बीहड़ की जमीन पर मिर्जापुर बीजेपी जिला अध्यक्ष का कब्जा, कब चलेगा योगी का बुलडोजर?

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मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश में अपराधियों, माफियाओं, बदमाशों पर कहर बनकर टूटने और बेहतर कानून व्यवस्था व सुशासन की बात करने वाली योगी सरकार का बुलडोजर उस समय थम जाता है जब उनकी पार्टी से जुड़े अपराधियों, माफियाओं, बदमाशों और नेताओं से जुड़ा मामला सामने आता है। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद से सामने आया है, जहां के बीजेपी जिलाध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर बीहड़ की जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगा है।

बृजभूषण सिंह पर आरोप है कि उन्होंने कोविड काल में जिले के सिटी विकासखंड के ग्राम सभा बरकछा कलां के पुराने आराजी नंबर-948 मि, जिसको तीन भागों में क्रमशः 2075 क, 2075 ख, 2075 ग कराकर कूटरचित तरीके से अपने नाम कराकर कब्जा कर लिया है। इस संदर्भ में तमाम शिकायतों, रिपोर्टों एवं उप जिलाधिकारी सदर द्वारा अवैध घोषित करने के बाद भी न तो आज तक कोई कार्रवाई हुई है और ना ही उसे खाली कराए जाने की जहमत उठाई गई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या यूपी में योगी बाबा का बुलडोजर सिर्फ खास समुदाय के लिए ही है।

जमीन कब्जे को लेकर घिरे बीजेपी जिलाध्यक्ष

रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के जिला अध्यक्ष सुनील सोनकर (टक्कर) सवाल उठाते हैं कि “आखिर क्या कारण है कि तमाम शिकायतों, साक्ष्यों के बाद भी उप जिलाधिकारी सदर और तहसील प्रशासन बीहड़ की जमीन को खाली कराने का साहस नहीं कर रहा है। वह कहते हैं कि योगी सरकार भाजपा जिलाध्यक्ष द्वारा कब्जा की गई जमीन को खाली कराने में विफल साबित हो रही है।”

बीते माह रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के जिला अध्यक्ष सुनील सोनकर एवं युवा नेता प्रिंस सिंह ने मीडिया के समक्ष भाजपा जिलाध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर बीहड़ की जमीन कब्जा करने का आरोप लगाते हुए तहसील प्रशासन को आड़े हाथों लिया था। जिसके बाद भाजपा जिलाध्यक्ष की न केवल धड़कने तेज हो गईं, बल्कि सत्ताधारी दल के सहयोगी दल के मंत्री पूरी तरह से भाजपा जिलाध्यक्ष के बचाव में मीडिया को मैनेज करने में जुट गए। परिणाम यह रहा है कि जांच की कार्रवाई जहां थम गई तो वहीं स्थानीय मीडिया ने भी इस मुद्दे से मुंह मोड़ लिया।

आरोप है कि बृजभूषण सिंह ने बीहड़ श्रेणी 6(4) की लगभग 19 बीघा जमीन ग्राम बरकछा कला और शाहपुर चौसा में माता प्रसाद माता भीख स्कूल पर भी कब्जा कर लिया है। भाजपा नेता प्रिंस सिंह ने 14 मार्च 2023 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत करके उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी, जिस पर मुख्यमंत्री के संयुक्त सचिव भूपेंद्र बहादुर सिंह ने मिर्जापुर के डीएम व एसपी को नियमानुसार कार्रवाई करने का आदेश दिया था।

इसके बाद जिला प्रशासन ने जांच एसडीएम सदर को दे दी। जांच करते हुए एसडीएम सदर, तहसीलदार सदर, राजस्व निरीक्षक एवं लेखपाल के द्वारा 3 अलग-अलग रिपोर्ट पोर्टल पर दर्ज की गईं। पहली रिपोर्ट 3 अप्रैल 2023 को दी गई जिस पर संपूर्ण भूमि को भाजपा जिलाध्यक्ष की खानदानी बता दिया गया। आपत्ति करने पर दूसरी रिपोर्ट 10 अप्रैल 2023 को एसडीएम सदर, तहसीलदार सदर, राजस्व निरीक्षक एवं लेखपाल के द्वारा लगाई गई, जिसमें यह कहा गया की संपूर्ण भूमि श्रेणी 5 की है जिसका आवंटन किया जा सकता है। जबकि भूमि सरकारी रिकॉर्ड के हिसाब से श्रेणी 6(4) की है।

मज़े कि बात है कि मामला बढ़ता देख एसडीएम सदर द्वारा यह भी कहा गया है कि फसली वर्ष 1375 से 1376 की बीहड़ की खतौनी गायब है। जिस पर विधिक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन आज तक किसी भी प्रकार की कोई भी रिपोर्ट किसी भी थाने में अभी तक शिकायतकर्ता की जानकारी में नहीं दर्ज हुई है। राजस्व अधिकारियों के द्वारा यह माना गया कि फसली वर्ष 1372 से 1374 में गाटा संख्या 2075 ग रकबा 10 बीघा 19 बिस्वा बीहड़ श्रेणी 6(4) के रूप में अंकित है, जबकि अभी लगभग 8.5 बीघा जमीन 2075 ख को जिलाध्यक्ष को लाभ देने की नीयत से नहीं दर्शाया गया।

