नई दिल्ली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर वार्ता विफल होने के बाद कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच तनाव की खबरें आ रही हैं। गुरुवार को उत्तर प्रदेश के सीतापुर में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर धोखा देने का आरोप लगाया है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सपा के लिए एक भी सीट नहीं छोड़ा है।
दरअसल, यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने दो दिन पहले एक बयान दिया था कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को कांग्रेस के पक्ष में हट जाना चाहिए। क्योंकि समाजवादी पार्टी का वहां कोई आधार नहीं है।
कांग्रेस प्रमुख अजय राय का बयान अखिलेश यादव को इतना नागवार लगा कि गुरुवार को सीतापुर में पत्रकारों से बात करते हुए अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए अजय राय को आड़े हाथों लिया। पत्रकारों के सवाल पूछने पर उन्होंने कहा कि “आप किस नेता की बात कर रहे हैं? प्रदेश अध्यक्ष (अजय राय) की कोई ‘हैसियत’ नहीं है। वह पटना या मुंबई में (इंडिया गठबंधन) की बैठक में शामिल नहीं थे। वह इंडिया गठबंधन के बारे में क्या जानते हैं।” उन्होंने कहा, “कांग्रेस को अपने ‘चिरकुट’ (छोटे) नेताओं से हमारी पार्टी के बारे में बयान नहीं दिलवाना चाहिए।”
सपा प्रमुख ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों, कमल नाथ और दिग्विजय सिंह पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने सपा नेताओं को रात 1 बजे तक इंतजार कराया, जब वे सीट-बंटवारे की बातचीत के लिए उनसे मिलने गए थे। “इसका मतलब है कि आप अन्य पार्टियों को धोखा दे रहे हैं। ये लोग बीजेपी से मिले हुए हैं। कांग्रेस के लोग बीजेपी के साथ हैं। अगर मुझे पता होता कि गठबंधन राज्य स्तर पर नहीं है, तो मैं सपा नेताओं को दिग्विजय सिंह जी या कमल नाथ जी के पास नहीं भेजता।”
वहीं कांग्रेस प्रमुख अजय राय ने एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा कि “मैंने उनसे (समाजवादी पार्टी से) केवल इतना आग्रह किया था कि यदि वे मध्य प्रदेश में मजबूत नहीं हैं, तो उन्हें कांग्रेस का समर्थन करना चाहिए। हमने घोसी उपचुनाव में उनका समर्थन किया, लेकिन उन्होंने बागेश्वर उपचुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया। मैं अब भी उनसे समर्थन करने का आग्रह करूंगा।”
अखिलेश ने दावा किया कि कांग्रेस खेमे ने संकेत दिया है कि सपा को छह सीटें दी जा सकती हैं, जिसमें उसकी एकमात्र मौजूदा सीट भी शामिल होगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इंडिया गठबंधन केवल राष्ट्रीय चुनावों के लिए है, राज्य चुनावों के लिए नहीं, तो सपा लोकसभा चुनावों में यूपी सीट-बंटवारे पर यही फॉर्मूला अपनाएगी।
कांग्रेस और सपा के बीच दरार रविवार को उस समय सामने आई जब कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की उन सात सीटों में से चार पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी, जहां सपा पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। इंडिया गठबंधन को कड़ा संकेत देते हुए सपा ने नौ उम्मीदवारों की सूची घोषित की। बुधवार को सपा ने 22 और प्रत्याशियों की सूची जारी की है। इस तरह समाजवादी पार्टी अभी तक 33 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है।
अखिलेश ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस को इंडिया गठबंधन के सहयोगियों के बीच गठबंधन पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए कि सीटों का बंटवारा राज्य स्तर पर नहीं राष्ट्रीय स्तर पर लागू होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार को अजय राय ने कहा था कि, “कांग्रेस मध्य प्रदेश में मजबूती के साथ खड़ी है, इसलिए समाजवादी पार्टी को इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस का समर्थन करना चाहिए, न कि उन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए जब उनका वहां कोई आधार नहीं है।”
जहां तक अखिलेश की चेतावनी की बात है तो उन्होंने कहा कि “लोकसभा चुनाव का इंतजार करना चाहिए और पांच राज्यों के चुनाव के नतीजे आने दीजिए।”
राय ने यह भी कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में गठबंधन के बारे में फैसला कांग्रेस आलाकमान को लेना है, पार्टी की यूपी इकाई राज्य की सभी 80 संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।
सपा खेमे के इस आरोप का जवाब देते हुए कि कांग्रेस ने उन्हें 2018 के चुनावों में मप्र में जीती एक भी सीट नहीं दी, राय ने कहा कि सपा का एकमात्र विधायक भी बाद में सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो गया था। “मध्य प्रदेश में लड़ाई लंबे समय से कांग्रेस और भाजपा के बीच रही है। इसलिए सपा को अपने दम पर चुनाव लड़ने के बजाय कांग्रेस का समर्थन करना चाहिए।”
समाजवादी पार्टी का तर्क है कि कांग्रेस के ‘मध्य प्रदेश की रणनीति’ के अनुसार, यूपी में सिर्फ एक सांसद और दो विधायकों वाली कांग्रेस को यूपी में सपा का समर्थन करना चाहिए जहां वह भाजपा की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी है।
2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था, जिसमें अखिलेश और राहुल गांधी दोनों ने गठबंधन उम्मीदवारों के पक्ष में संयुक्त रैलियों को संबोधित किया था। 403 सीटों में से एसपी ने 311 सीटों पर जबकि कांग्रेस ने 114 सीटों पर चुनाव लड़ा था। तब 11 सीटें ऐसी थीं जिन पर दोनों ने अपने उम्मीदवार उतारे थे।
पिछले महीने हुए विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने यूपी के घोसी में सपा को समर्थन दिया था और अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था। वहां सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने बीजेपी के कद्दावर ओबीसी नेता दारा सिंह चौहान को 42,759 वोटों से हराया।
हालांकि, उत्तराखंड के बाघेश्वर उपचुनाव में, राज्य की राजनीति में सीमांत खिलाड़ी होने के बावजूद, समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया, जो सिर्फ 637 वोट हासिल कर सका। सत्तारूढ़ भाजपा ने कांग्रेस को 2,405 वोटों से हराकर सीट बरकरार रखने में कामयाबी हासिल की।
(जनचौक की रिपोर्ट।)
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