हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी, भाजपा और मोदी सरकार का आदिवासी विरोधी चेहरा बेनकाब

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लोकतंत्र बचाओ (अबुआ झारखंड, अबुआ राज) 2024 अभियान द्वारा झारखंड के कोल्हान क्षेत्र में आयोजित दो दिवसीय यात्रा के दौरान जहां 10 फरवरी को यात्रा सदर, सराईकेला और चक्रधरपुर के विधान सभा क्षेत्रों के खुंटपानी, लोरदा, उलीगुटु, राजापारोम, नकटी समेत कई गावों में जन सभा करते हुए बुड़ीगोड़ा पहुंचकर बाजारों और गावों में जनसभा की गयी और पर्चे बांटे गए एवं पोस्टर चिपकाए गए। 

वहीं 11 फरवरी को उक्त अभियान के तहत कोल्हान क्षेत्र के सिंहभूम संसदीय क्षेत्र के चक्रधरपुर, मनोहरपुर और सदर विधानसभा क्षेत्र के बुडीगोड़ा, गुड़ासाई, कोमाय, सगीपी, ईचाहातु, बड़ा लगिया समेत कई गावों में जनसभा की गयी।  

जनसभा में वक्ताओं ने कहा कि हाल ही में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को फर्जी आरोप पर गिरफ्तार करना और आदिवासी-मूलवासियों द्वारा चुनी हुई सरकार को बार-बार गिराने की कोशिश करना भाजपा और मोदी सरकार के आदिवासी विरोधी चेहरे को बेनकाब कर दिया है। साथ ही, खुद मुख्यमंत्री के आदिवासियत पर ही जातिसूचक टिपण्णी करने वाले को मोदी सरकार द्वारा संरक्षण देना उनकी मनुवादी सोच को दर्शाता है। मोदी सरकार झारखंड के जल, जंगल, जमीन, खनिज को लूट कर अडानी और अन्य कॉरपोरेट के हवाले कर देना चाहती है। मणिपुर में आदिवासियों, खासकर के महिलाओं पर हुई हिंसा वहां की भाजपा सरकार और मोदी सरकार के संरक्षण में की गयी है।

वक्ताओं ने कहा कि आदिवासियों को धर्म के नाम पर बांटने की कोशिश की जा रही है। इससे आदिवासी एकता कमज़ोर होगी और उनके संसाधनों को आसानी से लूटा जा सकता है। जनसभाओं और यात्रा में शामिल ग्रामीणों ने महंगाई और बेरोजगारी की समस्या पर अपनी बात रखी। 

वक्ताओं ने कहा कि एक ओर देश को 5 ट्रिलियन रुपए की अर्थव्यवस्था बनाने का जुमला दिया गया और दूसरी ओर ग्रामीण मजदूरों के मजदूरी दर में 10 सालों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। मनरेगा, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, मध्याह्न भोजन, आंगनवाड़ी सेवा, मातृत्व भत्ता समेत कई कल्याणकारी योजनाओं के बजट में व्यापक कटौती की गयी एवं स्वास्थ व शिक्षा को कमजोर किया गया है। सब योजनाओं को आधार से जोड़ने के कारण गरीबों की समस्याएं और बढ़ गई है। प्रधानमंत्री का प्रति वर्ष 2 करोड़ रोजगार का वादा महज़ जुमला निकला। अग्निवीर योजना लागू कर भारतीय सेना की लम्बी नौकरी को खत्म कर 4 साल की संविदा आधारित व्यवस्था लागू की गयी। रेलवे सहित हर सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों में नौकरी व्यवस्था खत्म कर अल्पकालिक ठेका बहाली लायी जा रही है।

सभा में वक्ताओं ने कहा कि पिछले दस सालों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की भाजपा सरकार ने आदिवासी, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक, किसान, मज़दूर और महिलाओं के अधिकारों का घोर हनन किया है और जीवन की स्थिति को बदतर बना दिया है। 

दस सालों में आदिवासी-मूलवासियों एवं उनके जल, जंगल, ज़मीन और खनिज पर विशेष हमले हुए हैं. मोदी सरकार ने वन संरक्षण कानून में संशोधन कर वन अधिकार कानून के तहत मिले और मिलने वाले वनभूमि और संसाधनों पर ग्राम सभा के अधिकारों को छीनकर पूंजीपतियों को जंगल सौंपने का फैसला लिया है। भाजपा सरकार ने लैंड बैंक बनाकर ग्राम सभा की 22 लाख एकड़ सामुदायिक ज़मीन छीन ली। भूमि स्वामित्व कार्ड योजना के जरिये गाँव की सार्वजनिक भूमि को ग्रामीणों के नियंत्रण से छीनने की व पांचवी अनुसूची, CNT-SPT कानून और खूंटकट्टी व्यवस्था को खतम करने साजिश रची गयी है। 

हाल में छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतकर सरकार बनाते ही भाजपा ने अडानी के लिए आदिवासियों और उनके हसदेव अरण्य पर अर्धसैनिक बलों की फौज उतार दी है। 

जनसभा में उपस्थित ग्रामीणों ने कहा कि मोदी सरकार ने हर खाते में 15 लाख रु देने का और साल में 2 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था, वह जनता के साथ धोखा निकला। मोदी सरकार पूंजीपतियों का अरबों लोन माफ करती रहती है लेकिन किसानों और मेहनतकश लोगों को कर्ज में डूबा रही है। साथ ही, मनमाने ढंग से थोपी हुई नोटबंदी, लॉकडाउन, महंगाई, कम मजदूरी दर, कुपोषण, कमज़ोर शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था ने मेहनतकश जनता का जीना मुश्किल कर दिया है।

उक्त यात्रा के दौरान ग्रामीणों ने एक स्वर में नारा दिया – “भाजपा-मोदी काबुए, झारखंड दिशूम आबुए”

यात्रा में अंबिका यादव, अजीत कांडेयांग, अशोक मुंडरी, दामु हेम्बरोम, जॉन कायम, मंथन, नारायण कांडेयांग, पोंडेराम कायम, रमेश जेराई, सकारी दोंगो, सिराज दत्ता, सुनील पूर्ति, सुरेश जोंको, सुरेश कायम, संदीप प्रधान समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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