फसली वर्ष 1375 से 1376 की खतौनी का पृष्ठ खतौनी से गायब है। ऐसी रिपोर्ट लेखपाल, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार सदर एवं एसडीएम सदर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है। फसल खतौनी 1377 से 1379 की खतौनी में बीहड़ की जमीन को काश्तकारों के नाम से दर्शाया गया है जो कि नियम के विरुद्ध है, क्योंकि श्रेणी 6(4 )की जमीन को किसी काश्तकार को पट्टा नहीं किया जा सकता है और जिले के अधिकारियों का गोल-मटोल सा जवाब कि फसली वर्ष 1375 से 1376 में खाता संख्या 425 में एसडीओ के आदेश का आकलन रहा होगा। जिसका कोई भी प्रमाण राजस्व अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं।

जोत चकबंदी आकार पत्र 41 के पुराना गाटा संख्या 948 मि की संपूर्ण भूमि बीहड़ श्रेणी 6(4) की है। जिस पर भाजपा जिलाध्यक्ष बृजभूषण सिंह ने भाजपा जिलाध्यक्ष बनने के बाद पूरी 2075 ख एवं 2075 ग बीहड़ श्रेणी 6(4 )की जमीन को कटीले तारों से घेराबंदी कराकर कब्जा कर लिया गया है। सरकारी भूमि पर या किसी दूसरे की भूमि पर कब्जा करना भू माफिया की श्रेणी में आता है।

तीसरी रिपोर्ट भी 13 अप्रैल को एसडीएम सदर, तहसीलदार सदर, नायब तहसीलदार सदर, राजस्व निरीक्षक, लेखपाल एवं अन्य राजस्व के कर्मचारियों द्वारा जारी की गई। जिस पर यह कहा गया कि 2075 ग की 10 बीघा 19 बिस्वा की भूमि बीहड़ की है, लेकिन सरकारी बीहड़ की भूमि पर कब्जा हटवाने का कोई कार्य अभी तक प्रशासन के द्वारा नहीं किया गया है। यह भी रिपोर्ट काफी हद तक जिलाध्यक्ष के दबाव में लगी, लेकिन राजस्व के अधिकारियों द्वारा यह मान लिया गया कि 10 बीघा 19 बिस्वा की जमीन बीहड़ की है।

राजस्व के अधिकारियों द्वारा यह कहा गया कि पहले ग्राम सभा द्वारा पट्टा किया जाता था जिसमें 57(ख) की रसीद दी जाती थी, लेकिन 57(ख) की रसीद का कोई प्रमाण अधिकारियों द्वारा नहीं दिया गया और ना ही दर्शाया गया। जिससे यह प्रमाणित होता है कि काश्तकारों का नाम नियमों की अनदेखी करके दिया गया है।

बीजेपी जिलाध्यक्ष बनते ही बढ़ता गया कब्जा

बीजेपी जिलाध्यक्ष के खिलाफ मुखर भाजपा नेता प्रिंस सिंह ने कहा कि भाजपा जिलाध्यक्ष बृजभूषण सिंह ने जिलाध्यक्ष बनने के बाद लगभग 19 बीघा से ज्यादा जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है। उच्च स्तरीय जांच होते ही सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जिले में जब बीजेपी का जिलाध्यक्ष ही इस तरह की घटना में संलिप्त होकर अवैध कब्जा करेंगे तो फिर जनता को न्याय कौन और कैसे दिलाएगा? जब तक बृजभूषण सिंह को पार्टी के जिलाध्यक्ष पद से हटाया नहीं जाएगा तब तक निष्पक्ष जांच होना संभव नहीं है।

आवाज उठाने पर मिलती हैं धमकियां

शिकायतकर्ता प्रिंस सिंह साफ शब्दों में कहते हैं कि ‘जब तक अवैध कब्जा नहीं हट जाता तब तक हम लोग निष्पक्ष एवं उच्चस्तरीय जांच की मांग करते रहेंगे। प्रिंस सिंह ने यह भी कहा कि इस बड़े प्रकरण को जनता के सामने लाने की सजा के रूप में फर्जी एससी/ एसटी, छिनैती, डकैती, चोरी, लूटपाट जैसी गंभीर धाराओं में फर्जी मुकदमा लिखवाने की धमकी जिलाध्यक्ष और उनके लोग देते आए हैं। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री समेत कई उच्च अधिकारियों को पत्र के माध्यम से जानकारी दी है।”

