कैसे संभव हुआ युद्धविराम? जानिये पूरी कहानी

छह सप्ताह पहले जब हमास ने इजराइल पर हमला कर सैकड़ों लोगों को बंधक बना लिया और उसके तुरंत बाद जवाबी कार्रवाई में इजराइल ने उससे ज्यादा तगड़ा हमला गाजा पट्टी में बोल दिया। उसी समय कतर बंधकों की रिहाई के प्रस्ताव के साथ वाशिंगटन पहुंच गया। ह्वाइट हाउस के एक अधिकारी ने एपी को बताया कि यह मिशन बेहद संवेदनशीलता की मांग करता था। यह इतना गुप्त था किअमेरिकी अधिकारियों ने हमास के पास सीधे पहुंचने के लिए एक कम्युनिकेशन सेल का गठन कर लिया। उस बातचीत को सरकार के बीच भी बेहद गोपनीय रखी गयी। सरकार के कुछ मुट्ठी भर लोगों को ही इसकी जानकारी थी। 

सेल ने बातचीत करने वाले चंद लोगों को बगैर नौकरशाही की सहायता लिए नियमित बात करने की इजाजत दी। अमेरिकी और इजराइली अधिकारियों के अपने कई सप्ताह खर्च करने का नतीजा है कि हमास द्वारा पकड़े गए दर्जनों बंधकों की अब रिहाई हो पा रही है। ह्लाइट हाउस ने ये देखा कि इस खूनी युद्ध को खत्म करने का यही एक रास्ता है।

अमेरिका लगातार हमास को प्रोत्साहित करता रहा और इसके साथ ही कतर और मिस्र इसके नियमित मध्यस्थ बने रहे। इस बीच राष्ट्रपति जो बाइडेन और दूसरे अमेरिकी अधिकारी जूम के जरिये बंधकों के परिजनों को भावनात्मक रूप से ढांढस बंधाते रहे। यहां तक कि कई से व्यक्तिगत तौर पर भी उन्होंने मुलाकात की। उनसे कहते रहे कि परिजनों की रिहाई के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति इस मसले पर बुधवार तक पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से लेकर दूसरे वैश्विक नेताओं से बातचीत करते रहे। बाइडेन का कहना था कि वह तब तक आराम नहीं करेंगे जब तक कि गाजा से सभी अमेरिकी बंधकों को रिहा नहीं करा लिया जाता।

हमास से बातचीत करने के लिए अमेरिकी सेल की स्थापना मध्यपूर्व के लिए नेशनल सिक्योरिटी कौंसिल के कोऑर्डिनेटर ब्रेट मैकग्रुक और कौंसिल के लीगल एडवाइजर जोशुआ गेल्टजर को लेकर की गयी। मैकग्रुक हर सुबह कतर के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान से बात करते थे। जबकि ह्वाइट हाउस के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर जैक सुलिवान अपने इजराइली समकक्ष से बात करते थे। और इस बीच बाइडेन को लगातार ब्रीफ किया जाता रहा। इसके साथ ही सीआईए निदेशक बिल बर्न्स की भूमिका भी बेहद अहम रही। वह लगातार इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद के निदेशक डेविड बर्निया से बात करते रहे। आखिरी डील जो सामने आयी वह कई हफ्तों की मेहनत का नतीजा थी। इसके तहत हमास इजराइल के 50 बंधकों को रिहा करेगा। जबकि इजराइल अपनी जेलों में बंद 150 फिलिस्तीनियों को छोड़ेगा।  

मिस्र के एक अधिकारी के मुताबिक शुरुआत के एक प्रस्ताव में, जो हमले के ठीक पांच दिन बाद 12 अक्तूबर को सामने आया, बंधकों में शामिल सभी महिलाओं और बच्चों को रिहा करने की बात शामिल थी। और उसके बदले इजराइली जेलों में बंद सभी फिलिस्तीनी महिलाओं को छोड़ा जाना था।

इजराइल ने उस शुरुआती प्रस्ताव को खारिज कर दिया। लेकिन और बातचीत के लिए इसने रास्ता खोल दिया। इस बीच, अक्तूबर के आखिरी दिनों में होने वाली हर बातचीत में नेतन्याहू अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन को यह बात दोहराते रहे कि गाजा पर हमले की कार्रवाई बंधकों की रिहाई के साथ ही रुकेगी। इस बीच बाइडेन का अपना ही रुख था। उनका कहना था कि डील हो या न हो मानवीय सहायता गाजा में जाते रहनी चाहिए।

