प्रधानमंत्री में अपनी उपलब्धियों को दिखाकर चुनाव जीतने का आत्मविश्वास नहीं: सिद्धारमैया

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नई दिल्ली। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने गुरुवार को कांग्रेस आलाकमान के उस फैसले का समर्थन किया है जिसमें पार्टी ने अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होने का फैसला लिया है। सिद्धरमैया ने एक्स पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं का राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में नहीं जाने का फैसला बिल्कुल सही है। उन्होंने बीजेपी और आरएसएस को जमकर लताड़ लगाई है और आरोप लगाया है कि बीजेपी और आरएसएस राम मंदिर के उद्घाटन समारोह को अपने चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल कर रही है।  

उन्होंने राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव के कथित बयान का जिक्र करते हुए कहा कि इससे हिंदुओं में विभाजन पैदा होगा। ट्रस्ट के सचिव ने कहा था कि राम मंदिर में शैव और शाक्तों का कोई अधिकार नहीं है।

उन्होंने कहा कि कथित तौर पर चार शंकराचार्यों ने “राजनीति के लिए राम मंदिर के दुरुपयोग के विरोध में” मंदिर के अभिषेक का बहिष्कार किया है।

उन्होंने एक्स पर किए अपने पोस्ट में कहा कि “एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, हमारी वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर चौधरी का अयोध्या में रामलला स्थापना समारोह में भाग नहीं लेना एक सही फैसला है और मैं इस फैसले का समर्थन करता हूं।“

उन्होंने भाजपा और आरएसएस पर एक धार्मिक कार्यक्रम को पार्टी समारोह में बदलने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह धार्मिक आयोजन, जिसे जाति, धर्म और पार्टी लाइनों से ऊपर उठकर भक्ति और सम्मान के साथ आयोजित किया जाना चाहिए, को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ परिवार के नेताओं ने एक पार्टी कार्यक्रम में बदल दिया है, जो भगवान राम और 140 करोड़ जनता का अनादर करता है। एक धार्मिक समारोह जिसे श्रद्धा के साथ आयोजित किया जाना चाहिए था उसे एक राजनीतिक अभियान में बदल दिया गया है, जो सभी हिंदुओं के साथ विश्वासघात है।

उन्होंने ये भी कहा कि राम मंदिर का निर्माण अभी अधूरा है और भाजपा और आरएसएस हिंदुत्व का दिखावा करती है। उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस नेता जो अक्सर हिंदू संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों पर व्याख्यान देते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अधूरे राम मंदिर के उद्घाटन के कृत्य पर चुप हैं। यह चुप्पी उनके हिंदुत्व के पाखंडी संस्करण को उजागर करती है।

सिद्धरमैया ने एक्स पर लिखा कि राम जन्मभूमि विवाद की शुरुआत से ही कांग्रेस लगातार अपना रुख बनाए हुए है। कांग्रेस ने अदालत के फैसले का सम्मान किया और राम मंदिर के निर्माण का पूरा समर्थन किया। मुस्लिम समुदाय ने भी कोर्ट के फैसले को स्वीकार कर न्यायपालिका के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।

हालांकि, भाजपा, आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों ने तुरंत सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अपने पक्ष में स्वीकार कर लिया जिससे उनका पाखंड साफ दिखाई पड़ता है। इन संगठनों ने शुरू में ये तर्क दिया था कि राम जन्मभूमि मुद्दा आस्था का मामला है और कोर्ट को इसका फैसला नहीं करना है।

सिद्धरमैया ने आरोप लगाया कि राम मंदिर का उपयोग भाजपा और आरएसएस अपने राजनीतिक लाभ के लिए कर रही है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव के इस बयान से विवाद खड़ा हो गया है कि राम मंदिर में शैव और शाक्तों का कोई अधिकार नहीं है। अगर यह सच है तो यह सभी शैव भक्तों का अपमान है। ये हिंदुओं को विभाजित करने वाली घटना है।

उन्होंने पीएम मोदी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में अपनी उपलब्धियों को दिखाकर चुनाव जीतने का आत्मविश्वास नहीं है। उन्होंने हिंदुत्व की भावना को भड़काने और अपनी विफलताओं पर पर्दा डालने के लिए चुनाव के दौरान अधूरे राम मंदिर का उद्घाटन करने की जल्दबाजी की है।

पिछले 30-35 वर्षों में भगवान राम के नाम पर भाजपा और संघ परिवार जो राजनीतिक शोषण कर रही है उसे देश की जनता ने करीब से देखा है। मेरा मानना है कि वे दोबारा इस झूठे हिंदुत्व के जाल में नहीं फंसेंगे। लोग अब ईंटों के नाम पर जुटाए गए चंदे के हिसाब-किताब पर सवाल उठा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हम हिंदू धर्म के खिलाफ नहीं हैं लेकिन हम राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धर्म का उपयोग करने के पूरी तरह खिलाफ हैं। हमें महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, कनकदास, नारायण गुरु, कुवेम्पु जैसी कई महान हस्तियों द्वारा अपनाए गए हिंदू धर्म से कोई दिक्कत नहीं है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस भाजपा और संघ परिवार का अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले झूठे हिंदुत्व का विरोध करना जारी रखेगी।

उन्होंने कहा कि एक जन प्रतिनिधि के रूप में मैंने मंदिरों के उद्घाटन और जीर्णोद्धार सहित सैकड़ों धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लिया है। मैंने अपने गांव में भक्तिभाव से राम का मंदिर बनवाया है और उसकी पूजा करता हूं। इसी तरह मैंने मस्जिदों और चर्चों के धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लिया है और सम्मान दिखाया है। सभी धर्मों के सम्मान के संवैधानिक सिद्धांत को कायम रखते हुए मैं और हमारी पार्टी इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।

उन्होंने कहा कि भगवान राम का सम्मान करना और रोज उनकी पूजा करना उतना ही धार्मिक कर्तव्य है जितना कि उन लोगों के खिलाफ आवाज उठाना जो राम को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करते हैं।

(‘द टेलिग्राफ’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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