वाराणसी जिला जेल अधीक्षक उमेश सिंह हटाए गए, डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया के आरोपों के बाद एक्शन, जांच कमेटी गठित

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वाराणसी जिला जेल में भ्रष्टाचार और उत्पीड़न के गंभीर आरोपों के बाद जेल अधीक्षक उमेश कुमार सिंह को पद से हटा दिया गया है। उनकी जगह सौरभ श्रीवास्तव को नया जेल अधीक्षक नियुक्त किया गया है। यह फैसला महिला डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद लिया गया। मीना कन्नौजिया ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर उमेश सिंह पर मानसिक उत्पीड़न, अभद्रता और जातिगत भेदभाव के गंभीर आरोप लगाए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजी जेल मुख्यालय ने जांच के आदेश दिए और तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई, जिसे एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।

डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया ने अपने शिकायती पत्र और वीडियो संदेश में आरोप लगाया कि अधीक्षक उमेश सिंह उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे। उनके मुताबिक, उमेश सिंह ने उन्हें अपने घर बुलाने की कोशिश की और मना करने पर सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। उन्होंने यह भी दावा किया कि अधीक्षक उनके पहनावे पर अभद्र टिप्पणी करते थे और अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते थे। सबसे गंभीर आरोप यह था कि उन्होंने मीना और उनके परिवार को जान से मारने की धमकी दी थी।

जेल अधीक्षक उमेश सिंह का तबादला आदेश

यह मामला सामने आने के बाद न सिर्फ जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया, बल्कि समाज के विभिन्न तबकों में भी आक्रोश फैल गया। “जनचौक” सहित कई समाचार माध्यमों ने डिप्टी जेलर के साथ हुई बदसलूकी की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित किया।

डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया ने चार महीने पहले भी उच्च अधिकारियों से इस संबंध में शिकायत की थी, लेकिन तब कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने जेल में व्याप्त भ्रष्टाचार, नशीले पदार्थों की बिक्री और बंदियों से अवैध वसूली जैसे गंभीर मुद्दों को उठाया था। इन आरोपों के बाद से उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जाने लगा। वह जेल अफसरों के आगे दुहाई देती रहीं, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई।

मीडिया में मामला उछलने के बाद प्रशासन हरकत में आया और आनन-फानन में उमेश सिंह को हटाने का फैसला किया गया। लेकिन इससे पहले भी उमेश सिंह पर कई बार भ्रष्टाचार और महिला कर्मचारियों के उत्पीड़न के आरोप लग चुके हैं। बावजूद इसके, सत्ता के गलियारों में अपनी मजबूत पकड़ के चलते वह बचते रहे।

तबादले के फैसले पर उठे सवाल

इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाला कदम यह रहा कि आरोपों के बाद जेल अधीक्षक उमेश सिंह पर कोई तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, बल्कि शिकायतकर्ता मीना कन्नौजिया का ही तबादला कर दिया गया। 16 मार्च को उन्हें वाराणसी से प्रयागराज की नैनी जेल भेज दिया गया।

इस फैसले की चौतरफा आलोचना हुई। विपक्षी दलों ने इसे अन्यायपूर्ण बताते हुए सरकार पर महिला अधिकारी के उत्पीड़न को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि महिला सशक्तिकरण की बातें करने वाली सरकार ने शिकायतकर्ता अधिकारी को ही सजा दे दी, जो बेहद निंदनीय है। उन्होंने कहा कि यह घटना न केवल जेल प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करती है, बल्कि सत्ता के दुरुपयोग की ओर भी इशारा करती है।

अजय राय ने सोशल मीडिया पर लिखा, “महिला सशक्तिकरण की झूठी बातें करने वाली डबल इंजन सरकार का असली चेहरा देखिए। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया ने जिला कारागार अधीक्षक उमेश सिंह पर उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए, लेकिन सरकार ने अधीक्षक पर कार्रवाई करने के बजाय शिकायतकर्ता महिला डिप्टी जेलर का ट्रांसफर कर दिया। शर्म करो सरकार! नारी को न्याय दो!”

