Sunday, April 28, 2024

मणिपुर में नहीं थम रही हिंसा, नागा इलाके तक पहुंची आग

नई दिल्ली। मणिपुर में हिंसा की आग कब बुझेगी इस बात को कोई नहीं जानता। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दो आखिरी भाषणों में कहा कि मणिपुर में शांति बहाल होगी और देश उनके साथ है, लेकिन कब? राज्य की जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है, मणिपुर के कामजोंग जिले के थोवई कुकी गांव में करीब 13 दिनों की शांति के बाद शुक्रवार को हुए ताजा हमलों में कुकी समुदाय के तीन लोगों को जान से मार दिया गया। पुलिस के अनुसार ये घटना कुकी बहुल गांव थोवई कुकी में सुबह करीब साढ़े चार से पांच बजे के बीच हुई।

मृतकों की पहचान 35 वर्षीय थांगखोकाई हाओकिप, 26 वर्षीय जामखोगिन हाओकिप और 24 वर्षीय हॉलेंसन बाइट के रूप में हुई है। थोवई कुकी गांव और उखरूल जिला एक दूसरे के साथ सीमा साझा करते हैं और उखरूल एक नागा-बहुल क्षेत्र है और मणिपुर में 3 मई से शुरु हुई मैतेई और कुकी के बीच जातीय हिंसा से ये क्षेत्र अप्रभावित था। हालांकि थोवई कुकी गांव का पुलिस क्षेत्राधिकार अभी भी उखरुल के पास है, जबकि 2016 में कामजोंग को इस क्षेत्राधिकार से बाहर कर दिया गया था।

स्थानीय निवासियों ने बताया कि मृत शख्स गांव के रक्षक दस्ते का सदस्य था और गांव के बाहर बने बंकर में उसे रात में पहरेदारी के लिए तैनात किया गया था। उखरुल के एसपी निंगशेम वाशुम ने बताया कि सुनने में आया है कि तीनों मृतक गांव रक्षक थे। एसपी आगे कहते हैं कि “यह मामला राज्य में जारी जातीय हिंसा से जुड़ा हुआ है, सुबह किरण निकलने से ठीक पहले कुछ हथियारबंद लोग इलाके में घुस आए और गांव की रखवाली कर रहे इन युवाओं की गोली मारकर हत्या कर दी।”

मणिपुर में नागा समुदाय की सर्वोच्च संस्था, यूनाइटेड नागा काउंसिल (यूएनसी) ने मैतेई और कुकी दोनों समुदायों से आग्रह किया है कि वो तटस्थ क्षेत्र में इस तरह की वारदात को अंजाम ना दें। यूएनसी के पूर्व अध्यक्ष सैमसन रेमेई ने कहा कि “हमारा रुख बिल्कुल साफ है – निष्पक्षता।” हम दोनों समुदायों से अनुरोध करते हैं कि नागा क्षेत्रों पर इस तरह के हमले करके माहौल को खराब ना करें। नागा लोगों ने सूबे में फैली इस अशांति से खुद को अलग कर रखा है।

रक्षा से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि घटना को अंजाम सुबह-सुबह दिया गया है और इस घटना के पीछे घाटी में स्थित विद्रोही समूह का हाथ है। हालांकि, अब सब कुछ नियंत्रण में है और क्षेत्र में स्थिति का जायजा लिया जा रहा है। उखरूल के रहने वाले एक शख्स ने बताया कि थोवई कुकी 50 घरों वाला एक छोटा सा गांव है, राज्य में जब से जातीय हिंसा फैली थी कुकी समुदाय के लोग इस गांव से पलायन करने लगे थे। घटना के बाद बच्चों और महिलाओं को दूसरे गांव में रखा गया था और रुक कर पुरुष गांव की सुरक्षा कर रहे थे।

पुलिस का कहना है कि उखरूल ने राज्य में फैली जातीय हिंसा नहीं देखी है। राज्य में तकरीबन दो सप्ताह की शांति के बाद यह पहली घटना हुई है। 3 मई से राज्य में शुरू हुई हिंसा, से सबसे ज्यादा प्रभावित जिले मैतेई बहुल बिष्णुपुर, इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व और काकचिंग और कुकी प्रभुत्व वाले चुराचांदपुर और कांगपोकपी हैं।

