वाराणसी। “एक जनप्रतिनिधि होने के नाते प्रथम दायित्व तो बनता ही है कि वह अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं, परेशानियों को सुने-समझे और उसका समयबद्ध तरीके से समाधान भी कराये, लेकिन देश के प्रधानमंत्री जी ने तो सुनना समझना भी मुनासिब नहीं समझा है। जबकि वह इसी बनारस के सांसद भी हैं फिर भी उन्होंने हमारी पीड़ा को सुनने की जरूरत महसूस नहीं की?”
यह कहना है उन बेटियों का जो पिछले दिनों बीएचयू कैंपस में छात्रा के साथ हुई सामूहिक दरिंदगी में कार्रवाई को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रही थीं। जिन्हें पुलिस और बीएचयू के सुरक्षा गार्डों के सामने अपमानित होना पड़ा है, उनके साथ मारपीट की गई। हद तो यह है कि मारपीट के दौरान उनके प्राइवेट पार्ट को हाथ लगाया गया, छेड़खानी की गई, लेकिन कार्रवाई तो दूर किसी ने बोलना भी मुनासिब नहीं समझा।
बीएचयू की छात्राओं का सवाल है कि “सरकार और देश के मुखिया (प्रधानमंत्री) जी ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ का नारा बुलंद कर रहे हैं। वहीं उन्हीं के अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बेटी की इज्जत उन्हीं के बलात्कारी कार्यकर्ता नोंचते रहे हैं, जिन्हें दो महीने तक सत्ता के संरक्षण में पालने (बचाने) पोसने के बाद अब लोकसभा चुनाव को देखते हुए पुलिस को सौंप गिरफ्तारी का ढोंग रचा जा रहा है। आखिरकार ऐसा घिनौना खेल कब तक, क्यों और किसके लिए?”
बीएचयू कैंपस में छात्रा संग हुए सामूहिक दरिंदगी की घटना के ठीक दो माह बाद हुई गिरफ्तारी भले ही पुलिस प्रशासन के लिए कामयाबी कही जा सकती है, लेकिन इस गिरफ्तारी के ढोल में अनगिनत पोल नजर आ रहे हैं। दरिंदगी का शिकार हुई छात्रा के मोबाइल और दरिंदों ने जिस असलहे का खौफ दिखाकर छात्रा की इज्जत को तार-तार किया था, का ना बरामद होना भी पुलिस की इस कामयाबी पर पानी फेरते हुए सवाल खड़े कर रहा है।

सत्ता संरक्षण के साथ लीपापोती का आरोप
गुरुवार, 4 जनवरी 2024 को सायं काल मौसम की बंदिशों और बेरूखी के बीच एकत्र हुए छात्र-छात्राओं ने बीते वर्ष 1 नवंबर 2023 को छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले में लीपापोती का आरोप लगाया है। छात्र-छात्राओं ने कहा कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों को सत्ता और सरकार से जुड़े नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। इनकी गिरफ्तारी से कहीं ज्यादा अहम यह है कि अब तक इन आरोपियों बचा कौन रहा था? इसकी भी निष्पक्ष जांच हो और उन पर कड़ी से कड़ी कार्र्वाई हो।
पांच सूत्रीय मांगों को लेकर एकत्र हुए छात्र-छात्राओं ने बीएचयू कैंपस में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का प्रवेश प्रतिबंधित करने, बीएचयू के छात्र छात्राओं पर पूर्व में एबीवीपी द्वारा किए गए झूठे मुकदमे वापस लिए जाने, विश्वविद्यालय में तत्काल जीएस कैश की बॉडी बनाने सहित कैंपस में लड़कियों के लिए लागू कर्फ्यू टाइमिंग को हटाये जाने की मांग रखी।
बीएचयू गैंगरेप की पीड़िता को न्याय दिलाने और अपराधियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग को लेकर बीएचयू के छात्र एवं नागरिक समाज द्वारा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) वाराणसी के लंका गेट पर प्रदर्शन का आयोजन किया गया। जिसमें वाराणसी के नागरिक समाज के साथ छात्र-छात्राएं शामिल हुईं।
भगत सिंह छात्र मोर्चा की इप्शिता ने अपनी बात रखते हुए कहा कि “यह आरोपी मध्य प्रदेश के चुनाव में किस तरह पहुंचे इसका जवाब सरकार दे। ऑल इण्डिया स्टूडेंट एसोसिएशन (AISA) की सोनाली ने कहा “आखिर ये डबल इंजन की सरकार जो इतने बड़े दावे करती हैं उनके शासन में ये अपराधी दो महीने तक खुले कैसे घूम रहे?”

