प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र में रेलवे कर्मचारियों ने दिखाई ताक़त, एनपीएस-निजीकरण भारत छोड़ो “जन संवाद”

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वाराणसी। प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में पूर्वोत्तर रेलवे कोचिंग डिपो के सामने, रेलवे मैदान में “फ्रंट अगेंस्ट एनपीएस इन रेलवे” एलायंस “नेशनल मूवमेंट फ़ॉर ओल्ड पेंशन स्कीम”, व “एनई रेलवे मेंस कॉग्रेस” सम्बद्ध “इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन” व “ऐक्टू” के तत्वावधान में एनपीएस निजीकरण भारत छोड़ो जन संवाद हजारों पेंशन विहीन रेलवे कर्मचारियों की भागीदारी के साथ सम्पन्न हुआ। जन संवाद में रेलवे के कई जोनो में ऐक्टू से संबद्घ रेलवे में कार्यरत विभिन्न यूनियन व कटेरिगकल एसोसिएशन के साथ ही छात्र, किसान, संगठित व असंगठित क्षेत्र के मजदूर, बेरोजगार नौजवान, महिला, बुद्धिजीवी व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भागीदारी किया।

जन संवाद को सम्बोधित करते हुए नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम, राष्ट्रीय अध्यक्ष- व जन संवाद के मुख्य अतिथि विजय कुमार बंधु ने कहा कि हमें एनपीएस में संसोधन नही हुबहू पुरानी पेंशन चाहिए।

इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन, राष्ट्रीय अध्यक्ष व जन संवाद के विशिष्ट अतिथि मनोज पाण्डेय ने कहा कि राम को लाने का नाटक बंद करो। राम कहीं गए नहीं थे, वो हमेशा हमारे साथ हैं, गई है तो हमारे बुढापे का सहारा पेंशन, जिन्हें लाना हमारा मकसद है।

एनई रेलवे मेंस कॉग्रेस, के केंद्रीय अध्यक्ष व जन संवाद की अध्यक्षता करते हुए अखिलेश पाण्डेय ने कहा कि कई वर्षों के संघर्ष के बाद आज सरकारी कर्मचारियों का सबसे बड़ा मुद्दा पुरानी पेंशन बहाली बना है तभी तो ओपीएस खत्म कर एनपीएस लागू करवाने वाले सरकारी संगठन भी अपनी नौटंकी के साथ सक्रिय हुए हैं। रेलवे में मान्यता प्राप्त फेडरेशन रेलवे कर्मचारियों के साथ धोखा कर रही है।

फ़्रंट अगेंस्ट एनपीएस इन रेलवे के राष्ट्रीय महासचिव- राजेन्द्र पाल ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन को मुख्य मुद्दा बनाना हमारा लक्ष्य है।

नेशनल मूवमेंट टू सेव रेलवे के राष्ट्रीय प्रचार सचिव डॉ कमल उसरी ने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार अमीरों का लाभ और गरीबों का विनाश करते हुए पैंसेंजर ट्रेन का किराया एक्सप्रेस का कर रही है और वंदे भारत समेत सभी ट्रेनों के एसी चेयर कार और एग्जीक्यूटिव श्रेणी के किराए में 25% तक कटौती कर रही है।

जनता की सवारी भारतीय रेलवे के निजीकरण को सिर्फ़ रेलवे में कार्यरत कर्मचारी नही रोक पाएंगे, चूंकि भारतीय रेलवे से देश के युवाओं को सबसे अधिक रोजगार मिलता रहा है, रेलवे में लाखों वैकेंसी ख़ाली होने के बावजूद भी वर्षो से नई भर्ती बंद है, यात्रा के दौरान पूर्व में वरिष्ठ नागरिकों सहित आम अवाम को मिलने वाली तमाम सुविधाओ को वर्तमान केन्द्र सरकार ने बंद कर दिया है।

इसलिए सरकारी कर्मचारियों के साथ बेरोजगार नौजवान, छात्र, किसान, पत्रकार, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों की भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए ही एनपीएस निजीकरण भारत छोड़ो “जन संवाद” जैसे आयोजन हम लगातार कर रहें हैं। आम अवाम की भागीदारी से ही जनता की सवारी भारतीय रेलवे का निजीकरण हम रोकेंगे।

प्रसिद्ध लेखक व वरिष्ठ ट्रेंड यूनियन लीडर वीके सिंह ने कहा कि मेहनतकशों की एकजुटता ने ही नाजीवाद, फासीवादी को हराया था और पुनः वही एकता छात्र, किसान, मजदूर, नौजवान की बन रही है, जो भारत में पूंजीवाद और साम्प्रदायिकता के गठजोड़ से उपजी नफ़रत की राजनीति को खत्म करेगी।

चर्चित दलित चिंतक व इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. विक्रम ने कहा कि वर्तमान सरकार भारतीय संविधान को खत्म करते हुए मनुवाद को लागू करने की शुरुआत कर चुकी है, इसलिए ऐसे आयोजन की सख्त जरूरत है जो सभी वंचितों, शोषितों को एक साथ तमाम कमी कमजोरी के बावजूद एक साथ लाने की कोशिश करें।

