Friday, March 29, 2024

उत्तराखंड के 130 से ज्यादा प्रतिष्ठित लोगों ने नफरत के सौदागरों की गिरफ्तारी की मांग की

(130 से ज्यादा रिटायर्ड सेना अफसर, विपक्षी नेता, आंदोलनकारी, बुद्धिजीवी और अन्य लोगों ने हरिद्वार में धर्म संसद के नाम पर आयोजित किए गए घृणा सम्मेलन की कड़े शब्दों में निंदा की है। और इस तरह की राज्य में फैल रही हिंसक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सूबे के राज्यपाल को पत्र लिखा है। पेश है उनका पूरा पत्र-संपादक)  

सेवा में,

महामहिम राज्यपाल

उत्तराखंड

राज भवन, देहरादून

विषयः प्रदेश में साम्प्रदायिक सद्भाव नष्ट करने तथा हिंसक दंगे भड़काने के दुष्प्रयासों पर रोक लगाने हेतु

महोदय,

हम उत्तराखंड के सभी आंदोलनकारी, बुद्धिजीवी, राजनेता और आम नागरिक आपसे निवेदन करना चाह रहे हैं कि हमारे राज्य के अंदर ऐसे प्रयासों को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे देश की सुरक्षा, आम लोगों की जान और इस राज्य की शताब्दियों पुरानी संस्कृति, सब खतरे में आ रहे हैं।

हम आपके संज्ञान में लाना चाह रहे हैं कि 17 दिसम्बर से 19 दिसम्बर तक हरिद्वार में “धर्म संसद“ के नाम पर जो कार्यक्रम हुआ था, वह इस देश की आन्तरिक सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द के लिए खतरनाक है। यह बात देश के सारे सुरक्षा विशेषज्ञ भी मानते हैं। नौसेना के पूर्व चीफ ऑफ़ नेवल स्टाफ एडमिरल अरुण प्रकाश; सेना के पूर्व चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ जनरल वेद मलिक; उ.प्र. के पूर्व डी.जी.पी. विक्रम सिंह; केरल के पूर्व डी.जी.पी. एन. सी. अस्थाना ने हरिद्वार की घटना की निन्दा करते हुए सवाल उठाया है कि राज्य सरकार ऐसे आपराधिक कार्यों पर कार्रवाही न कर क्या उनको बढ़ावा देना चाह रही है?

 1 जनवरी को खुला खत द्वारा हरियाणा के पूर्व डी.जी.पी. विकास नारायण राय; उत्तर प्रदेश के पूर्व आई.जी. पुलिस एस.आर. दारापुरी; उत्तर प्रदेश के पूर्व डी.जी.पी. विभूति नारायण राय और उत्तर प्रदेश के सेवानिवृत्त आई.पी.एस. अधिकारी विजय शंकर सिंह ने भी आरोप लगाया है कि इस कार्यक्रम के आयोजक तो खुल्लम खुल्ला आतंक फैलाना ही चाह रहे हैं, मगर सरकार द्वारा भी इस घटना की अनदेखी करना भी देशवासियों की जान और देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन रहा है। उत्तराखंड में 2017 के बाद बढ़ती हुई भीड़ की हिंसा और इन घटनाओं को ले कर सरकार का मूर्कदर्शक बनने पर उन्होंने कहा कि लग रहा है कि सरकार यह सन्देश देना चाह रही है कि राज्य में अल्पसंख्यकों और वैसे ही कोई व्यक्ति या समूह, जिसका विचार भाजपा से नहीं मिलता, के लिए राज्य में सुरक्षा नहीं होगी। पत्र में उन्होंने यह भी लिखा है कि यह घटना उत्तराखंड की शांतिपूर्ण परम्परा पर कलंक है।

इससे बड़ा संविधान विरोधी या देश विरोधी काम और कुछ नहीं हो सकता है।  हम आपको यह भी याद दिलाना चाहेंगे कि 2017 और 2018 में प्रदेश के इतिहास में पहली बार सतपुली, मसूरी, आराघर, कीर्तिनगर, हरिद्वार, रायवाला, कोटद्वार, चम्बा, अगस्त्यमुनि, डोईवाला, घनसाली, रामनगर और अन्य जगहों में दंगा फैलाने की कोशिश की गयी। एक सम्प्रदाय विशेष के लोगों पर आरोप लगा कर उनकी पिटाई करने, उनकी दुकानों को तोड़ने और जलाने जैसी घटनाओं को अंजाम दिया गया। एक विपक्षी दल के कार्यालय पर भी इसी प्रकार का हमला किया गया था।  लेकिन हिंसक संगठनों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गयी थी। हाल में 3 अक्टूबर 2021 को ही रुड़की में गिरजाघर पर हमला हुआ था, जिसमें चार लोगों को गंभीर छोट पहुंची। लेकिन आज तक उस घटना के ज़िम्मेदार अपराधियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

जब हरिद्वार के कार्यक्रम को इस पृष्ठभूमि में देखा जाता है तो यह बात स्पष्ट होती है कि हरिद्वार में नरसंहार और हिंसा के पक्ष में जो भाषण दिये गये थे, वे सिर्फ भाषण नहीं थे, वह आपराधिक प्रोत्साहन था।

