Friday, September 22, 2023

पर कोई उसकी दाढ़ी पर हाथ फेर रहा है

धीरे धीरे मुझे समझ में आ रहा है कि संस्कारी पार्टी वाले उसे पप्पू क्यों कहते हैं। 

कल पप्पू ने राफेल डील पर टिप्पणी करते हुए सिर्फ़ इतना कहा – चोरी की दाढ़ी…

जो पूरा मुहावरा न बोल पाए कि – चोरी की दाढ़ी में तिनका…तो संस्कारी पार्टी वाले उसे पप्पू न कहें तो क्या कहें…यानी पप्पू वो कहलाता है जो मुहावरे तक को पूरा नहीं बोल पाता है। 

लेकिन मुहावरे को आधा लिखने के बावजूद संस्कारी पार्टी वाले पप्पू को पप्पू बोलना छोड़कर दाढ़ी की बात दिल पर ले गए और उस लड़के यानी पप्पू को औंल-फौल बकने लगे। 

इस घटना से यह तथ्य सामने आया कि जो पप्पू है वो जानबूझकर पप्पू बना हुआ है ताकि लोगों का पप्पू बना सके। उसने राफेल-वाफेल फाइटर विमान खरीद में संस्कारी पार्टी को पप्पू बना दिया। राफेल-वाफेल की जाँच शुरू होने पर संस्कारी लोग विदेशी सरकार से इतना नाराज़ नहीं हैं जितना इस पप्पू से नाराज़ हैं। मतलब ये कि पप्पू न हुआ पापुआ न्यू गिनी का माइकल लुहार हो गया। जिसके हर हथौड़े से चोर-चोर निकल रहा है।

आज संयोग से एक कार्टूनिस्ट ने किसी शख़्स की दाढ़ी का कैरिकेचर बनाया और दाढ़ी में तिनका लटका दिया। संस्कारी भाई इस कार्टूनिस्ट को भी उल्टा सीधा बोल रहे हैं। मेरे जैसे जिन्हें नहीं भी पता था कि वो किसकी दाढ़ी है, वो भी जान गए कि ये किन साहब की दाढ़ी है और उसमें तिनका क्यों लटका हुआ है। 

अब हालत ये है कि हर कोई साहब की दाढ़ी पर हाथ फेर रहा है और तिनका उससे निकलने का नाम नहीं ले रहा है। दाढ़ी पर हाथ फेरने वाले कह रहे हैं कि इस दाढ़ी के हम चौकीदार हैं। इसकी रखवाली हमारा परम कर्तव्य है। पप्पू चोर-चोर की रट लगाए है। दाढ़ी वाला इतना असहाय कभी नहीं दिखा। उसे खुद अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरते शर्म आ रही है कि वो कहे तो कहे क्या और करे तो करे क्या। ऐसा कौन सा मास्टर स्ट्रोक है जो इस तैमूरी दाढ़ी से ध्यान बंटा सके। उसने अतीत के मास्टर स्ट्रोक में झांकने की कोशिश की तो वहां दंगे-फसाद, फर्जी एनकाउंटर, युद्ध, नदियों में तैरती लाशें नजर आईं। इनमें से किस मास्टर स्ट्रोक का चुनाव करे। इस पर अभी वो विचार कर रहा है।     

इस बीच, मैंने यह जानने की कोशिश की कि चोर दाढ़ी रखते हैं या नहीं। इस पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के किसी प्रोफ़ेसर चिरौंजी प्रसाद पांडे ने बताया कि चोर की पहचान आप उसकी दाढ़ी और कपड़ों से नहीं कर सकते। जैसे कुछ लोग ख़ास कपड़े पहनने के कारण पहचाने जाते हैं लेकिन चोरों पर यह बात फ़िट नहीं होती। चोर या निहायत सज्जन रामप्रकाश हो, आप उनकी दाढ़ी से उनके पेशे की पहचान नहीं कर सकते। नेता अगर दाढ़ी में है तो ज़रूर चोर होगा,  यह संभव तो है लेकिन हर केस में सही नहीं है। अगर किसी ने दस लाख का सूट पहना है और नेता नहीं है तो भी वो चोर हो सकता है। आप चोर की दाढ़ी में फंसे तिनके पर नजर डालिए, उस चोर की पहचान वहां छिपी है। तिनके के रूप में राफेल फंसा है तो बड़ा चोर, तिनके में पुलवामा फंसा है तो खूंखार चोर, तिनके में कोई केयर फंड फंसा है तो उसे चालाक चोर आदि कह सकते हैं। यानी जैसा तिनका होगा, उस लेवल का चोर कहलाएगा।

प्रो. चिरौंजी प्रसाद पांडे ने बताया कि वर्तमान दौर में चोरों ने काफ़ी तरक़्क़ी की है। वे देवानंद के जमाने के ज्वैल थीफ नहीं हैं। वे आज के चोर हैं जो ख़तरों के खिलाड़ी हैं। ऐसे चोरों के बारे में आप यह तक नहीं बता सकते कि ऐसे चोर आम काटकर खाते होंगे या चूसकर। ये आम को गुठली समेत भी खा सकते हैं। प्रार्थना कीजिए की ऐसे चोरों से किसी का वास्ता न पड़े।

(यूसुफ किरमानी वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles

तन्मय के तीर

(केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों के जरिए खेती-किसानी, अंबानी-अडानी को गिरवी रखने को तैयार...

हमारा नीरो क़िस्सागो है!

एक बार की बात है, जम्बूद्वीप में एक राजा था। बड़ा ही किस्सागो। जैसा...