हेमंत सोरेन गिरफ्तार, चंपई सोरेन की सरकार बनाने की दावेदारी, ईडी अधिकारियों पर FIR

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रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। इसके पहले उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। वे खुद शाम करीब सवा आठ बजे इस्तीफा लेकर राजभवन पहुंचे। वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन ने चंपई सोरेन को नया नेता चुन लिया है। चंपई सोरेन को नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाने की मांग लेकर गठबंधन के विधायक राजभवन पहुंचे थे।

हेमंत सोरेन से मंगलवार दोपहर 1 बजे से पूछताछ हो रही थी। उन्हें आज कोर्ट में पेश किया जाएगा। राज्यपाल ने सरकार बनाने के दावे पर विचार करके बताने को कहा है। इस बीच उनकी तरफ से बड़ा कानूनी दांव लाया गया है। उन्होंने ईडी के अधिकारियों के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज करवा दी है।

इसके पहले ईडी ने हेमंत सोरेन को सूचित कर दिया कि वह उन्हें गिरफ्तार कर रही है। बताया जा रहा है कि सोरेन के जवाब से संतुष्ट नहीं होने के बाद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार करने का फैसला किया, लेकिन रिपोर्ट लिखे जाते समय तक हेमंत सोरेन को औपचारिक तौर पर गिरफ्तार नहीं किया गया था। 

हेमंत सोरेन को ED के दफ्तर ले जाया गया, दूसरे राउंड की पूछताछ होगी। सोरेन को गिरफ्तार किए जाने के संकेत शाम करीब पांच बजे ही मिल गए थे। इसके साथ ही सत्तारूढ़ गठबंधन ने नए नेता की अगुवाई में सरकार बनाने की तैयारी तेज कर दी थी।

गठबंधन के तमाम विधायक बुधवार सुबह से सीएम हाउस में जमा थे। मंगलवार को सोरेन की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय कर लिया गया था कि उनकी गिरफ्तारी की नौबत आने पर नए नेता की अगुवाई में सरकार के लिए दावा पेश किया जाएगा।

हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की आशंका के बाद उन्हीं के कैबिनेट में मंत्री चंपई सोरेन को प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री चुना गया है। चंपई को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। पहले हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के सीएम बनाए जाने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन परिवार के आंतरिक कलह को देखते हुए चंपई सोरेन के नाम पर पार्टी में सहमति बनाई गई।

सत्ताधारी दल के विधायकों ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को चंपई सोरेन के पक्ष में अपना समर्थन पत्र सौंप दिया है। यानि कि अब हेमंत सोरेन की जगह चंपई सोरेन झारखंड के नए सीएम बन सकते हैं।

हेमंत सोरेन ने बड़ा कानूनी दांव चलते हुए दिन में ही उन्होंने ईडी के अधिकारियों के खिलाफ ही एफआई आर दर्ज़ करवा दी है। एसटी-एससी थाने में सीएम सोरेन की तरफ से ये एफआई दर्ज करवाई गई है।

असल में राजधानी दिल्ली में ईडी के अधिकारियों ने सीएम सोरेन के आवास पर रेड डाली थी, वहां से भारी मात्रा में कैश भी बरामद किया गया था। अब उसी कार्रवाई के खिलाफ उनकी तरफ से ये एफआई दर्ज करवाई गई है।

जानकारी के लिए बता दें कि सीएम सोरेन इस समय एक जमीन घोटाले से जुड़े मामले में फंसे हुए हैं। उन पर आरोप है कि फर्जी नाम-पता के जरिए सेना की जमीन को खरीदा गया था। बताया गया कि 4.55 एकड़ जमीन की खरीद-बिक्री हुई थी।

इस मामले में सबसे पहले ईडी द्वारा ही इसीआइआर दर्ज की गई थी और जांच शुरू हुई। इस समय एक आदिवासी जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर भी सीएम सोरेन की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। उस मामले में भी उन्हें बार-बार समन भेजा जा रहा है।

जांच एजेंसी ने इस मामले में अभी तक 14 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें एक 2011 बैच के आईएस अधिकारी छवि रंजन को भी गिरफ्तार किया गया था। अब माना ये जा रहा है कि इस मामले में क्योंकि अभी तक सीएम सोरेन द्वारा ज्यादा सहयोग नहीं किया गया है, ऐसे में किसी भी वक्त उनकी गिरफ्तारी हो सकती है।

दिल्ली के सीएम केजरीवाल, आरजेडी नेता लालू यादव, तेजस्वी यादव से लेकर टीएमसी के अभिषेक बनर्जी, अशोक गहलोत के बेटे, शरद पवार के रिश्तेदार, शिवसेना यूबीटी के संजय राउत, कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार, कार्ति चिदंबरम, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, आप नेता मनीष सिसोदिया व संजय सिंह, केसीआर की बेटी तक पर ईडी की किसी न किसी तरह की कार्रवाई चल रही है।

नेहरू-गांधी परिवार में सोनिया और राहुल भी ईडी की जांच के दायरे में हैं। यानी चुनाव से पहले पूरे के पूरे विपक्ष पर ईडी का किसी न किसी तरह का मामला है।

वैसे, विपक्षी दल आरोप लगाते रहे हैं कि ऐसी कार्रवाइयों से विपक्षी दलों को बदनाम करने, प्रतिशोध की कार्रवाई करने और नेताओं को तोड़कर बीजेपी में शामिल करने की कोशिश की जाती रही है। विपक्षी दलों ने कई बार आरोप लगाया है कि एक समय हिमंत बिस्व सरमा पर कई मामले थे, लेकिन जब वह बीजेपी में शामिल हो गए तो अब कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

उसी तरह के आरोप अजित पवार पर भी लगते रहे हैं। शारदा चिटफंड में शामिल पश्चिम बंगाल के कई नेताओं पर इसके आरोप लगे थे, लेकिन जब उनमें से कई नेता बीजेपी में शामिल हो गए तो फिर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई। मायावती को इस संदर्भ में नाम लिया जाता रहा है।

विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ जो ये कार्रवाइयां हुई हैं, उनमें से कुछ मामले तो सीधे उन नेताओं से जुड़े हुए हैं और कुछ मामले रिश्तेदारों या फिर कर्मचारियों से पूछताछ के आधार पर हैं। कुछ मामलों में तो गिरफ़्तारी हुई है और कुछ मामलों में एफ़आईआर दर्ज हैं। कुछ मामलों में सिर्फ़ समन भेजा गया है और कुछ मामलों में कथित तौर पर जानकारी निकालने के लिए ही पूछताछ की गई है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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