AIPWA से सुनीता ने आरोप लगाया कि “यह सरकार बलात्कारियों को संरक्षण देने का काम करती है, कैंपस के भीतर भी और कैंपस के बाहर भी, जिसकी दोहरी नीति बेटियों के लिए घातक हो रही है।” किसान महासभा की नेता कृपा वर्मा ने कहा कि वह बीएचयू की छात्राओं को सलाम करती हैं कि इतने दमन के बाद भी उन्होंने यह आंदोलन जारी रखा है। स्टूडेंट फ्रंट के शशिकांत ने कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाए और कैंपस में जीएस कैश को बहाल करने की मांग की।
भगत सिंह स्टूडेंट मोर्चा की आकांक्षा आजाद ने बताया कि सिलसिलेवार तरीके से यह पूरी घटना किस तरह हुई और इस सवाल को उठाया कि जहां लड़कियां पढ़ने आई हैं वहां इस तरह की घटना होने के बाद लड़कियों में किस प्रकार डर का माहौल है। इसे देखा और समझा जा सकता है।”
इनकी प्रमुख मांगे हैं
- अब तक आरोपियों को कौन बचा रहा था उसकी निष्पक्ष जांच हो तथा उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो।
- एबीवीपी का कैंपस में प्रवेश प्रतिबंधित हो।
- बीएचयू के छात्र छात्राओं पर एबीवीपी द्वारा किए गए झूठे मुकदमें वापस लिए जाए।
- विश्वविद्यालय में तत्कालीन प्रभाव से जीएस कैश की बॉडी लागू की जाए।
- कैंपस में लड़कियों के लिए लागू कर्फ्यू टाइमिंग को हटाया जाए।
दरअसल, देश ही नहीं समूचे विश्व में विख्यात काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) परिसर में बीते वर्ष 1 नवंबर 2023 की रात में आईआईटी की एक छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म की शर्मनाक घटना को अंजाम दिया गया था। इस घटना को लेकर शुरू से ही जहां छात्र विरोध प्रदर्शन करते आए हैं वहीं अपराधियों को बचाने का भी आरोप लगाया जा रहा था।

दो महीने बाद 31 दिसंबर 2023 को तीनों आरोपियों को पुलिस ने बड़े ही नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया। ये आरोपी भी कोई और नहीं बल्कि सत्ताधारी दल भाजपा के पदाधिकारी हैं। जो बीएचयू की घटना को अंजाम देकर मध्य प्रदेश के चुनाव प्रचार में शामिल होने के लिए निकल गए थे।
इतनी बड़ी घटना के बाद भी इन लोगों को पुलिस समय पर पकड़ने पर नाकाम रही, कारण साफ है कि इनकी पहुंच पार्टी के शीर्ष नेताओं तक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी सहित कई नेताओं के साथ तक इन आरोपियों की तस्वीरें यह बताने के लिए काफी हैं। बीएचयू की बेटी के यह बलात्कारी संस्कारित पार्टी से गहरी यारी रखते हैं।
अभी तक हुई जांच से यह खुलासा हुआ है कि तीनों आरोपी पहले भी कैंपस में लड़कियों के साथ छेड़खानी करते आए है। तकरीबन रोज यह लोग 11 से 2 बजे तक इस तरह के मौकों के इंतजार में कैंपस में घूमा करते थे।
प्रदर्शनकारी छात्राएं कहतीं हैं कि “हम सब जानते हैं कि यह कोई पहली घटना नहीं है जब अपराधी या बलात्कारी का संबंध भाजपा से न रहा हो। भाजपा और आरएसएस जैसे संगठनों ने देश में राजनीतिक स्तर को इतना नीचे गिरा दिया है कि अपराधी होना इन संगठनों में प्रोमोशन की आवश्यक शर्त बन चुकी है। कठुआ, उन्नाव, सोनभद्र से लेकर हाथरस तक हुए बलात्कर की घटनाओं में बीजेपी नेता या तो संलिप्त मिले हैं या फिर अपराधियों के साथ खड़े पाए गए हैं।