इस प्रकार की गतिविधियों को अंजाम देना, इससे भय और आतंक का माहौल खड़ा करना, इसको कभी भी स्वीकार नहीं दिया जा सकता है- न इस राज्य में, न देश के किसी भी कोने में। उत्तराखंड हमेशा एक शांतिपूर्ण प्रदेश रहा है। यहाँ की जनता धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करती है। सत्ताधारी दल धार्मिक ध्रुवीकरण कर अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए यह ऐसा घृणित काम करे, यह न सिर्फ अल्पसंख्यकों और हमारे संविधान पर हमला है, बल्कि यह इस राज्य की संस्कृति और इतिहास पर भी हमला है।

आप उत्तराखंड में संविधान के गार्डियन हैं। इसलिए हम आपसे निवेदन करना चाह रहे हैं कि देश के सुरक्षा विषेशज्ञों की सलाह के अनुसार, आप राज्य सरकार को तुरंत निर्देश दें कि :-

– हरिद्वार में जिन लोगों ने हिंसा भड़काने वाला आपराधिक भाषण दिया था, उन को तुरन्त गिरफ्तार कर उन पर गंभीर धाराओं के अंतर्गत कार्रवाही शुरू की जाये।

– भीड़ की हिंसा और नफरत की राजनीति फैलाने वाले अराजक तत्वों पर आपराधिक मुकदमे चलाकर सख्त कार्रवाई की जाए।

– मुख्यमंत्री और सरकार के वरिष्ठ अधिकारी यह घोषित करें कि राज्य में अगर कोई भी व्यक्ति हिंसा फैलाने की कोशिश करेगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी, भले ही उसकी सामाजिक हैसियत और राजनैतिक सम्बन्ध कुछ भी हों।

– उच्चतम न्यायालय के जुलाई 2018 का भीड़ की हिंसा पर दिये गये फैसले के सारे निर्देशों को राज्य में तुरंत अमल में लाया जाये।

निवेदक

पूर्व सरकार और सेना के अफसर

SS पांगती, IAS (retd) और अध्यक्ष, उत्तराखंड लोकतान्त्रिक मोर्चा

Gen. शैलेन्द्र राजा बहुगुणा (retd)

Lt. Gen. गंभीर सिंह नेगी (retd)

Col. यशपाल सिंह नेगी (retd), पौड़ी गढ़वाल

ज्ञानचंद यादव, पूर्व DSP, उत्तराखंड पुलिस

अजय सोनकर, IRS (retd)

आंदोलनकारी और सोशल एक्टिविस्ट

राजीव लोचन साह, अध्यक्ष – उत्तराखंड लोक वाहिनी

कमला पंत और गीता गैरोला – उत्तराखंड महिला मंच

शंकर गोपाल, विनोद बडोनी, सुनीता देवी, अशोक कुमार, प्रभु पंडित, पप्पू, रामु सोनी, संजय, राजेश कुमार — चेतना आंदोलन

PC थपलियाल – उत्तराखंड लोकतान्त्रिक मोर्चा

अशोक शर्मा – सचिव, AITUC उत्तराखंड

लेखराज – राज्य सचिव, CITU

सतीश धौलखंडी – भारत ज्ञान विज्ञानं समिति

इंदु नौडियाल – जनवादी महिला संगठन

आरण्य रंजन – जनजाग्रति संस्थान टिहरी

सद्दाम कुरैशी – मुस्लिम सेवा संगठन

उमा भट्ट और कमलेश कण्ठवाल – भारत ज्ञान विज्ञानं समिति

कविता कृष्णपल्लवी – अन्वेषा

भूपाल – क्रन्तिकारी लोग अधिकारी संगठन

बसंती पाठक – उत्तराखंड महिला मंच, नैनीताल

मल्लिका विर्दी – सरपंच, सरमोली वन पंचायत

उत्तराखंड महिला मंच, मुंसियारी की समस्त सदस्य

बीजू नेगी – हिंद स्वराज मंच

कौशल्या – महिला एकता मंच, रामनगर

डा० अमरजीत कौर करीर – अध्यक्ष, साडा विरसा साडी शान, देहरादून

शीला रजवार – महिला मंच, नैनीताल

प्रीति थपलियाल – महिला मंच

जहूर आलम – युगमंच, नैनीताल

मोहित डिमरी – जन अधिकार मंच रुद्रप्रयाग

अंकित उछोली – पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष, गढ़वाल विश्वविद्यालय

भार्गव चंदोला – सामाजिक कार्यकर्ता

राकेश अग्रवाल – सामाजिक कार्यकर्ता

उषा नौडियाल – सामाजिक कार्यकर्ता, देहरादून

प्रेम बहुखंडी – सामाजिक कार्यकर्ता

सोनिया नौटियाल गैरोला – सामाजिक कार्यकर्ता

सुदर्शन जुयाल – सामाजिक कार्यकर्ता

हिमांशु कुमार – सामाजिक कार्यकर्ता

गजेंद्र वर्मा – सचिव, वातायन संस्था

शैलेंद्र भंडारी – सामाजिक कार्यकर्ता

राजनैतिक दलों की और से

काशी सिंह ऐरी, अध्यक्ष – उत्तराखंड क्रांति दल

सुरेंद्र अग्रवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष – कांग्रेस

डॉ एस एन सचान, राज्य अध्यक्ष – समाजवादी पार्टी

समर भंडारी, राज्य सचिव – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

इंद्रेश मैखुरी, गढ़वाल सचिव – भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मा ले)

