
लखनऊ। सूबे में हत्या, बलात्कार और यौन उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ सोमवार को महिलाओं ने राजधानी लखनऊ में प्रदर्शन किया। महिला संगठन एपवा के नेतृत्व में हुए इस कार्यक्रम में महिलाओं ने कहा कि यूपी को बलात्कार की राजधानी नहीं बनने देंगे। महिलाओं के तेवर बेहद उग्र थे। ये बात उनके प्रदर्शन में बखूबी दिखी।
पूर्व घोषित कार्यक्रम के मुताबिक महिलाओं का जुलूस चारबाग रेलवे स्टेशन से मुख्यमंत्री आवास के लिए आगे बढ़ा लेकिन पुलिस अधिकारियों ने परमिशन न होने का हवाला देकर उसे हुसैनगंज के पास रोकने की कोशिश की। इस पर महिलाओं के तेवर और उग्र हो गए। मौके की नजाकत को देखते हुए किसी सीधी कार्रवाई में जाने की जगह पुलिस वाले ही महिलाओं के जुलूस के सामने बैठ गए और वो महिलाओं को अपने ऊपर से मार्च निकालने की बात कहने लगे।
महिलाओं ने पुलिस के इस घुटना टेकू नीति को ठुकराते हुए जीपीओ तक मार्च किया जहां वह सभा में तब्दील हो गया।
सभा में महिला नेताओं का कहना था कि प्रदेश में अपराध हत्या, बलात्कार की जघन्य घटनाओं ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। नाबालिग बच्चियों से सामूहिक बलात्कार के मामले में यूपी पहले पायदान पर है। उन्नाव में नाबालिग महिला के साथ बलात्कार की घटना और जेल में उसके पिता की हत्या के प्रकरण ने यह साबित कर दिया है कि योगी सरकार और उसका प्रशासन अपराधी विधायकों को सजा दिलाने के बजाय उन्हें खुलेआम संरक्षण दे रही है। पूरे प्रदेश की कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है और योगी राज जंगल राज में तब्दील हो गया है।
जीपीओ पार्क में गांधी प्रतिमा के पास हुई इस सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा की राज्य सचिव कुसुम वर्मा ने कहा कि प्रदेश की महिलाएं संगठित होकर संघ-भाजपा के इस फासीवादी हमले का मुंहतोड़ जवाब देंगी और यूपी को अपराध, हत्या और बलात्कार का केंद्र नहीं बनने देंगी।
ऐपवा प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा एससी-एसटी एक्ट को कमजोर करने की कोशिश और दलितों पर बढ़ता अत्याचार सहारनपुर की घटना, गोरखपुर के गगहा में दलितों पर पुलिस फायरिंग, बलिया में दलित नाबालिग से बलात्कार करके जिंदा जला देने की घटना और दोषियों पर कोई कार्रवाई न करना यह दर्शाता है कि योगी सरकार संविधान के मुताबिक नहीं बल्कि मनुवादी नजरिये से इस प्रदेश को चलाना चाह रही है।
ऐपवा की जिला सचिव मीना सिंह ने कहा कि मोदी-योगी सरकार की योजनाओं में ही महिलाओं का उत्पीड़न निहित है। स्वच्छता अभियान इसका सबसे नायाब उदाहरण है। जिसमें महिलाओं की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करके उनका यौन उत्पीड़न किया जा रहा है।
उसी तरह से गौरक्षा के नाम पर दलित-मुस्लिम समुदाय के लोगों की हत्या करवाई जा रही है। जबकि महिला सुरक्षा के नाम पर एन्टी-रोमियो स्क्वायड बनाकर प्रेमी जोड़ों से मारपीट, लूट के साथ महिलाओं पर नैतिक पहरेदारी तो हो ही रही है, साथ ही सांप्रदायिक राजनीति का गंदा खेल खेला जा रहा है।
ऐपवा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य विद्या रजवार ने कहा कि ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाली भाजपा सरकार में उनके अपराधी मंत्रियों, विधायकों से ही महिलाओं को अपना बचाव करना पड़ रहा है। मार्च में सूबे के अलग-अलग जिलों से भारी तादाद में महिलाएं मौजूद थीं।