शुक्रवार से पहले राज्य में आखिरी हिंसा की घटना 5 अगस्त को हुई थी। जब मैतेई बहुल क्षेत्र विष्णुपुर के क्वाक्टा गांव में एक संदिग्ध कुकी समूह ने तीन मैतेई व्यक्तियों को नींद में मार दिया था।जिसके बाद बिष्णुपुर से सटे चुराचांदपुर में एक तलाशी अभियान में दो कुकी व्यक्तियों का मार दिया गया था।

सीपीआई(एम) के प्रतिनिधिमंडल का मणिपुर दौरा

राहुल गांधी और इंडिया अलायंस के सांसदों के बाद अब सीपीआई(एम) के प्रतिनिधिमंडल भी मणिपुर का दौरा करने पहुंच गया है। हिंसा प्रभावित मणिपुर में चीजें अस्थिर होने का नाम नहीं ले रही हैं, ऐसे में हर कोई इस कवायद में लगा हुआ है कि किसी तरह से वहां पर शांति को स्थापित किया जाए। सीपीआई(एम) के प्रतिनिधिमंडल ने चुराचांदपुर और मोइरांग में स्थापित राहत शिविरों का जायजा लिया। जिसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने राजधानी इंफाल में राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की और बताया कि “राहत शिविरों के रखरखाव और संचालन में राज्य सरकार या स्थानीय निकायों द्वारा की गई व्यवस्था काफी नहीं थीं।”

सीपीआई(एम) का प्रतिनिधिमंडल तीन दिवसीय दौरे पर शुक्रवार को मणिपुर पहुंचा था। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि केवल राजनीतिक समाधान ही मौजूदा संकट में शांति लाया जा सकता है, साथ ही उन्होंने विभिन्न पुलिस स्टेशनों से बंदूक और गोलियों की चोरी पर भी चिंता जाहिर की। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल अनुसुइया उइके से कहा कि लोगों को पार्टी से ऊपर उठकर सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए तभी जाकर राज्य में शांति स्थापित होगी और ये जातीय हिंसा भी खत्म होगा।

यूएमपीसी की दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस

इस बीच दिल्ली में भी मणिपुर को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज रहीं। शुक्रवार को सुबह घटित घटना के बाद मैतेई-पंगल समिति ने दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस किया। जिसमें उसने कहा कि राज्य में चल रहे जातीय हिंसा को रोकने और शांति स्थापित करने के लिए सूबे की सरकार का सारा प्रयास असफल साबित हो रहा है। लिहाजा वो प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को तत्काल हस्तक्षेप करने और शांति स्थापित करने के लिए गुहार लगा रहे हैं।

उनका कहना था कि पिछले तीन महीनों से लगातार जारी हिंसा के दौरान मैतेई पंगल (इस्लाम को मानने वाले मैतेई) ने हमेशा कोशिश की है कि वो निष्पक्ष रहे। शुक्रवार को दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए यूएमपीसी के नेताओं कहा कि अगर इसी तरह से हिंसा बरकरार रही तो उन्हें डर है कि कहीं ना चाहते हुए भी उन्हें इस हिंसा का हिस्सा बनना पड़ सकता है।

यूएमपीसी के एक नेता ने कहा कि आज के समय में मणिपुर में विभाजन ने अपना स्थान बना लिया है। और किसी समझौते की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है। हालांकि, मौजूदा त्रासदी से निपटने के लिए हम किसी भी प्रकार के विभाजन का समर्थन नहीं करते हैं। द हिंदू से बात करते हुए यूएमपीसी के एक नेता ने कहा कि, हम कुकी समुदाय की तरह अलग प्रशासन की मांग नहीं कर सकते हैं, और ऐसा करना हमारे लिए और भी ज्यादा दिक्कत तलब हो सकता है। क्योंकि हम शुरू से ही दोनों समुदायों के बीच शांतिपूर्वक रहते आए हैं।

एक अन्य नेता ने कहा कि “राज्य में चल रही सांप्रदायिक राजनीति भी उनके लिए समस्या पैदा कर सकती है।”17 अगस्त को यूएमपीसी ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को 17 अगस्त को अपना ज्ञापन सौंपा था। जिसमें उसने राज्य में चल रही सांप्रदायिक राजनीति पर अपनी चिंता जाहिर की थी।         

तीन मई को शुरू हुई जातीय हिंसा को अब तक 100 से ज्यादा दिन बीत चुके हैं और अभी भी शांति बहाल होने की संभावना कम दिख रही है, इस जातीय संघर्ष में 150 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles