बिहार: कटिहार गोलीकांड में पुलिस के दावे पर सवाल, उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग

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कटिहार। गर्मी के मौसम में बिजली की अनियमितता को लेकर जनमानस के बीच सरकार से काफी नाराजगी है। कटिहार के स्थानीय निवासियों के मुताबिक भीषण गर्मी में बिजली कटौती और लो वोल्टेज से कटिहार के दर्जनों गांव के लोग परेशान हैं। इसी को लेकर बिहार के कटिहार जिले के बारसोई प्रखंड में 26 जुलाई (बुधवार) के दिन नियमित बिजली सप्लाई की मांग को लेकर प्रदर्शन के दौरान स्थिति बेकाबू हो गई। इस भगदड़ के दौरान किसी ने गोली चलाई और फ़ायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई जबकि एक अन्य शख़्स घायल हो गया। गोली किसी ने चलाई? इस सवाल पर पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच असमंजस बना हुआ है।

पुलिस खुद अपने बयान पर कायम नहीं

बिहार सरकार के गृह विभाग ने पूरी घटना के बारे में विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि 26 जुलाई को लगभग एक हजार की संख्या में मौजूद स्थानीय नागरिकों ने उग्र प्रदर्शन किया। इसी बीच कुछ असामाजिक तत्वों ने बिजली कर्मियों पर हमला कर दिया। बिजली कर्मियों के बाद पुलिस टीम पर भी हमला कर दिया गया। पुलिस टीम ने पहले चेतावनी दी लेकिन नहीं मानने पर अपनी सुरक्षा को देखते हुए उसने फायरिंग की। जिसमें 2 लोगों की मृत्यु और 2 लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा लगभग एक दर्जन पुलिसकर्मी और बिजली कर्मियों को भी चोटें आई हैं।

2 दिन बाद यानी 28 जुलाई को कटिहार एसपी जितेंद्र कुमार ने वीडियो फुटेज जारी करते हुए दावा किया कि बारसोई बिजली विभाग के दफ्तर में हुए गोलीकांड में पुलिस की गोली से किसी की मौत नहीं हुई है। सीसीटीवी फुटेज को दिखाते हुए कटिहार एसपी ने कहा कि एक व्यक्ति भीड़ में घुसकर सोनू और नियाज को गोली मारी है।

जहां पर मृतक की लाश मिली वहां और जहां पुलिसकर्मी मौजूद थे। उन दोनों की दूरी को देखते हुए गोली मारना संभव नहीं था। सोशल मीडिया पर चल रहे तमाम वीडियो में दिखाया जा रहा हैं कि पुलिस ने गोली चलाई है। इस पर एसपी जितेंद्र कुमार ने कहा कि चैनल पर फर्जी वीडियो चलाया जा रहा है। बिना जांच किए वीडियो नहीं चलाएं।

कटिहार जिले के निवासी और स्थानीय रिपोर्टर अकील जावेद बताते हैं कि मृतक सोनू और नियाज के भाइयों और परिजनों ने अपनी आंखों से देखा है कि पुलिस ने गोली चलाई है। सोनू साह के बड़े भाई दो महीने पहले ही बारसोई पावर सब स्टेशन में बतौर एजेंट कार्यरत हुए हैं। वो भी अपने भाई की मौत का इल्जाम पुलिस पर ही लगाते हैं।

वहीं मोनू के छोटे भाई उदित कहते हैं कि, आप भी सीसीटीवी फुटेज देखिए, एक सेकेंड में कैसे कोई व्यक्ति दो आदमी को गोली मार सकता है? पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। तभी न्याय की उम्मीद की जा सकती है।

मुखिया मोअज्जम समेत 1200 अज्ञात पर एफआईआर

कटिहार के बारसोई में हुए गोलीकांड के बाद कटिहार पुलिस ने 44 नामजद व 1000-1200 अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज़ की है। पुलिस के बाद अब बिजली विभाग ने भी एफआईआर दर्ज कराई है। बिजली विभाग की तरफ से सहायक विद्युत अभियंता विकास रंजन ने प्राथमिकी दर्ज कराते हुए नामज़द अभियुक्त इमादपुर के मुखिया इंजीनियर मोअज्जम हुसैन को मुख्य अभियुक्त बनाया है।

‘कोई बदमाशी करेगा तो पुलिस क्या करेगी’

गोलीकांड के बाद पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच राजनीति शुरू हो गई है। बिहार के वित्त मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता विजेंद्र यादव ने पुलिस का बचाव करते हुए कहा कि “प्रदर्शन के दौरान कुछ असामाजिक तत्वों ने पत्थर फेंकना और लाठी चलाना शुरू किया। जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की। कोई बदमाशी करेगा तो पुलिस क्या करेगी। लाठी और गोली तो चलती ही है।

एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि बिहार में बिजली कटौती के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस की गोलियों से मोहम्मद खुर्शीद और सोनू साह मारे गये और नियाज़ गंभीर तौर से घायल हैं। हम ख़ुर्शीद और सोनू के परिवार के साथ खड़े हैं।

ओवैसी ने कहा कि यह एक शर्मनाक हादसा है। बिहार पुलिस की कार्रवाई को नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के मंत्री ने जायज़ कहा और पीड़ित पर “बदमाशी” का इल्ज़ाम लगा दिया। ग़रीब लोग बिजली व्यवस्था में सुधार की मांग करें तो उन पर गोली चला दो? ऐसे मिलेगा सामाजिक न्याय और “सेक्यूलरिज्म”, ऐसे हराया जाएगा भाजपा को? हुए तुम दोस्त जिस के दुश्मन उसका आसमां क्यूं हो।

स्थानीय विधायक महबूब आलम इस पूरे मामले पर जनप्रतिनिधि होने की नाते अपनी ज़िम्मेदारी लेते हुए मीडिया को कहते हैं कि पुलिस नया वीडियो फुटेज़ जारी करके नया नैरेटिव पैदा करना चाहती है। अपराध पुलिस ने किया है और जनता को न्याय मिलना चाहिए। मूल सवाल तो अभी भी यही है कि आखिर हज़ारों लोगों को प्रखंड कार्यालय पर आकर बिजली के लिए प्रदर्शन करने की नौबत क्यों आई? भाकपा माले ने प्रशासन के दावे के मद्देनजर गोलीकांड की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है।

वहीं बारसोई में हुई पुलिस फायरिंग पर पूर्व सांसद पप्पू यादव ने इसे जलियावाला बाग से भी ज्यादा खतरनाक बताया हैं।

(कटिहार से राहुल की रिपोर्ट।)

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