उन्होंने कहा कि मणिपुर में सैकड़ों महिलाओं के साथ बलात्कर होता रहा, लेकिन प्रधानमंत्री की चुप्पी नहीं टूटी। महिला पहलवान पिछले एक साल से न्याय की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता। बिल्किस बानो के बलात्कारियों को पहले जेल से रिहा कराना और फिर उनका फूल मालाओं से स्वागत, भाजपा के असली चाल, चरित्र, चेहरे को उजागर करता है।
सरकार के संरक्षण में बढ़ रहा है ऐसे अपराधियों का मनोबल
सरकार द्वारा की जाने वाली नकारात्मक कार्यवाहियों के कारण भाजपा नेताओं में ऐसे अपराध करने की प्रवृत्ति विकसित होती जा रही हैं। सरकार द्वारा लगातार ऐसे अपराधियों का मनोबल बढ़ाया जा रहा है। भाजपा ने ही सोशल मीडिया ट्रोलिंग की संस्कृति विकसित की, जहां महिला विरोधी गाली गलौच करना इनके कार्यकर्ताओं की दिनचर्या का हिस्सा हो गया।
बीएचयू गैंगरेप मामले में ही अपराधियों पर कार्रवाई करने के बजाय पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग करने वाले छात्र छात्राओं पर झूठे मुकदमें लादे गए। एबीवीपी को प्रदर्शनकारी छात्र छात्राओं पर हमले की खुली छुट दे दी गयी। पूरा पुलिस महकमा और प्रशासन हमलावर एबीवीपी के साथ खड़ा दिखा।
जबकि एक तरफ सरकार ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देती है दूसरी तरफ पढाई करने आई बेटियां अपने ही कैंपस में सुरक्षित नहीं हैं। ऐसे में सरकार का यह नारा महज़ दिखावा बन कर रह गया है। और इस पर सवाल भी खड़े होने लगे हैं कि आखिरकार ऐसे माहौल में बेटियां भला कैसे उन्मुख होकर पढ़ेंगी?
भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ते जा रहे हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार यूपी महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में पहले स्थान पर है। एनसीआरबी, 2023 के आंकड़ों के अनुसार बनारस में हर छठवें दिन बलात्कार की घटना हो रही है। इन आंकड़ों के अनुसार ही बनारस में 18 वर्ष से कम उम्र के 46 बच्चे-बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटना हुई वहीं महिलाओं के साथ रेप के 61 मामले आए हैं।

बीएचयू परिसर में इस घटना के बाद प्रशासन द्वारा पुलिस की तैनाती और छात्राओं पर कर्फ्यू टाइमिंग थोपकर उन्हें हॉस्टल में कैद करने की कवायद शुरू की गई है। जबकि एनसीआरबी के आंकड़ें इस बात की गवाही दे रहे हैं कि जो इलाके पूरी तरह से पुलिस के नियंत्रण में हैं वहां छेड़खानी, बलात्कार जैसे अपराध बढ़ ही रहे हैं। एक लंबे समय से बीएचयू में विशाखा गाइडलाइंस को लागू कर GSCASH के गठन की मांग चल रही है जिसे प्रशासन द्वारा लगातार नजरंदाज किया जाता रहा है।
दरिंदों की गिरफ्तारी के बाद सुलगते सवाल
आईआईटी-बीएचयू में बीटेक की छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार मामले में वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र के सुंदरपुर की बृज एन्क्लेव कॉलोनी निवासी जिस कुणाल पांडेय, बजरडीहा के जिवधीपुर के आनंद उर्फ अभिषेक चौहान और जिवधीपुर मुहल्ले के ही सक्षम पटेल को पुलिस ने 30 दिसंबर 2023 की रात में गिरफ्तार किया है। वह तीनों अभियुक्त भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आईटी सेल के पदाधिकारी रहे हैं।
