राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल, अविश्वास प्रस्ताव पर बहस में शामिल होने का रास्ता साफ

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तमाम अटकलबाजियों पर विराम लगाते हुए आज संसद के मानसून सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन सत्र की शुरुआत से कुछ देर पहले ही पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष एवं वायनाड (केरल) के सांसद राहुल गांधी की सदस्यता बहाल कर दी गई है। इस सम्बन्ध में लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल उत्पल कुमार सिंह की ओर से एक अधिसूचना जारी करते हुए 4 अगस्त 2023 के सर्वोच्च न्यायलय के स्टे आर्डर का हवाला दिया गया है।

जैसा कि सभी जानते हैं कि शुक्रवार 4 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति गवई की खंडपीठ ने राहुल गांधी के मोदी सरनेम मामले पर अवमानना की शिकायत पर गुजरात उच्च न्यायालय के अधिकतम सजा सुनाये जाने पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए स्टे लगा दिया था। स्टे आर्डर आने के बाद से ही देश भर में सभी की निगाहें इसी बात पर टिकी थीं कि गुजरात राज्य की निचली बेंच के द्वारा राहुल गांधी पर 2 साल की सजा का आदेश पारित किये जाने के बाद जिस फुर्ती से लोकसभा अध्यक्ष की ओर से 24 घंटे के भीतर राहुल गांधी की सदस्यता छीनने में तत्परता दिखाई गई थी, क्या बहाली में भी देखने को मिलेगी?

सवाल सरकार की नैतिकता से जुड़ा था और इसके काफी दूरगामी मायने हो सकते थे। कांग्रेस पार्टी की ओर से भी राहुल गांधी की संसद सदस्यता की बहाली को लेकर शुक्रवार शाम से ही भाग-दौड़ शुरू हो चुकी थी। गुजरात लोअर कोर्ट से नई दिल्ली संसद के सचिवालय तक सूचना 24 घंटे के भीतर पहुंच गई थी, और तत्काल कार्रवाई भी हो गई थी। लेकिन शुक्रवार से शनिवार और शनिवार से रविवार हो गया, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से संपर्क साधा, जिन्होंने इस बाबत लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल से संपर्क करने का सुझाव दिया। शनिवार और रविवार की छुट्टी का हवाला देते हुए हीला-हवाली की खबर कांग्रेस के सूत्र मीडिया में जारी करने लगे थे। सर्वोच्च न्यायालय के लिखित आदेश की कॉपी डाक से सेक्रेटरी जनरल के घर भिजवाई गई, जिस पर पावती संयुक्त सचिव द्वारा दी गई।

गौरतलब है कि संसद का मानसून सत्र अभी तक बगैर चर्चा के चला है। मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी तोड़ने और डबल इंजन सरकार के औचित्य पर विस्तृत चर्चा कराने पर अड़ा हुआ है। सरकार नियम 176 पर सीमित चर्चा कराकर जहां कई विधेयकों को पारित कराने की जुगत में थी, वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल नियम 267 के तहत राज्य सभा के भीतर विस्तृत चर्चा कराए जाने के लिए रोज लिखित प्रस्ताव भेज रहा था। सरकार ने शोर-शराबे के बीच तमाम बिल पारित तो करा लिए, लेकिन विपक्षी दल अविचल रह भाजपा सरकार के खिलाफ इस मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार को विस्तृत चर्चा करने के लिए मजबूर कर चुके हैं।

इस बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहुल गांधी को राहत देने की खबर ने मोदी सरकार के लिए सांसत बढ़ा दी थी। कांग्रेस की ओर से पिछले 3 दिनों से इस मुद्दे पर देश में नैरेटिव खड़ा करने और सोमवार 7 अगस्त तक सदस्यता बहाल न करने की स्थिति में सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाने की धमकी का ही यह असर लगता है कि संसद शुरू होने से ठीक पहले उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई है।

संसद में विपक्षी दलों और विशेषकर कांग्रेस पार्टी में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा शशि थरूर, संजय राउत, सुष्मिता देब सहित राज्य सभा के तमाम नेताओं का मुह मीठा कराते देखा गया।

उधर भाजपा सांसद, राम शंकर कठेरिया (इटावा) को अदालत द्वारा 2 साल की सजा देने पर भी लोकसभा अध्यक्ष को फैसला लेने की घड़ी है। कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि मानसून का अंतिम सप्ताह विपक्ष के हाथ में रहने वाला है। राहुल गांधी की उपस्थिति और नूंह हिंसा की आग के बाद भाजपा के लिए दो-दो राज्यों में डबल इंजन सरकार बनाम राजस्थान-छत्तीसगढ़ का मुद्दा बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ेगा।

(रविंद्र पटवाल ‘जनचौक’ की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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