इस विवाद के बाद आखिरकार जेल प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ी और उमेश सिंह को उनके पद से हटा दिया गया। उनकी जगह सौरभ श्रीवास्तव को वाराणसी जिला जेल का नया अधीक्षक नियुक्त किया गया है। इस बीच, डीजी जेल मुख्यालय के आदेश पर प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल की वरिष्ठ अधीक्षिका अमिता दुबे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है, जो मामले की जांच कर रही है। यह कमेटी एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिससे यह तय होगा कि उमेश सिंह पर लगे आरोपों में कितनी सच्चाई है और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जानी चाहिए।

मीना कन्नौजिया का आरोप है कि उमेश सिंह का जेल प्रशासन में इतना प्रभाव है कि उनके खिलाफ बोलने से अधिकारी भी हिचकते हैं। उनके अनुसार, इससे पहले भी कुछ महिला कर्मियों को प्रताड़ित किया गया था, लेकिन वे डर के कारण आवाज नहीं उठा पाईं। मीना का कहना है कि वह इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर पा रही हैं और इसीलिए उन्होंने मुख्यमंत्री तक अपनी शिकायत पहुंचाई। उनका यह भी कहना है कि जेल में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार आम बात हो चुकी है और इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

जेल अधीक्षक पर गंभीर आरोप

वाराणसी जिला कारागार के जेल अधीक्षक उमेश सिंह पर भ्रष्टाचार और अमर्यादित आचरण के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। हाल ही में उनके अधीनस्थ महिला डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया द्वारा लगाए गए उत्पीड़न के आरोपों ने प्रशासन और सरकार की भूमिका पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

उमेश सिंह के खिलाफ पहले भी कई आरोप लगे हैं, लेकिन हर बार उसे बचाने की कोशिश की गई। भ्रष्टाचार पर “ज़ीरो टॉलरेंस” की बात करने वाली योगी सरकार ने इस मामले में भी सिर्फ दिखावटी कार्रवाई की। जब महिला अधिकारी ने उमेश सिंह पर उत्पीड़न के आरोप लगाए, तो सरकार ने उसे दंडित करने के बजाय सोनभद्र जेल में स्थानांतरित कर दिया। यह आदेश डीजी जेल पीवी रामशास्त्री द्वारा दिया गया, जिन्होंने पहले भी पत्रकार प्रहलाद गुप्ता के मामले में उमेश सिंह को दोषी पाया था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

जब डीजी जेल वाराणसी जिला कारागार का निरीक्षण करने आए थे, तब पत्रकारों द्वारा जेल में व्याप्त भ्रष्टाचार और उमेश सिंह की करतूतों पर सवाल पूछे जाने पर वह असहज हो गए। डीजी जेल खुद वाराणसी जोन के एडीजी रह चुके हैं और पुराने संबंधों के कारण उन्होंने तीखे सवालों से बचने का प्रयास किया।

उमेश सिंह की लंबी काली सूची


उमेश सिंह पर पहले भी कई संगीन आरोप लग चुके हैं, जिनमें-

  • बंदियों और उनके परिजनों से अवैध वसूली
  • जेल में नशे का सामान बिकवाना
  • विचाराधीन बंदियों की संदिग्ध हत्या
  • महिला जेल कर्मियों से अभद्रता और छेड़छाड़
  • जेल अस्पताल में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी

इतना सब होने के बावजूद उमेश सिंह के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उमेश सिंह खुद को भविष्य में भाजपा का उम्मीदवार और आगामी जेल मंत्री बताता है। यह बयान सरकार की कार्यप्रणाली और प्रशासन में बैठे लोगों की मजबूरी या मिलीभगत को उजागर करता है।

उमेश सिंह पर लगे तमाम आरोपों के बावजूद सरकार की चुप्पी उसकी नीयत पर सवाल खड़े करती है। आखिर क्यों एक भ्रष्टाचारी और महिला उत्पीड़क अधिकारी को खुली छूट मिली हुई है? क्या योगी सरकार अपने ज़ीरो टॉलरेंस के दावे को सच साबित करेगी या फिर उमेश सिंह का रसूख एक बार फिर भारी पड़ेगा? मामले की जांच जारी है और अब यह देखना होगा कि सरकार दोषियों के खिलाफ क्या ठोस कार्रवाई करती है। जेल प्रशासन और सरकार की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह महज एक दिखावटी कार्रवाई थी या सच में उमेश सिंह पर कोई ठोस कार्रवाई होगी?

(विजय विनीत बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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