उत्तर प्रदेश आइसा के प्रदेश उपाध्यक्ष मनीष कुमार ने कहा कि ज्ञान विज्ञान की तार्किकता पूर्ण सामाजिक अध्ययन के केंद्र रहे विश्विद्यालय आज हिन्दू राष्ट्र और ब्राह्मणवाद को लागू करने की प्रयोगशाला बन कर रह गए हैं, कैम्पस में पूरी तरह से लोकतंत्र खत्म हो गया है, शिक्षा के बाजारीकरण के खिलाफ आवाज़ उठाने पर क्रूरता और निर्ममतापूर्वक दमन करते हुए छात्रों को बर्खास्त और निलंबित किया जा रहा है।

कार्यक्रम की शुरूआत में रेलवे सेफ़्टी सेमिनार पर अपनी बातचीत रखते हुए पूर्वोत्तर रेलवे एलरसा ज़ोनल अध्यक्ष जे एन शाह एवं उत्तर रेलवे मंडल अध्यक्ष एसएस हांडा ने कहा कि रेलवे में नई भर्ती नहीं होने की वजह से रेलवे कर्मचारियों की बहुत कमी है, कर्मचारियों से नियमानुसार मैनुवल से अधिक काम लिया जा रहा है, ठेकाप्रथा व ऑउटसोर्सिंग से आने वाले कर्मचारियों में अनुभव की कमी वजहों से रेलवे में दुर्घटनाओं की बाढ़ आ गई है, सुरक्षा यंत्र की कमी के कारण हजारों ट्रैक मेंटेनर रनओवर हो रहे हैं, लोको पायलट बड़ी ही तकलीफ़ सहते हुए में रेलवे का परिचालन कर रहे हैं। कर्मचारियों की पीड़ा सुनने के रेलवे प्रशासन बहुत ही असंवेदनशील व्यवहार करता है।

रेलवे सेफ्टी सेमिनार और एनपीएस निजीकरण भारत छोड़ो “जन संवाद” जो पहले 21 जनवरी 2024 को होना प्रस्तावित था, जिसकी तैयारी रेलवे कर्मचारी कई दिनों से भी कर रहे थे, कार्यक्रम की जोरदार तैयारियों की सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया में आ रही खबरों और लोकल व रेलवे की ख़ुफ़िया रिपोर्ट से घबराकर कर स्थानीय जिला प्रसाशन व रेलवे प्रशासन ने पहले तो आयोजन समिति के जिम्मेदार साथियों पर कार्यकम पूरी तरह से न करने के लिए सांकेतिक नजरबंदी करते दबाव बनाया गया।

लेकिन जब साथियों ने झुकने से साफ़ इंकार कर दिया, तब रेलवे प्रशासन ने मौखिक और लिखित रूप से यह कहा है कि श्री राम जन्मभूमि न्यास द्वारा प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में देश विदेश से तमाम अतिथि और अनुयायी भागीदारी करने के लिए आ रहे हैं, जिनमें से अधिकांश लोग भारतीय रेलवे से यात्रा करते हुए अपने-अपने गंतव्य तक पहुचेंगे, इसलिए आयोजन समिति ने रेल हित, जन हित में अपने कार्यक्रम की तिथि आगे बढ़ाते हुए 28 जनवरी 2024 कर लिया। इतने कम समय मे पुनः तैयारी करना वह भी विपरीत मौसम में बहुत ही कठिन था, लेकिन हजारों कर्मचारियों ने बिना डर भय के पूरे जोश और उत्साह के साथ भागीदारी करके “जन संवाद” को ऐतिहासिक रूप से सफ़ल बना दिया।

जन संवाद में मुख्य रूप से वाराणसी के पूर्व सांसद डॉ राजेश मिश्रा, फ़्रंट अगेंस्ट एनपीएस इन रेलवे जोनल संयोजक राकेश कुमार, वाराणसी मंडल संयोजक संतोष सिंह समेत पूर्वोत्तर रेलवे के सभी डिवीजन से बड़ी संख्या में रेलवे कर्मचारी शामिल रहे थे। वीके सिंह ने की स्वयं लिखित प्रसिद्ध पुस्तक “भारत में ट्रेंड यूनियन आंदोलन के सौ वर्ष का इतिहास” तो एक अन्य साथी ने भारतीय संविधान की प्रति विजय बंधु को भेंट की।

जन संवाद के अंत में संयुक्त किसान मोर्चा एवं संयुक्त ट्रेड यूनियंस द्वारा आगामी 16 फ़रवरी 2024 को घोषित औधोगिक/क्षेत्रीय हड़ताल एवं ग्रामीण भारत बंद का समर्थन करते हुए पूरी तरह से सफ़ल बनाने और भागीदारी की घोषणा की गई। एनपीएस निजीकरण भारत छोड़ो “जन संवाद” की अध्यक्षता अखिलेश पाण्डेय, संचालन डॉ कमल उसरी और धन्यवाद राकेश कुमार ने ज्ञापित किया।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित)

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