इसी बीच हमास ने दो अमेरिकी बंधकों नैटली और जूडिथ रानन को रिहा कर दिया। जैसे ही सीनियर नेशनल सिक्योरिटी अधिकारी ने उनकी रिहाई को गाजा से बाहर ट्रैक किया और बाइडेन ने व्यक्तिगत तौर पर नैटली के पिता को फोन कर इसकी खबर दी, इससे ह्वाइट हाउस को इस बात का और ज्यादा विश्वास हो गया कि बंधकों की रिहाई के लिए उसने जो गोपनीय सेल बना रखे हैं वह काम करेगा। और इसके साथ ही उसने दूसरे बंधकों की रिहाई के लिए प्रयास तेज कर दिए।

हमास के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य बैसेम नईम ने 10 नवंबर को बेरूत में पत्रकारों को बताया कि अगर सुरक्षित तरीके से आने -जाने की गारंटी की जाए तो वो बंधक नागरिकों को रिहा करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने इस बात की शिकायत की कि इजराइल इसका कोई जवाब नहीं दे रहा है।

इस बीच बातचीत जारी रही।

12 नवंबर को बाइडेन ने कहा कि अब अति हो गयी है। उन्होंने कतर के शासक शेख तमीम बिन हमाद अल थानी को फोन किया और हमास के बारे में विशिष्ट जानकारियां हासिल की। किसी भी तरह का जो समझौता होगा उसके लिए बाइडेन ने इस बात पर जोर दिया कि जिन 50 बंधकों की रिहाई की जानी है उनकी आयु, लिंग, और वो कहां के रहने वाले हैं या फिर इसी तरह की दूसरी चीजें बिल्कुल साफ होनी चाहिए।

फोन के बाद अमेरिका ने जो सूचनाएं मांगी थी हमास ने उसे तुरंत मुहैया करा दिया। बाइडेन ने फिर नेतन्याहू को 14 नवंबर को फोन किया। और उनसे डील को स्वीकार करने की गुजारिश की। नेतन्याहू आगे बढ़ने के लिए सहमत हो गए। मैकग्रुक के साथ बैठक में नेतन्याहू ने अमेरिका से कहा कि वह कतर से आखिरी शर्तें को सामने लाने के लिए कहें।

इस बीच समझौताकार एक बंधक समझौते के काम चलाऊ ड्राफ्ट का आपस में लेन-देन शुरू कर दिए थे। पहले वर्जन के मुताबिक पांच दिन का युद्ध विराम था और उसमें 200-300 फिलिस्तीनी महिलाओं और बच्चों की रिहाई की बात शामिल थी। जबकि इजराइल दो दिन के युद्धविराम पर जोर दे रहा था। और इसके साथ ही गैर हमास 100 फिलिस्तीनियों की रिहाई उसकी शर्तों में शामिल थी।

उसके बाद हमास बिल्कुल शांत हो गया। लड़ाकों ने कतर और मिस्र के प्रतिनिधियों से बातचीत बंद कर दी। इसके साथ ही उन्होंने बातचीत से बाहर निकलने की भी धमकी दे डाली। उसने ऐसा तब किया जब इजराइली सैनिकों ने शिफा मेडिकल अस्पताल पर हमला कर दिया।

मिस्र के एक अधिकारी ने बताया कि यहां सब कुछ बिखर गया। तीन दिनों तक मिस्र, कतर और अमेरिका के अधिकारी युद्ध में शामिल सभी पक्षों से समझौता करने के लिए दबाव डालते रहे। इसके तहत चार दिन का युद्ध विराम और एक बंधक को छोड़ने पर तीन फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई। मिस्र का इस बात पर भी जोर था कि मानवीय सहायता पर लगाई गयी इजराइल की बाधाओं में भी ढील दी जाए। इसके बाद पिछले शुक्रवार को बातचीत फिर शुरू हो गयी। कतर के शेख के साथ एक दूसरी बातचीत में बाइडेन ने कहा कि यह डील के लिए आखिरी मौका है और उन्हें इसको किसी भी कीमत पर अंजाम तक पहुंचाना है। आखिर में 21 नवंबर को हमास ने डील पर अपनी तरफ से हरी झंडी दे दी। और यह बात उन्होंने कतर के अधिकारियों को बता दिया।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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