कुणाल पांडेय बीजेपी की महानगर इकाई में आईटी विभाग का संयोजक था और सक्षम पटेल सह-संयोजक। जबकि आनंद उर्फ अभिषेक चौहान के राष्ट्रीय स्वयंसेवक सेवक संघ (आरएसएस) के एक प्रचारक से करीबी रिश्ते सामने आए हैं। जिस पर भाजपा और आरएसएस जहां पूरी तरह से विपक्षी दल कांग्रेस, सपा और आम आदमी पार्टी के निशाने पर हैं तो वहीं सत्ताधारी दल को बचाव में कोई जवाब देते हुए नहीं बन रहा है।
भगत सिंह छात्र मोर्चा की इप्शिता “जनचौक” को बताती हैं कि 1 नवंबर की रात की घटना के बाद अपराधियों की पहचान हो गई थी। परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे की छानबीन से भी बहुत कुछ हासिल हो गया था। फिर भी इनकी गिरफ्तारी न कर राजकीय मेहमानों की तरह इन्हें किसके कहने पर मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रचार के लिए भेजा गया था? चुनाव सम्पन्न हो जाने और सरकार बन जाने के बाद इनका यूपी लौटना, फिर इनकी गिरफ्तारी का दिखावा यह सबकुछ सत्ता संगठन और इन बलात्कारियों की नजदीकियों को उजागर करता है।

पुलिस की थ्योरी और उठते सवाल
कहानी को गढ़ने और खुलासा कर पीठ थपथपाने में यूपी पुलिस का कोई सानी नहीं है। वाराणसी के लंका थाना पुलिस को ही देखें, जिस बीएचयू कैंपस में छात्रा संग हुए सामूहिक बलात्कार के आरोपी को वह दो महीनों से पकड़ नहीं पा रही थी उसे दो महीनों के बाद पकड़ा भी तो बिना किसी ठोस पूछताछ और बरामदगी के उन्हें जेल भी भेज दिया।
जबकि आमतौर पर पुलिस कुछ गंभीर मामलों में पकड़े गए अभियुक्तों से अपराध में शामिल औजार इत्यादि की बरामदगी पर ज्यादा जोर देती है और बाकायदा मीडिया के समक्ष बर्क आउट खुलासा करती है, लेकिन बीएचयू बलात्कार मामले में पुलिस की थ्योरी समझ से परे रही है।
पकड़े गए अभियुक्तों के पास से उनके मोबाइल को पुलिस कब्जे में ले लिए जाने की बात तो करती है, लेकिन पीड़ित छात्रा का मोबाइल कब बरामद होगा के सवाल पर चुप्पी तन जाती है। इसी प्रकार पुलिस अभी तक वह असलहा भी नहीं बरामद कर पाई है जिससे आतंकित कर उसके साथ बलात्कार किया गया था। इसी प्रकार ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब पुलिस को देते नहीं बन रहा है।
वाराणसी के सांसद कब सुनेंगे पुकार?
मौसम के बेरूखी भरे मिजाज के बावजूद कड़ाके की ठंड में अपनी मांगों को लेकर एकत्र छात्र-छात्राओं को इस बात का भी मलाल है कि अभी तक किसी भी सत्ताधारी दल के नेता या जनप्रतिनिधि ने उन पीड़ितों की आवाज को सुनकर न्याय दिलाने का साहस नहीं किया है। और तो और खुद देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी पीड़ित छात्रों के मन की बात को सुनना गंवारा नहीं समझा है। जबकि वह इसी वाराणसी के सांसद हैं।
(वाराणसी से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट)
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