जांच रिपोर्ट आने से पहले ही शुरू हो गया सिल्क्यारा-बड़कोट सुरंग का काम

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नई दिल्ली। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा-बड़कोट सुरंग में फिर से काम शुरू हो गया है। निर्माण एजेंसी ने जांच रिपोर्ट के आने का इंतजार नहीं किया। और काम शुरू करने से पहले सुरक्षा के कोई इंतजाम भी नहीं किए। दूसरी तरफ निर्माण एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि सुरंग पर काम बड़कोट की ओर से शुरू हुआ है जबकि हादसा सिल्क्यारा छोर की तरफ हुआ था।

लेकिन सवाल यह है कि क्या हादसा सिर्फ सिल्क्यारा की तरफ ही हो सकता है बड़कोट की तरफ नहीं? या सुरंग में हादसा होने के समय जो सवाल पर्यावरण, पारिस्थितिकी तंत्र और सुरक्षा को लेकर उठाए गए थे, वह समूचे सुरंग मार्ग के लिए था या सिर्फ सिल्क्यारा के लिए था?

गौरतलब है कि भूस्खलन के कारण 12 नवंबर की सुबह सिल्क्यारा-बड़कोट सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था। और सुरंग में दीवाली के दिन भी काम कर रहे करीब 41 मजदूर अंदर ही फंस गये थे। और 16 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद मजदूरों को बाहर निकाला गया था।

सिल्क्यारा सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को निकालने में लगी ऑगर ड्रिलिंग मशीन खराब हो गयी थी। अंत में रैट माइनर्स को बुलाकर सुरंग में लगाया गया। तब जाकर मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता मिली।

तब पर्यावरणविदों से लेकर सुरक्षा में लगी तमाम एजेंसियों ने सुरंग के निर्माण में पर्यावरण और सुरक्षा मानकों के उल्लंघन का आरोप लगाया था। सुरंग के धंसने के कारणों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया था। लेकिन अब जांच रिपोर्ट आने के पहले ही फिर से काम शुरू कर दिया गया।

राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड के निदेशक अंशू मनीष खलखो ने उत्तरकाशी में संवाददाताओं से कहा कि “पर्वतीय सुरंग के सिल्क्यारा की तरफ जांच जारी है, लेकिन निर्माण कंपनी ने बड़कोट की तरफ से अपना काम शुरू कर दिया है।” खलखो ने कहा, “निर्माण कंपनी बचाव अभियान का खर्च वहन करेगी।”

हालांकि, एक विशेषज्ञ ने चेतावनी दी कि यदि भूवैज्ञानिक अनुसंधान, प्रभाव आकलन और भागने के मार्गों के निर्माण सहित सुरंग निर्माण मानदंडों की अनदेखी जारी रही तो ऐसी आपदाएं घटती रहेंगी।

कुछ विशेषज्ञों ने निर्माण कंपनी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंदीदा चार धाम तीर्थयात्रा परियोजना का हिस्सा, सुरंग को पूरा करने की जल्दी में सुरक्षा शर्तों के साथ-साथ भूगर्भीय दोषों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लंबे समय तक चले बचाव अभियान में हुए खर्च पर अब तक हर सवाल को टाल दिया है, जिसमें दर्जनों भारतीय एजेंसियों के साथ-साथ विदेशी कंपनियां और विशेषज्ञ भी शामिल थे।

धामी ने गुरुवार को ऑपरेशन में कार्यरत 12 रैट-होल खनिकों में से प्रत्येक को 50,000 रुपये के चेक सौंपे। यह पैसा उत्तरकाशी प्रशासन द्वारा आवंटित किया गया था, जिसने फंसे हुए 41 मजदूरों में से प्रत्येक को 1 लाख रुपये के चेक भी दिए थे।”

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री डॉ. वीके सिंह ने बचाव से पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि परियोजना को बंद नहीं किया जाएगा। परियोजना का भविष्य बहुत उज्ज्वल है।

उत्तराखंड के विकास वैज्ञानिक रवि चोपड़ा ने कहा कि “अगर हम अपने पहाड़ों की प्रकृति को समझते हैं तो सिल्क्यारा जैसी घटनाओं से हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए। नियमों का मामूली उल्लंघन आसानी से ऐसी घटना का कारण बन सकता है।”

चोपड़ा ने सड़क चौड़ीकरण के लिए दी गई अनुचित छूट के विरोध में 2022 में चार धाम ऑल-वेदर हाईवे परियोजना की व्यवहार्यता पर रिपोर्ट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।

उन्होंने कहा, “ऐसी (सुरंग) परियोजनाओं को शुरू करने से पहले सावधानीपूर्वक भूवैज्ञानिक अनुसंधान जरूरी है, लेकिन सिल्क्यारा के मामले में ऐसा नहीं किया गया।”

“जो भी अध्ययन किया गया वह पूरा नहीं हुआ क्योंकि वे सुरंग बनाने की जल्दी में थे। प्रभाव का आकलन भी नहीं किया गया। सुरक्षा उपायों की अनदेखी की गई और (बग़ल में) निकास सुरंगें नहीं बनाई गईं।”

बड़कोट के एक ग्रामीण ने संवाददाताओं को बताया कि “गुरुवार सुबह लगभग 40 मजदूरों और ऑगर मशीनों, स्लरी मशीनों और बैकहोज़ सहित कुछ भारी उपकरणों ने रेडी टॉप (पहाड़ी) के माध्यम से खुदाई शुरू की। उन्होंने इलाके की घेराबंदी कर दी है।”

गौरतलब है कि 4,531 मीटर लंबी सुरंग एक बार पूरा होने पर गंगोत्री और यमुनोत्री के बीच यात्रा को लगभग 25 किमी कम कर देगी।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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