पटना। भाकपा-माले की केंद्रीय कमेटी की पटना में हो रही तीन दिवसीय बैठक में आज दूसरे दिन मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जमीनी स्तर पर इंडिया गठबंधन की मुहिम को तेज करने पर चर्चा हुई। इसके साथ ही दलित-अति पिछड़े व पिछड़े समुदाय के आरक्षण को तर्कसंगत बनाते हुए उसका विस्तार करने की मांग की गई।
महंगाई, अडानी घोटाला, बेरोजगारी, मोदी सरकार के 9 सालों का विश्वासघात, लोकतंत्र व संविधान पर लगातार जारी हमले के मद्देनजर बैठक में यह आम सहमति बनी कि इंडिया गठबंधन को जनता को गोलबंद करने के लिए जमीनी स्तर पर आंदोलनों की धारावाहिकता खड़ी करनी चाहिए। भाकपा-माले शुरू से ही मानता रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव को एक जनांदोलन की तरह लड़ना होगा।
बैठक के हवाले से माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि न्यूजक्लिक पर 3 अक्टूबर की छापेमारी के बाद अगले ही दिन आप पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अघोषित आपातकाल की ओर बढ़ता हुआ कदम है। मोदी शासन लोकतंत्र पर निरंतर हमला करके ही शासन कर सकता है। जनसमुदाय के विभिन्न हिस्सों की उठती आवाज को दबाने के लिए ही जनपक्षधर-स्वतंत्र पत्रकारों और सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्मों को निशाना बनाया जा रहा है।
माले की केंद्रीय कमेटी की बैठक में एक बार फिर से बिहार में जाति आधारित सर्वे के बाद की स्थितियों पर चर्चा हुई। भाकपा-माले ने कहा कि बिहार की जनता अब इस रिपोर्ट के आधार पर अग्रेतर कार्रवाई का इंतजार कर रही है। भाकपा-माले की मांग है कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर वंचित समुदायों के सामाजिक-सांस्कृतिक व आर्थिक सशक्तीकरण की योजनाएं बनाई जाएं। दलित-अतिपिछड़े व पिछड़े समुदाय के आरक्षण को तर्कसंगत बनाते हुए उसको विस्तार दिया जाए।
बैठक में माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य के अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वदेश भट्टाचार्य सहित देश के विभिन्न हिस्सों से केंद्रीय कमेटी के सदस्य भाग ले रहे हैं।
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