वहीं रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के जिलाध्यक्ष सुनील सोनकर ने कहा कि दो साल से हम लोग इस जमीन की निष्पक्ष जांच की मांग करते रहे हैं, जिस वजह से मुझे जिलाध्यक्ष बृजभूषण सिंह व उनके परिवार वालों की ओर से जान से मार देने की धमकी दी जा रही है, लेकिन हम लोग धमकी से नहीं डरेंगे और निष्पक्ष जांच करा कर ही दम लेंगे। वह कहते हैं बीहड़ श्रेणी की जमीन को कब्जे से मुक्त करा कर उस पर सरकार विद्यालय या सरकारी हॉस्पिटल बनाए जिससे जनता को लाभ हो सके।”

नहर की जमीन पर भी है कब्जे का आरोप

बीहड़ की जमीन पर कब्जे के आरोपों से घिरे बीजेपी जिलाध्यक्ष पर नहर की भूमि पर भी कॉलेज के नाम पर कब्जा किए जाने का आरोप है। दरअसल शाहपुर चौसा गांव में बीजेपी जिलाध्यक्ष का बाबू रघुवंश सिंह इंटर कॉलेज नाम से एक कॉलेज है। लोअर खजूरी से निकली नहर जो बरकछा को जाती है, उसी नहर की पटरी पर यह कॉलेज स्थित बताया जाता है। सिंचाई विभाग के मुताबिक नहर और पटरी मिलाकर तकरीबन 80 फीट चौड़ाई है उसी दायरे में यह कॉलेज भवन भी आता है। सिंचाई विभाग की नहर भूमि पर बने जिलाध्यक्ष के कॉलेज को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।

विद्यालय की जमीन पर भी है नजर

बीहड़ की भूमि पर कब्जा जमाए बीजेपी जिलाध्यक्ष शाहपुर चौसा में माता प्रसाद माता भीख इंटर कॉलेज पर भी कब्जा जमाए हुए हैं। बताते चलें कि मिर्जापुर नगर के सुविख्यात माता प्रसाद माता भीख इंटर कालेज की जमीन शाहपुर चौसा गांव में भी स्थित है जहां माता प्रसाद माता भीख स्कूल का संचालन किया जाता है।

माता प्रसाद माता भीख इंटर कालेज के प्रबंधक अतिन गुप्ता बताते हैं कि “बीजेपी जिलाध्यक्ष बृजभूषण सिंह इस विद्यालय पर भी कब्जा जमा लिए थे। उन्होंने माता प्रसाद माता भीख के नाम को मिटा कर उसके ऊपर ‘आर वी एस शिक्षा निकेतन’ अंकित करा दिया था। बाद में मामला गरमाया तो आनन फानन में पीछे हट गए, लेकिन एक बार पुनः इनके द्वारा ताला जड़ दिया गया है। शिकायत और कार्रवाई के बाबत पूछे जाने पर अतिन गुप्ता कहते हैं कि कहां-कहां शिकायत दर्ज नहीं कराई, लेकिन सत्ता का संरक्षण प्राप्त होने के कारण कार्रवाई सिफर रही।”

दायर हुई पीआईएल

बीजेपी जिलाध्यक्ष के पद प्रभाव के चलते प्रभावित हो रही जांच और कार्रवाई के बजाय मामले को ठंडे बस्ते में डालकर मामले को दबाए रखने की मंशा को भांपकर शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली है। इसके लिए बाकायदा हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की गई है जिस पर 14 सितंबर की तारीख मुकर्रर की गई है।

बृजभूषण सिंह की आरोपों पर सफाई

मिर्जापुर बीजेपी अध्यक्ष बृजभूषण सिंह ने एक पत्र लिखकर आरोपों पर अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि ‘जिस आराजी नंबर 2075 पर कब्जे का आरोप लगाया गया है वह हमारे पूर्वजों को पट्टा हुआ था और आज भी उक्त गाटे पर हमारा और हमारे परिवार का कब्जा दखल है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ‘जिस भवन पर अवैध कब्जे की शिकायत की जा रही है, उस भवन पर न तो उन्होंने कब्जा किया है और न ही उससे उनका कोई सरोकार है’।

तीसरी बार जिलाध्यक्ष बनने की राह आसान नहीं

बृजभूषण सिंह कहने को तो बीजेपी के जिलाध्यक्ष हैं, पर इनकी ज्यादातर जुगलबंदी अपना दल खेमे में देखने को मिलती हैं जिसको लेकर पार्टी में अंदर खाने में इनका विरोध है। कहा जाता है कि भाजपा के सहयोगी अपना दल कोटे के मंत्री की सिफारिश पर दूसरी बार जिलाध्यक्ष बने बृजभूषण सिंह तीसरी बाजी भी मारने की जुगत में जुटे हुए हैं, हालांकि बढ़ते विरोध और भूमि विवादों से घिरने के चलते इस बार उनकी राह आसान नहीं है।

(मिर्ज़ापुर से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट)

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