धनबाद। झारखंड के धनबाद जिले के कोयलांचल क्षेत्र में गोफ बनने की प्रक्रिया थमने का नाम नहीं ले रही है। जिसके कारण आए दिन इस क्षेत्र में बने गोफ में कभी लोग गिरकर अपनी जान गवां रहे हैं, तो कभी उनका आशियाना जमींदोज हो जा रहा है।
8 अक्टूबर की सुबह धनबाद के जोगता थाना क्षेत्र अंतर्गत सिजुआ के 11 नंबर दलित बस्ती में एक बार फिर तेज आवाज के साथ भयावह गोफ बना और इस गोफ में पांच घर समा गये। गोफ बनने की जिस समय घटना हुई तब घरों के सदस्य नहीं थे। सभी लोग या तो नित्य क्रिया आदि के लिए निकले थे, या रोटी-रोजी के जुगाड़ में बाहर गए थे। यही करण रहा कि लोगों की जान बच गई। लेकिन सबके सामान जमींदोज हो गये।
घटना के बाद से गोफ से जहरीली गैस का रिसाव हो रहा है। वहीं आधा दर्जन से ज्यादा घर गोफ के चपेट में आये हैं, कई घरों में दरारें आ गयी हैं। ऐसे में दलित बस्ती में अफरातफरी का माहौल है। दरार पड़े घरों से लोग सामान निकालने और उसे रखने के लिए सुरक्षित स्थान की तलाश में लगे हैं। इसे लेकर स्थानीय लोगों में बीसीसीएल के प्रति काफी आक्रोश देखा जा रहा है। लेकिन उन्हें इस आक्रोश को व्यक्त करने का कोई विकल्प नहीं दिख रहा है। ग्रामीणों ने कनकनी आउटसोर्सिंग का परिवहन कार्य रोक दिया है।
घटना के दिन बीसीसीएल का कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा था। लेकिन दूसरे दिन 9 अक्टूबर को बीसीसीएल के कई अधिकारी, राष्ट्रीय जनता दल के कतरास नगर अध्यक्ष विनय पासवान की पहल पर पीड़ित परिवार से मिले और उनके विस्थापन के मुद्दे पर चर्चा की। मौके पर राजद के प्रदेश महासचिव सुखदेव विद्रोही भी मौजूद थे।

विस्थापन के मुद्दे पर बीसीसीएल के अधिकारियों ने 15 दिन का समय मांगा। अधिकारियों ने पीड़ित पांच परिवारों- जय कुमार मिश्र, नंदलाल भुइयां, दुर्गा भुइयां, अरुण भुइयां और शंकर भुइयां को बीसीसीएल के खाली पड़े क्वार्टर को आवंटित किया। वहीं 10 अक्टूबर को पुनः बीसीसीएल के जीएम ने प्रभावित इलाके का दौरा किया और प्रभावित ग्रामीणों को दशहरा के बाद सुरक्षित इलाके में उन्हें पुनर्वासित किए जाने और उचित मुआवज़ा दिए जाने का आश्वासन दिया।
बीते 19 सितंबर को बीसीसीएल कुसुंडा क्षेत्र के गोंदूडीह कोलियरी में संचालित एक आउटसोर्सिंग कंपनी के पास भू-धंसान की घटना हुई थी, जिसमें तीन महिलाएं गोफ में समा गईं। एनडीआरएफ की टीम द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन करके उनके क्षत-विक्षत शवों को बड़ी मुश्किल से निकाला जा सका था।
बताते चलें कि धनबाद कोयलांचल में अंडरमाइन फायर बीते 8 दशक से दहक रही है। अलग-अलग इलाकों में खास तौर पर जहां माइनिंग होती हैं, वहां जमीन से निकलता धुआं और आग शाम होने के बाद आसानी से देखी जा सकती है। मगर ‘सब्सिडेंस प्रोन जोन’ में सौ साल से भी ज्यादा समय से रहे लोग हटना नहीं चाहते हैं।
लोगों का कहना है कि सरकार बढ़िया पुनर्वास पैकेज नहीं देती है। कई बार यह मुद्दा मीडिया में उठा, मगर नतीजा सिफर ही रहा। जबकि हालात काफी भयावह होते जा रहे हैं। लगातार विस्फोट होने के साथ ही अब घर भी जमींदोज होने लगे हैं। जिससे कभी भी किसी बड़ी घटना की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।

भू-धंसान से बनने वाले गोफ में गिर कर लोगों की जान जाने या उनके घर के जमींदोज होने की यह पहली घटना नहीं है, आए दिन ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। इन घटनाओं पर दो-चार दिन खूब हंगामा होता है और कुछ दिन सब शान्त हो जाता है। पुनः जब ऐसी घटना होती है तो वहीं दोहराया जाता है।
इन मामलों पर न तो बीसीसीएल प्रबंधन और न ही जिला प्रशासन गंभीर है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों को कुछ लेना देना होता है। एक बात जरूर होती है कि जब भी ऐसी घटना होती है संबंधित पीड़ित परिवारों और वहां रहने वाले लोगों को आश्वासन का झुनझुना थमा दिया जाता और लोग इसे लेकर बजाते रहते हैं लेकिन झुनझुना थमाने वाले की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
इन घटनाओं का दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि जब जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तो दो-चार दिन खूब हंगामा होता है लेकिन कुछ ही दिनों में सब शान्त हो जाता है। पुनः जब ऐसी घटना होती है तो फिर वही क्रम दोहराया जाता है। इन मामलों पर न तो बीसीसीएल प्रबंधन और न ही जिला प्रशासन गंभीर है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों को कुछ लेना-देना होता है।
एक बात जरूर होती है कि जब भी ऐसी घटना होती है, तो संबंधित पीड़ित परिवारों और वहां रहने वाले लोगों को आश्वासन का झुनझुना थमा दिया जाता और लोग इसे लेकर बजाते रहते हैं। लेकिन झुनझुना थमाने वाले की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
(विशद कुमार की रिपोर्ट।)
+ There are no comments
Add yours