ऐसे वायरस का उपयोग किया जाता है, जिससे कोई नुक़सान नहीं होता और जो कोविड वायरस की तरह ही दिखता है। वैक्सीन में कई बार एल्युमिनियम जैसे अन्य तत्व होते हैं, जो वैक्सीन को स्थिर या अधिक प्रभावी बनाते हैं।”

खतरे में हैं तमाम जिंदगियां

हृदय रोग विशेषज्ञ ओमशंकर कहते हैं, “कोविशील्ड वैक्सीन ने कोविड-19 का फैलाव रोकने में कितनी कारगर रही, इसका कोई प्रामाणिक साक्ष्य मौजूद नहीं है। जबकि कोविशील्ड के साइड इफेक्ट से होने वाली मौतों ने हर किसी को चिंता में डाल दिया है। जब कोविशील्ड वैक्सीन आई थी तभी मैंने विरोध किया था। सोशल मीडिया और ओपीडी में मरीजों को लगातार सलाह देता रहा कि वो वैक्सीन न लगवाएं। खुद में सुरक्षित रहें और इम्यूनिटी बेहतर रखें। तब बीएचयू के तमाम डॉक्टर्स ने मेरे खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी थी। कोई पागल करार दे रहा था तो कोई हमें नेता बता रहा था। कुछ ने तो हमें देशद्रोही तक बना दिया था।”

“जनता पर इंजेक्शन थोपा जाना संगठित अपराध है, जिसमें चुनावी चंदा लेकर वैक्सीन लगाने की अनुमति देने वाले नेता और दवा कंपनियों के लोग शामिल हैं। सच यह की ज्यादातर 70 फीसदी लोग तो खुद ही चंगे हो गए थे। हार्ट अटैक से होने वाली मौतों का गंभीरता से पोस्टमॉर्टम होना चाहिए और मौत की वजहों का साइंटिफिक साक्ष्य जुटाया जाना चाहिए। जब तक यह मर्ज पकड़ में नहीं आएगा, कार्डियक अरेस्ट  की समस्या बनी रहेगी।”

बनारस के त्रिमूर्ति मल्टी सुपर स्पेशियलिटी संस्थान के प्रबंध निदेशक डॉ. राममूर्ति सिंह कहते हैं कि अस्पताल से बाहर होने वाले कार्डियक अरेस्ट में लोगों के तीन से आठ फ़ीसदी लोग ही जिंदा बच पाते हैं। कोरोनाकाल के दौरान डा.सिंह ने बनारस में हजारों लोगों की जिंदगी बचाई थी। वह कहते हैं, ”कार्डियक अरेस्ट हार्ट की मुख्य वजह होती है मांसपेशियों में ब्लॉकेज। जब हार्ट ख़ून को पंप करना बंद कर देता है तब कार्डियक अरेस्ट होता है। दिल की बीमारी के मामले में 80 से 90 फीसदी लोगों को माइनर अटैक से पहले तक कुछ पता ही नहीं होता है। वो खुद को स्वस्थ मानते हैं। सीने के दर्द या जलन को इग्नोर नहीं करना चाहिए।”

डा.सिंह कहते हैं, “ज्यादातर हार्ट डिजीज साइलेंट होती हैं। इनके बारे में हमें तब पता चलता है, जब बहुत देर हो चुकी होती है। हमारा दिल कितना बूढ़ा है, यह हमारी लाइफ स्टाइल पर निर्भर करता है। अगर खान-पान का ध्यान रखा जाए, भरपूर नींद ली जाए और रोजाना एक्सरसाइज की जाए तो हार्ट हेल्थ के ज्यादातर संभावित खतरों को टाला जा सकता है। लाइफ स्टाइल डिजीज जैसे डायबिटीज, हायपरटेंशन से हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ जाता है।”

(लेखक विजय विनीत बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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