अंतरराष्ट्रीय नागरिक समूहों ने थॉमसन-रॉयटर्स से ‘इस्लामोफोबिक’ ANI से रिश्ता तोड़ने की मांग की

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संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और भारत में सक्रिय 35 से अधिक नागरिक अधिकार और अंतरधार्मिक संगठनों के एक व्यापक समूह ने थॉमसन-रॉयटर्स से आग्रह किया है कि वह भारत की समाचार एजेंसी एएनआई (एशियन न्यूज़ एजेंसी) से निवेश और साझेदारी का अपना रिश्ता तोड़ ले। इन संगठनों ने इस संबंध में एक पत्र जारी करके कहा है कि एएनआई की रिपोर्टिंग भारत की हिंदुत्ववादी सरकार के प्रचार और मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत बढ़ाने के हिसाब से होती है। 

इन संगठनों के मुताबिक भारत-आधारित समाचार सेवा एएनआई झूठी सूचनाएं प्रसारित करती है, गैर-मौजूद स्रोतों और गैर-मौजूद संस्थानों का हवाला देती है, सरकारी संदेश प्रसारित करने के लिए भारत की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करती है, और उसकी रिपोर्टिंग में मुस्लिम विरोधी पूर्वाग्रह का एक पैटर्न दिखता है। पिछले साल दिसंबर तक, रॉयटर्स ने एएनआई में 49% वित्तीय हिस्सेदारी बनाए रखी थी, लेकिन बाद में उन्हें भारतीय नियमों के अनुसार अपनी वित्तीय हिस्सेदारी कम करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

फिर भी, रॉयटर्स एएनआई को आर्थिक रूप से समर्थन देना जारी रखता है और इसकी ख़बरों को दुनिया भर के दर्शकों तक पहुंचाने में मदद करता है। संगठनों की ओर से जारी पत्र में थॉमसन-रॉयटर्स से मांग की गयी है कि 1- एएनआई में सभी वित्तीय हिस्सेदारी तुरंत वापस लें,  2- एएनआई को मनगढ़ंत जानकारी के प्रसार की सुविधा देने से इनकार कर दें और 3- एएनआई की पक्षपातपूर्ण, इस्लामोफोबिक रिपोर्टिंग के लिए सार्वजनिक रूप से निंदा करें।

इन संगठनों का कहना है कि एएनआई के कदाचार में ख़तरनाक मुस्लिम विरोधी रूढ़ियों को बढ़ावा देना;  कोविड-19 फैलाने के लिए मुस्लिमों के दोषी होने की झूठी अफवाहें फैलाना, जिससे “कोरोना जिहाद” प्रचारित करने की हिंदू राष्ट्रवादी साजिश को उसके सभी हिंसक परिणामों के साथ बढ़ावा दिया जा सके; भू-राजनीतिक चिंताओं पर रिपोर्टिंग करते वक्त मनगढ़ंत थिंक टैंकों और स्रोतों के व्यापक उद्धरण देना; 90 एएनआई कर्मियों की गवाही के अनुसार, राज्य-प्रायोजित और राज्य-अनुमोदित मीडिया सामग्री बनाने के लिए भारत सरकार के कर्मचारियों के साथ सहयोग करना; और बार-बार भाजपा नेताओं को राजनीतिक मामलों पर तटस्थ टिप्पणीकार के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत करना शामिल है।

हाल ही में, एएनआई ने झूठी अफवाहें फैलाईं कि मणिपुर में दो महिलाओं के साथ बलात्कार के लिए एक मुस्लिम व्यक्ति जिम्मेदार था। इस एजेंसी ने व्यापक इस्लामोफोबिक कहानियों को प्रचारित किया जिसने अतीत में मुस्लिम विरोधी हमलों को प्रेरित किया। संगठनों की ओर से जारी किये गये इस खुले पत्र में एएनआई के इस्लामोफोबिक कामकाज से जुड़े व्यापक दस्तावेजों को नत्थी किया गया है।

इन संगठनों के मुताबिक मुस्लिम विरोधी दुष्प्रचार की वजह से भारत में प्रतिदिन अनगिनत मुस्लिमों का जीवन खतरे में पड़ता है, जबकि थॉमसन-रॉयटर्स ‘स्वतंत्रता, अखंडता और पूर्वाग्रह से मुक्ति’ के विचार के प्रति प्रतिबद्धता जताती है। खुले पत्र में कहा गया है कि ऐसे में थॉमसन-रॉयटर्स को एएनआई से अपनी हिस्सेदारी वापस लेकर उसकी कड़ी निंदा करनी चाहिए।

(चेतन कुमार स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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