एजेंडा यूपी: तानाशाही नहीं लोकतंत्र चाहिए के लिए बुलंद हुई आवाज

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लखनऊ। देश में रिक्त पड़े एक करोड़ पदों को तत्काल भरने, हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, दलित-अति पिछड़े-आदिवासी भूमिहीन, गरीबों को आवासीय भूमि व आजीविका के लिए एक एकड़ भूमि, सहकारी खेती को प्रोत्साहन, किसानों के लिए एमएसपी कानून, नए लेबर कोडों की समाप्ति, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, स्तरीय व निशुल्क शिक्षा व स्वास्थ्य की गारंटी तथा इन पर बजट में बढ़ोत्तरी, नागरिक अधिकारों की रक्षा जैसे ज्वलंत मुद्दों को दारूल शफा में आयोजित एजेंडा यू. पी. 2023-24 के सम्मेलन में उठाया गया। प्रदेश में रोजगार और जमीन के सवाल पर चल रहे आंदोलन को मजबूती प्रदान करने और एजेंडा यूपी द्वारा उठाए गए मुद्दों को लेकर प्रदेश स्तर पर अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। सम्मेलन को प्रदेश के विभिन्न विचार समूहों, राजनीतिक लोकतांत्रिक दलों, संगठनों व आंदोलनों के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि तानाशाही का सबसे बड़ा शिकार लोकतंत्र हो रहा है। संविधान में वर्णित सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय के सवालों को उठाने पर दमन और उत्पीड़न किया जा रहा है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के निवेश और रोजगार सृजन का प्रोपेगैंडा सच्चाई से परे है, हालत यह है कि बैंकों में लोगों की जमा पूंजी का भी बड़ा हिस्सा बाहर चला जाता है और बेकारी की भयावह स्थिति की वजह से पलायन में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। गरिमापूर्ण रोजगार और नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है। इसके अलावा हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी संभव है, बशर्ते इसके लिए संसाधनों की उपलब्धता हेतु कार्पोरेट पर संपत्ति और उत्तराधिकार कर लगा दिया जाए।


वक्ताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 94 प्रतिशत दलित और 92% आदिवासी मजदूरी के ऊपर जिंदा है जिनमें से आधे परिवार भूमिहीन हैं, ऐसे में उनकी आजीविका के लिए एक एकड़ जमीन देकर रोजगार सृजित किया जा सकता है साथ ही इससे प्रदेश का विकास भी सुनिश्चित किया जा सकता है। वक्ताओं ने कहा की शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र के अनदेखी का परिणाम यह है कि प्रदेश में इनका इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत बुरी हालत में है। ऐसे में शिक्षा और स्वास्थ्य पर बजट बढ़ाना बेहद जरूरी है। उत्तर प्रदेश में खेती किसानी की हालत बेहद बुरी है सिंचाई की भी सुविधा नहीं है, बिजली बिल माफी योजना का लाभ भी आज तक नहीं मिला। प्रदेश में जन मुद्दों पर जन अभियान चलाना वक्त की जरूरत है।


सम्मेलन को ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी, पूर्व कैबिनेट मंत्री दद्दू प्रसाद, अंबेडकर जन मोर्चा के संयोजक श्रवण कुमार निराला, पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन के विजय बंधु, लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण समिति के आलोक सिंह, संयुक्त युवा मोर्चा के केंद्रीय टीम के सदस्य राजेश सचान, दलित शोषण मुक्ति मंच के प्रदेश संयोजक गोविंद नारायण, रेड ब्रिगेड की ऊषा विश्वकर्मा, गोरखपुर की सीमा गौतम, दलित चिंतक अलख निरंजन, आइपीएफ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ बी. आर. गौतम, दलित चिंतक डॉक्टर राम प्रकाश गौतम, युवा शक्ति संगठन के संयोजक गौरव सिंह, मजदूर किसान मंच की उपाध्यक्ष सुनीला रावत, युवा भारत के राम शंकर, एडवोकेट आनंद गौतम, एडवोकेट वीरेंद्र त्रिपाठी, संतराम, अखिलेश यादव, संतोष धइकार, राधेश्याम कन्नौजिया ने संबोधित किया। सम्मेलन का प्रस्ताव मजदूर किसान मंच के प्रदेश मंत्री डॉ बृज बिहारी ने रखा और सम्मेलन का संचालन आईपीएफ के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने किया।

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