मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी नहीं, छात्रों को पढ़ा रहे हैं ‘घोस्ट’: जांच रिपोर्ट

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नई दिल्ली। पीएम मोदी ने एक बयान दिया था कि हर महीने केंद्र सरकार देश में एक नया मेडिकल कॉलेज खोल रही है और यह सिलसिला एक साल, दो साल से नहीं बल्कि पिछले नौ साल से चल रहा है। पीएम मोदी के इस दावे की कलई खुल गयी है। हकीकत यह है कि यह न सिर्फ जुमला साबित हुआ है बल्कि उससे भी ज्यादा इसे धोखा कहा जाए तो ज्यादा अच्छा होगा।

मोदी के दावे के हिसाब से देश में 468 नये मेडिकल कॉलेज होने चाहिए थे। लेकिन यह संख्या फर्जी निकली और जो 246 मेडिकल कालेज शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा गिनाए जा रहे हैं उनमें भी सुविधाएं तो सुविधाएं फैकल्टी की न्यूनतम संख्या और उनकी उपस्थिति भी नहीं है।

यह खुलासा हुआ है नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की रिपोर्ट में। एनएमसी के तहत चलने वाले अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (यूजीएमईबी) ने एक सर्वे में पाया है कि मौजूद कॉलेजों में पर्याप्त संख्या में फैकल्टी और सीनियर फैकल्टी नहीं हैं। और तकरीबन सभी जरूरी 50 फीसदी उपस्थिति यानि अटेंडेंस की शर्त को पूरा नहीं कर पाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर कॉलेजों में घोस्ट फैकल्टी और सीनियर रेजिडेंट हैं यानी नाम लिखा हुआ है लेकिन कोई मौजूद नहीं है। या फिर कॉलेज ने जरूरी शिक्षकों की भर्ती ही नहीं की है। जिसका नतीजा है कि कोई भी संस्थान शिक्षकों की हाजिरी की 50 फीसदी की शर्त को पूरा नहीं कर सका। सर्वे में पाया गया कि जीरो उपस्थिति आम थी।

बोर्ड के मुताबिक 134 कॉलेज ऐसे थे जिनके पास इमरजेंसी मेडिसिन डिपार्टमेंट केवल कागज पर हैं। जबकि जमीनी सच्चाई बिल्कुल दूसरी थी। एसोसिएशन ऑफ इमरजेंसी फिजीशियन ऑफ इंडिया (एईपीआई) की ओर से एनएमसी को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि “हमने पाया कि कोई भी छात्र इमरजेंसी मेडिसिन डिपार्टमेंट में नियमित तौर पर नहीं जाता है क्योंकि उनके साथ बातचीत करने के लिए वहां कैजुअल्टी मेडिकल आफिसर के अलावा और कोई नहीं होता है। इमरजेंसी मेडिसिन डिपार्टमेंट में छात्रों की ड्यूटी का मतलब उनके लिए ब्रेक पीरियड होना है।”

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद केंद्र सरकार की स्वास्थ्य संबंधी नीति की कलई खुल गयी है। इसके पहले दरभंगा में एम्स के खुले होने की बात सामने आयी थी लेकिन जब ग्राउंड जीरो पर मीडिया के लोग गए तो पता चला कि वहां एम्स क्या किसी बिल्डिंग तक का कोई नामोनिशान नहीं है। और एम्स के नाम पर बताया गया खेत पर्ती पड़ा है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर जमकर बवाल हुआ था। बहरहाल इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब देखना होगा कि केंद्र सरकार की क्या प्रतिक्रिया होती है।

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