25000 करोड़ के बैंक घोटाले में शरद पवार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज

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चुनाव आयोग ने अगले महीने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव कराये जाने की घोषणा की है वहीं दूसरी ओर एनसीपी प्रमुख शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं क्योंकि 25000 करोड़ के बैंक फ्रॉड घोटाले में शरद पवार, अजीत पवार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की मुंबई शाखा ने केस दर्ज किया है। इसके साथ ही महाराष्ट्र स्टेट कारपोरेशन बैंक से जुड़े हुए 70 लोगों को भी इस केस में आरोपी बनाया गया है। इस मामले में मुंबई पुलिस ने पिछले महीने एक एफआईआर दर्ज की थी। हालांकि राजनितिक मामलों में ईडी का ट्रैक रिकार्ड कोई खास अच्छा नहीं है। ईडी मामला तो दर्ज़ कर लेती है पर ठोस साक्ष्य ढूढ़ने में चूक जाती है। महाराष्ट्र में अगले महीने की 21 तारीख को वोट डाले जानें हैं, चुनाव से ठीक एक महीने पहले हुई इस कार्रवाई ने विपक्ष को सरकार पर हमला बोलने का एक और मौका दे दिया है।
बैंक फ्रॉड घोटाले के अन्य आरोपियों में दिलीपराव देशमुख, इशरार लाल जैन, जयंती पाटिल, शिवाजी राव नलवड़े और आनंदराव अडसुल का नाम शामिल है। 2007 से 2011 के बीच आरोपियों की मिलीभगत से बैंक को करोड़ों रुपए के नुकसान होने का आरोप है। इस घोटाले में आरोपियों में 34 जिलों के विभिन्न बैंक अधिकारी शामिल हैं। ये नुकसान चीनी मिलों और कताई मिलों को लोन देने और उनकी वसूली में की गई गड़बड़ी के कारण हुआ। बता दें महाराष्ट्र में अगले महीने की 21 तारीख को वोट डाले जानें हैं, चुनाव से ठीक एक महीने पहले हुई इस कार्रवाई ने विपक्ष को सरकार पर हमला बोलने का एक और मौका दे दिया है। अधिकारियों ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय की इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट पुलिस की एफआईआर के बराबर है। प्रवर्तन निदेशालय ने इन सभी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है।
गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एस सी धर्माधिकारी और जस्टिस एस के शिंदे की पीठ ने 22 अगस्त को कहा कि मामले में आरोपियों के खिलाफ ठोस साक्ष्य’ हैं और आर्थिक अपराध शाखा को पांच दिनों के अंदर प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट ने माना था कि इन सभी आरोपियों को बैंक घोटाले के बारे में पूरी जानकारी थी। प्रारंभिक दृष्ट्या इनके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं।
एनसीपी नेताओं के अलावा अन्य आरोपियों में पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी के नेता जयंत पाटिल और राज्य के 34 जिलों में बैंक इकाई के अधिकारी शामिल हैं। इनके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (ठगी और बेईमानी), 409 (नौकरशाह या बैंकर, व्यवसायी या एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वास हनन), 406 (आपराधिक विश्वास हनन के लिए सजा ), 465 (धोखाधड़ी के लिए सजा), 467 (मूल्यवान चीजों की धोखाधड़ी) और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र की सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
शरद पवार और जयंत पाटिल समेत बैंक के अन्य डायरेक्टर के खिलाफ बैंकिंग और आरबीआई के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है।इन्होंने कथित तौर पर चीनी मिल को कम दरों पर कर्ज दिया था और डिफॉल्टर की संपत्तियों को कोड़ियों के भाव बेच दिया था। आरोप है कि इन संपत्तियों को बेचने, सस्ते लोन देने और उनका पुनर्भुगतान नहीं होने से बैंक को 2007 से 2011 के बीच 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और तत्कालीन वित्त मंत्री अजित पवार उस समय बैंक के डायरेक्टर थे।
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की जांच के साथ ही महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटीज कानून के तहत अर्द्ध न्यायिक जांच आयोग की तरफ से दायर आरोप पत्र में नुकसान के लिए पवार और अन्य आरोपियों के निर्णयों, कार्रवाई और निष्क्रियताओं  को जिम्मेदार ठहराया गया था। स्थानीय कार्यकर्ता सुरिंदर अरोड़ा ने 2015 में आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत दर्ज कराई और हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी।

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