क्यों ‘भारत मां’ को छोड़कर जा रहे हैं, उसके अमीर बेटे              

Estimated read time 1 min read

कहा जाता है कि अमीरों का कोई देश नहीं होता है। उन्हें सिर्फ अपने धन में वृद्धि और सुख-सुविधा से मतलब होता है। वे अपना धन बढ़ाने और अपनी सुख-सुविधा के लिए कभी भी अपने देश को छोड़कर दूसरे देश में बस जाते हैं, वहां की नागरिकता ले लेते हैं, उस देश  को अपना देश कहने लगते हैं। भारत के अमीर भी यही कर रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार साल 2022 में 2 लाख 25 हजार भारतीयों ने भारत की नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों की नागरिकता ग्रहण कर ली है। ये वे अमीर हैं,जिनकी संपत्ति 8 करोड़ 20 लाख रूपये से अधिक है।

हेनले ग्लोबल सिटिजन रिपोर्ट के अनुसार भारत में हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स ( HNIs) की संख्या दिसंबर 2021 में 3 लाख 47 हजार थी। इनमें से एक लाख 47 हजार भारत के नौ शहरों में से थे। इस शहरों में मुंबई, दिल्ली, कोलकत्ता, बेंगलुरु,हैदराबाद, चेन्नई, पुणे, गुरुग्राम और हैदराबाद में थे। ये धनी लोग कई तरीकों का इस्तेमाल करके दूसरे देशों की नागरिकता ले रहे हैं और भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं। दूसरे देशों में पूंजी निवेश करके, US.EB-5 Visa, पुर्तगाल गोल्डेन वीसा, आस्ट्रेलियन ग्लोबल टैलेंट इंडिपेंडेंट वीसा, माल्टा परमानेंट रेजीडेंसी प्रोग्राम और निवेश के जरिये ग्रीस रेजीडेंसी जैसे तरीकों का इस्तेमाल दूसरे देशों में बसने के लिए यह अमीर कर रहे हैं।

हेनले ग्लोबल सिटिजन रिपोर्ट के अनुसार धनिकों की संख्या के मामले में अमेरिका, चीन और जापान के बाद भारत दुनिया में चौथे स्थान पर है।

वैश्विक निजी निवेश और सलाहकार सेवा फर्म LCR Capital Partners की भारतीय शाखा की वरिष्ठ निदेशक शिल्पा मेनन का कहना है, “भारत वास्तव में पुर्तगाल गोल्डन वीज़ा के लिए सफल आवेदकों के बीच रैंक में बढ़ रहा है। साल 2020 में भारत नौवें स्थान पर था। साल 2021 में पांचवें और साल 2022 में चौथे स्थान पर पहुंच गया।” पुर्तगाली निवेशक वीज़ा कार्यक्रम व्यक्तियों और परिवारों को लाभान्वित करता है, उन्हें पुर्तगाल और शेष यूरोपीय संघ में रहने, काम करने, अध्ययन करने या सेवानिवृत्त होने का अधिकार प्रदान करता है।

पुर्तगाल गोल्डेन वीजा पाने के लिए पुर्तगाल के सघन आबादी वाले क्षेत्र में  500,000 यूरो या 4.4 करोड़ रूपये की संपत्ति खरीदना और पुर्तगाली नागरिकों के लिए कम से कम 10 नौकरियां पैदा करना अनिवार्य है। निवेश के पांच साल बाद निवेश करने वाला व्यक्ति पुर्तगाली पासपोर्ट प्राप्त कर सकता है, जिससे वह बिना वीजा के 150 से अधिक देशों की यात्रा करने के योग्य हो जाता है।

यू.एस. का ईबी-5 वीज़ा कार्यक्रम, जिसके लिए 5 से 7 वर्षों की अवधि में $800,000 (लगभग ₹6.6 करोड़) की न्यूनतम निवेश अमेरिका में करना होता है और यू.एस. के नागरिकों के लिए 10 स्थायी नौकरियों का सृजन भी करना है। 

भारत के अमीर क्यों भारत की नागरिकता छोड़कर दुनिया के अन्य देशों में बस रहे हैं, इसका जवाब देते हुए शिल्पा मेनन कहती हैं, “अमीर परिवार उन्नत स्वास्थ्य सेवा, बेहतर शैक्षणिक अवसर, अच्छी नौकरियों और पसंदीदा निवास स्थान और सुविधाजनक कारोबारी माहौल के आकर्षण में दूसरे देशों में बस रहे हैं।” 

भारत के अमीर भारत के प्राकृतिक संसाधनों, मजदूरों और बाजार का इस्तेमाल करके धनी होते हैं। उस धन को भारत में लगाकर देश को बेहतर बनाने की जगह अपनी मातृभूमि को छोड़ देते हैं और किसी और देश की नागरिकता ले लेते हैं। उनके लिए दुनिया आरामगाह है, जहां फायदा हो वहां बस जाओ। उनके लिए देश प्रेम और राष्ट्रभक्ति सिर्फ भावुकता भरी बातें हैं। जिससे आम जनता को गुमराह करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author