न्यूज़क्लिक पर छापेमारी और पत्रकारों की गिरफ्तारी के विरोध में जगह-जगह प्रदर्शन

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न्यूजक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती की गिरफ्तारी और न्यूज पोर्टल से जुड़े कई अन्य पत्रकारों के आवास पर ईडी के छापे का देश भर में विरोध हो रहा है। दिल्ली, पंजाब और हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों में पत्रकारों, शिक्षकों और छात्रों ने धरना-प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया।

पंजाब में हमेशा घोषित या अघोषित क्रूर आपातकाल का तार्किक और तीखा विरोध होता रहा है। सूबे के विभिन्न संगठनों ने विख्यात वेबसाइट ‘न्यूजक्लिक’  के पत्रकारों पर दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल द्वारा की गई कार्रवाई की सख्त निंदा की है। कई संगठनों ने इस कार्रवाई के खिलाफ प्रदेश भर में रोष प्रदर्शन किए। इनमें किसान जत्थेबंदियां भी शुमार हैं। किसान नेताओं का कहना है कि दिल्ली मोर्चे के चलते भी ‘न्यूजक्लिक’ सरकार के निशाने पर आया।                         

भारतीय इंकलाबी मार्क्सवादी पार्टी ने अपने महासचिव कामरेड मंगतराम पासला की अगुवाई में जालंधर में व्यापक रोष प्रदर्शन किया गया। सैकड़ों लोग इसमें शामिल थे। पासला कहते हैं, “मोदी सरकार भविष्य में होने वाले चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और और 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मीडिया और राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के खिलाफ जुल्म की हद तक जा रही है। ‘न्यूजक्लिक’ पर की गई कार्रवाई पुख्ता करती है कि इस सरकार को आजाद मीडिया बर्दाश्त नहीं। पंजाब भर में नरेंद्र मोदी सरकार की ऐसी कारगुजारियों के खिलाफ मोर्चाबंदी की जाएगी। हम सत्ता से सवाल करने वाले पत्रकारों के साथ हैं।”  

तर्कशील सोसाइटी पंजाब की प्रदेश इकाई ने भी दिल्ली पुलिस के विशेष सेल द्वारा ‘न्यूजक्लिक’ पर की गई कार्रवाई का सख्त विरोध किया है। गौरतलब है कि सोसाइटी की पंजाब इकाई विश्व स्तर पर अपना अलहदा वजूद रखती है। जिला बरनाला में इसका राज्य मुख्यालय है। सोसाइटी के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने राज्य हेडक्वार्टर में विशेष मीटिंग के बाद कहा कि ‘न्यूजक्लिक’ के खिलाफ कार्रवाई दरअसल मीडिया के खिलाफ अघोषित इमरजेंसी लागू करना है और उसकी जुबान बंद करने की कवायद है।

तर्कशील सोसाइटी के पदाधिकारी राजेंद्र भदौड़ के मुताबिक, “स्वतंत्र पत्रकारिता पर हमला गैरलोकतांत्रिक है। मौजूदा केंद्र सरकार हर आलोचनात्मक आवाज को अपनी एजेंसियों के जरिए कुचलना चाहती है।” 

प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर सुखदेव सिंह सिरसा के अनुसार, “वेबसाइट के खिलाफ दिल्ली पुलिस के विशेष सेल की कार्रवाई अति निंदनीय है। प्रगतिशील लेखक संघ इसकी खिलाफत करता है। हमने बाकायदा इसके खिलाफ प्रस्ताव पास किया है। जनवादी लेखक संघ और अन्य प्रगतिशील लेखक संगठन इस मामले में एकमत हैं।”                                      

पंजाब लोक मोर्चा के संयोजक अमोलक सिंह कहते हैं, “यह लड़ाई लंबी चलेगी। केंद्र सरकार बौखलाहट में है। उसे अपनी आलोचना बर्दाश्त नहीं। ये लोग कलम में स्याही नहीं खून चाहते हैं।”                                              

वरिष्ठ किसान नेता मनवीर सिंह का कहना है कि पंजाब के अठारह किसान संगठन आजाद मीडिया के साथ हैं। उन्होंने कहा कि अवाम को गोदी मीडिया का बहिष्कार करना चाहिए। ‘न्यूजक्लिक’ के खिलाफ इसलिए भी कार्रवाई की जा रही है कि उसने किसान आंदोलन की सटीक रिपोर्टिंग की; जिसे पूरी दुनिया ने पढ़ा-देखा।        

बहरहाल, पंजाब के तमाम जिलों से खबरें हैं कि ‘न्यूजक्लिक’ के खिलाफ कार्रवाई का जबरदस्त विरोध हो रहा है। कई पत्रकार संगठन और राजनीतिक दल ‘न्यूजक्लिक’ के खिलाफ  दिल्ली पुलिस द्वारा चलाए गए अभियान के खिलाफ आगे आ रहे हैं। पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार जितेन्दर पन्नू का कहना है कि वक्त आ गया है व्यवस्था विरोधी मीडिया एकजुट होकर आगे आए और बेखौफ लड़ाई लड़े।                           

