हाईकमान कर रहा नजरंदाज, भाजपा पर भारी वसुंधरा का अंदाज

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान का लगातार दौरा कर रहे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में वह मोदी करिश्मा के बल पर राज्य में भाजपा की सरकार बनाना चाहते हैं। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है। पीएम मोदी किसी भी कीमत पर वहां पर भाजपा की सरकार बनाना चाहते हैं। लेकिन भाजपा की राह में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे रोड़ा बन गई हैं। दो दिन पहले पीएम मोदी ने जोधपुर में एक रैली को संबोधित किया और उन्होंने मारवाड़ में करोड़ों की योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। इस दौरान मंच पर वसुंधरा राजे भी उपस्थित थीं, लेकिन उन्हें जनता को संबोधित करने का मौका नहीं मिला।

मंच पर अपमानित होने की घटना के चंद घंटों के बाद ही उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट “ परसों ही मैं बाड़मेर-जैसलमेर के दौरे पर थी और आज भी मालाणी की जनता-जनार्दन एवं जनप्रतिनिधियों ने उसी मान-मनुहार के साथ मेरे प्रति अपनापन और स्नेह दर्शाया है।”

पोस्ट में कहा गया, “ईमानदारी से कहूं तो आपका आशीर्वाद मेरा खजाना है और इसे पाने के लिए मैंने अपना जीवन समर्पित कर दिया है।” इसे राजनीतिक हलकों में अपनी उम्मीदवारी पर जोर देने के लिए वसुंधरा के संकल्प के संदेश के रूप में पढ़ा गया।

भाजपा राजस्थान में सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव लड़ने जा रही है। अभी हाल ही में राजस्थान में एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, “इस चुनाव में एकमात्र चेहरा कमल होगा। एकमात्र उम्मीदवार कमल होगा।”

पार्टी किसी भी नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पार्टी के इस निर्णय से खुद को उपेक्षित और अपमानित महसूस कर रही हैं। लेकिन पार्टी हाईकमान की यह नीति पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को मंजूर नहीं है। पार्टी द्वारा किसी को भी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं करने का निर्णय लेने और नरेंद्र मोदी तथा अमित शाह दोनों द्वारा पुराने नेताओं के साथ उदासीनता बरतने के बावजूद राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे खुद को चुनावी राज्य में एकमात्र लोकप्रिय चेहरे के रूप में पेश कर आगे बढ़ रही हैं।

प्रधानमंत्री विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने और एक राजनीतिक रैली को संबोधित करने के लिए गुरुवार को जोधपुर में थे, जिसका उद्देश्य इस साल के अंत में विधानसभा चुनावों के लिए जमीन तैयार करना था।

वसुंधरा को मंच पर जगह तो दी गई लेकिन भीड़ को संबोधित करने का मौका नहीं दिया गया। उन्हें मोदी के बगल में बैठे देखा गया, लेकिन प्रमुखता का कोई अन्य संकेत नहीं देखा गया। इस दौरान मोदी और वसुंधरा के बीच शब्दों या हाव-भावों का कोई आदान-प्रदान नहीं हुआ।

एक भाजपा नेता ने कहा, “मोदीजी ने महारानी (वसुंधरा) को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। भाषण के अंत में वह अन्य नेताओं के साथ मोदीजी के सामने खड़ी थीं, लेकिन प्रधानमंत्री ने उनकी उपस्थिति को भी स्वीकार नहीं किया।” वसुंधरा को लोकप्रिय रूप से “महारानी” कहा जाता है क्योंकि वह सिंधिया शाही परिवार से हैं और उनका विवाह धौलपुर शाही परिवार में हुआ है।

इस महीने की शुरुआत में जब हवाई अड्डे पर वसुंधरा ने उनका स्वागत किया तो गृह मंत्री शाह दूसरी ओर देखते दिखे।
राजस्थान भाजपा में अपने प्रभुत्व को खत्म करने और अगली पीढ़ी के नेता को स्थापित करने के लिए शीर्ष नेतृत्व के ऐसे स्पष्ट प्रयासों के बावजूद, वसुंधरा नरम पड़ने के कोई संकेत नहीं दिखा रही हैं।

वह पूरे राज्य में घूम-घूम कर मतदाताओं से मिल रही हैं, मंदिरों का दौरा कर रही हैं और प्रमुख हिंदू धार्मिक नेताओं का आशीर्वाद ले रही हैं। वह अपनी लोकप्रियता को रेखांकित करने के लिए लोगों से भरी तस्वीरें पोस्ट करती हैं और इस प्रक्रिया में यह दावा करती हुई दिखाई देती हैं कि वह राजस्थान में भाजपा की सबसे बड़ी जन नेता हैं, जिन्हें पार्टी नजरअंदाज नहीं कर सकती।

राज्य भर में उनकी सभी यात्राएं और अभियान कार्यक्रम ज्यादातर अकेले ही होते हैं, जिसमें राज्य के प्रमुख भाजपा नेताओं और पदाधिकारियों में से कोई भी शामिल नहीं होता है। एक्स पर मोदी, शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा का राजस्थान में स्वागत करने वाली उनकी पोस्ट में भी राज्य के किसी भी नेता की तस्वीर नहीं है।

राजस्थान भाजपा के एक सांसद ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह अभी भी राजस्थान में पार्टी का सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं। लेकिन नेतृत्व वसुंधराजी को दरकिनार किए बिना अगली पीढ़ी के नेताओं को बढ़ावा देना चाहता है। उन्हें केंद्र सरकार में जगह दी जा सकती है।”

लेकिन उनके करीबी सूत्रों ने कहा कि ऐसा लगता है कि वसुंधरा राज्य से बाहर जाने को तैयार नहीं हैं। दो बार मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा का पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की तरह ही राजस्थान भाजपा पर दो दशकों से अधिक समय से दबदबा रहा है। उनके दौर में पूरे राजस्थान में उनके जैसा प्रभाव रखने वाला कोई दूसरा नेता सामने नहीं आया।

चुनावी राज्य राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों के लिए, केंद्रीय नेतृत्व ने किसी भी मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश नहीं करने का फैसला किया है। मोदी और पार्टी के चुनाव चिन्ह कमल को प्रमुख शुभंकर के रूप में रेखांकित किया जा रहा है, जबकि राज्य स्तर पर “सामूहिक नेतृत्व” शब्द को प्रमुखता दी जा रही है। पार्टी के सूत्रों ने कहा कि इसका उद्देश्य चुनाव के बाद वसुंधरा जैसे नेताओं को बाहर करना और अगली पीढ़ी को आगे बढ़ाना है।

लेकिन हाईकमान के इस निर्णय से वसुंधरा खेमा खासा नाराज है। पार्टी उन्हें जितना उपेक्षित करने की कोशिश में लगी है वह उतना ही सक्रिय रूप से राज्य का दौरा कर रही हैं। वसुंधरा राजे ही राजस्थान में भाजपा का एकमात्र नेता हैं जिनका हर क्षेत्र औऱ समुदाय में पकड़ है। वसुंधरा राजे से पहले भैरों सिंह शेखावत ही समूचे राज्य में लोकप्रिय थे। पार्टी हाईकमान द्वारा वसुंधरा को दरकिनार करने की रणनीति उस पर भारी पड़ सकती है।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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