सुरेंद्र सजवाण, राज्य सचिव मंडल – भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)

PC तिवाड़ी, अध्यक्ष – उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी

राकेश पंत, राज्य संयोजक – तृणमूल कांग्रेस

बुद्धिजीवी, लेखक, पत्रकार

डा शेखर पाठक – शेखर पाठक, पूर्व प्रोफेसर, कुमाऊँ विश्व विद्यालय, नैनीताल

सुभाष पंत – वरिष्ठ लेखक

डॉ जितेन भारती – वरिष्ठ लेखक

राजेश सकलानी – वरिष्ठ कविडा

राजेश पाल- संवेदना देहरादून

सुधा अरोरा – वरिष्ठ लेखिका, मुंबई

नवीन जोशी – पूर्व संपादक, हिंदुस्तान और वरिष्ठ पत्रकार

फ़िरोज़ खान – वरिष्ठ लेखक एवं कवि, मुंबई

विजय गौड़ – संवेदना, देहरादून

जगमोहन रौतेला – वरिष्ठ पत्रकार, युगवाणी देहरादून

महिपाल सिंह – वरिष्ठ पत्रकार

मनमीत – वरिष्ठ पत्रकार, बारामासा चैनल

सुरेश उनियाल – वरिष्ठ लेखक, दिल्ली

अजय ब्रह्मात्मज – वरिष्ठ पत्रकार, मुंबई

प्रियदर्शन – वरिष्ठ पत्रकार, एन डी टी वी

शंकर सिंह भाटिया – वरिष्ठ पत्रकार, देहरादून

प्रेम पंचोली – वरिष्ठ पत्रकार, देहरादून

सीमा आजाद – दस्तक पत्रिका, इलाहबाद

त्रिलोचन भट्ट – वरिष्ठ पत्रकार

शाहिद अख्तर – वरिष्ठ पत्रकार दिल्ली

नीलकंठ भट्ट – वरिष्ठ पत्रकार

अमृता शीरीन – वरिष्ठ पत्रकार, मुक्ति अखबार

समदर्शी बड़थ्वाल

श्याम सिंह रावत – वरिष्ठ पत्रकार लालकुआं नैनीताल

संजय जोशी – प्रतिरोध का सिनेमा, दिल्ली

वर्षा – वरिष्ठ पत्रकार देहरादून

Adv. रिजवान अली – देहरादून

Adv. चंद्रमोहन बर्थवाल –  कोटद्वार

दिगंबर – सांस्कृतिक समागम

डा उमा भट्ट संपादक उत्तरा महिला पत्रिका

रमन नौटियाल

अवनीश – देहरादून

जगमोहन बलोदी – दिल्ली

दीपा कौशल – देहरादून

सुनील रावत – देहरादून

गजेंद्र – देहरादून

सुमन केशरी – लेखिका एवं कवि दिल्ली

सतीश चाँद – रंगकर्मी

गुरदीप खुराना – संवेदना, देहरादून

राजेश भारती –  पत्रकार सहारा

कुंवर रवींद्र – रायपुर, छत्तीसगढ़

नवल किशोर – छत्तीसगढ़

कैलाश नौरियाल – देहरादून

जीतेंद्र शर्मा – संवेदना देहरादून

डॉ इंदु सिंह – अवकाश प्राप्त प्राचार्य

गजेंद्र बहुगुणा- समानांतर संवाद, देहरादून

नवनीत पाण्डे – वरिष्ठ कवि, पत्रकार

चंद्रा भंडारी – देहरादून

चंद्रकला – हल्द्वानी

नूर ज़हीर – प्रोग्रेसिव वॉइसेस, लंदन

तनुजा बिष्ट – उत्तरकाशी

इंद्रेश नौटियाल – देहरादून

डॉ आशुतोष

श्वेता त्रिपाठी

गजेंद्र रावत – दिल्ली

सुरेंद्र सिंहभंडारी

अखिलेश उनियाल

पृथ्वी लक्ष्मी राज सिंह – रामगढ़ नैनीताल

जगमोहन बलोदी

गोपाल लोधियाल मनाघेर – नैनीताल

महेंद्र सहगल – दिल्ली

हीरा मदन बोरा – चंपावत

विपिन उनियाल – कोटद्वार

गोपा जोशी

इंदिरा राठौर – रायपुर

मधुलिका चौधरी – बहराइच

महेश उपाध्याय

देवेंद्र बिष्ट

सुलेखा – गाजियाबाद

अर्चना नौटियाल – देहरादून

राजेश – शिवपुरी, हरिद्वार

संजीव भगत – भीमताल

कला राय – पटना

रश्मि पैन्यूली – देहरादून

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