कनाडा के वरिष्ठ पंजाबी पत्रकार गुरप्रीत सिंह सहगल ने इस संवाददाता को बताया कि वहां भी ‘न्यूजक्लिक’ के खिलाफ की जा रही पुलिसिया कार्रवाई की जबरदस्त आलोचना हो रही है। इसे भारत में मीडिया की आवाज बंद करने के तौर-तरीकों के तौर पर देखा जा रहा है।                         

जंतर-मंतर पर छात्रों ने किया विरोध-प्रदर्शन

बुधवार को दिल्ली के जंतर-मंतर और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में छापे और गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन हुए। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन और स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया समेत 20 से ज्यादा संगठनों ने दोपहर में जंतर-मंतर पर ‘सिटिजन्स प्रोटेस्ट’ नाम से विरोध प्रदर्शन किया।

आइसा सचिव अभिज्ञान ने कहा कि “हम यहां यह बताने आए हैं कि न तो प्रबीर और न ही अमित अकेले हैं। सरकार स्वतंत्र आवाज़ों पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रही है। लेकिन उनके लिए लड़ने या उनके साथ खड़े होने के लिए सैकड़ों-हजारों लोग उनके साथ हैं।”

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में पत्रकारों एवं बुद्धिजीवियों की सभा

बुधवार को दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित विरोध-प्रदर्शन में वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता, जिन्हें मंगलवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पूछताछ के लिए बुलाया था, ने कहा कि “कल जो हुआ उसका असर दिल दहला देने वाला था। हर एक पत्रकार को, स्वतंत्र पत्रकार को सचेत रहने का संदेश बहुत स्पष्ट रूप से दिया जा रहा है। मैं इसे भारत में प्रेस के लिए एक काले दिन के रूप में देखता हूं।”

पत्रकारों ने 18 संगठनों के हस्ताक्षर से भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को एक पत्र भी लिखा है। पत्र में अदालतों से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त करने, पत्रकारों पर बिना किसी कथित अपराध के पकड़ने के अभियान और राज्य एजेंसियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के संबंध में कुछ विचार करने की मांग की गई है।

पत्र में लिखा गया है कि “हम इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह पत्र लिख रहे हैं कि यह सिर्फ सीजेआई को नहीं बल्कि एक पदधारी को संबोधित है, जिसने अदालत के भीतर और बाहर कहा है कि “भारत की स्वतंत्रता तब तक सुरक्षित रहेगी जब तक पत्रकार सच बोल सकते हैं।”

मंडी किल्लियांवाली में किसान एवं जन संगठनों ने निकाला विरोध मार्च

न्यूजक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किए जाने के विरोध में पंजाब के किसान संगठनों ने लंबी ब्लॉक के मंडी किल्लियांवाली में एक विरोध मार्च निकाला। सभा को पंजाब खेत मजदूर यूनियन के राज्य महासचिव लछमन सिंह सेवेवाला, बीकेयू एकता उगराहां ब्लॉक लंबी के अध्यक्ष गुरपाश सिंह और, पेंशनर्स एसोसिएशन के नेता सुंदर पाल ने संबोधित किया।

वक्ताओं ने इस कार्रवाई को मीडिया पर हमला और लोकतंत्र का गला घोंटने वाला तानाशाही कदम करार दिया। उन्होंने गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की रिहाई, यूएपीए के तहत दर्ज मामलों को रद्द करने, पत्रकारों द्वारा जब्त लैपटॉप और मोबाइल फोन सहित सभी सामान को वापस करने, यूएपीए सहित सभी काले कानूनों को निरस्त करने और लंबे समय से गिरफ्तार बुद्धिजीवियों की रिहाई की भी मांग की।

किसान नेताओं ने कहा कि अमेरिकी कारोबारी रॉय सिंघम द्वारा न्यूजक्लिक को अवैध तरीके से धन मुहैया कराने के आरोप पूरी तरह निराधार हैं क्योंकि मिली जानकारी के अनुसार इस मामले की जांच ईडी पहले ही कर चुकी है और इस मामले में कुछ भी अवैध नहीं पाया गया है। इस चैनल द्वारा चीन समर्थक और भारत विरोधी दुष्प्रचार के मामले में भी बिना कोई ठोस सबूत पेश किए देशद्रोह जैसे गंभीर अपराध के तहत मामला दर्ज करने की कार्रवाई पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और गैरकानूनी है।

किसान नेताओं ने कहा, यह सब एक बहाना है, वास्तव में मोदी सरकार ने अपनी जनविरोधी नीतियों की आलोचना करने वाले चैनलों और लोगों की आवाज सुनने और लोगों की इच्छा का सम्मान करने के बजाय विरोधी विचारों को मारने के लिए हिटलर और मुसोलोनी के रास्ते पर चल पड़ी है। यह भाजपा और आरएसएस का भ्रम है कि वे बलपूर्वक सत्य और न्याय की आवाज को दबा सकेंगे।

इस अवसर पर नौजवान भारत सभा के नेता अश्वनी कुमार घुड्डा, किसान नेता मनोहर सिंह सिखवाला, हरपाल सिंह किल्लियांवाली, जगदीप सिंह खुदियां, जगदेव सिंह रोरांवाली, कर्मचारी नेता प्रकाश चंद चन्नू, जगदीश कुमार और कृषि मजदूर नेता रामपाल गग्गढ़ और जसवीर सिंह मेहना उपस्थित थे।

(अमरीक की रिपोर्ट।)

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