बर्नी सैंडर्स, अमेरिकी राष्ट्रपति के दौड़ से हाथ खींचने वाले।

अमेरिका में बर्नी सैंडर्स के होने का मतलब

बर्नी सैंडर्स एक स्व-घोषित डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट (जनवादी समाजवादी) हैं – हालाँकि वामपंथी उन्हें एक सोशल डेमोक्रेट (सामाजिक जनवादी) कहना पसंद करते हैं, क्योंकि वे पूंजीवाद के खात्मे या उत्पादन के साधनों पर मजदूरों के मालिकाने के समर्थक नहीं हैं! वरमोंट के सीनेटर बर्नी सैंडर्स अमेरिकी कांग्रेस के इतिहास में सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले स्वतंत्र सीनेटर हैं। वे 1981 से सरकार में सेवा देते रहे हैं और उन्होंने 2016 में पहली बार डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए प्राइमरी चुनावों में अपनी दावेदारी पेश की थी।

स्कैंडिनेवियाई देशों के प्रशंसक सैंडर्स के लिए जनवादी समाजवाद का मतलब है— एक ऐसी अर्थव्यवस्था तैयार करना जो केवल समृद्ध लोगों के लिए नहीं, बल्कि सबके लिए हो, बिल्कुल अन्यायपूर्ण और भ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था में सुधार लाना, स्वास्थ्य और शिक्षा को अधिकार के रूप में मान्यता देना, पर्यावरण का संरक्षण तथा एक व्यक्ति, एक वोट के सिद्धांत पर आधारित एक जीवंत लोकतंत्र का निर्माण करना। संक्षेप में, वे एक ऐसे कार्यक्रम के पक्ष में हैं जो व्यापक कराधान पर आधारित हो और व्यापक सामाजिक लाभों के लिए काम करे। लब्बोलुआब यह है कि उनकी प्रस्तावित नीतियां सभी के लिए आर्थिक असमानता खत्म करने पर जोर देती हैं, चाहे उनका धर्म, जाति, लिंग, जातीयता, मूल राष्ट्रीयता, सेक्सुअल रुझान आदि कुछ भी हो।

8 अप्रैल, 2020 को राष्ट्रपति पद के लिए अपने अभियान से हटने की घोषणा करते हुए और अपने समर्थकों को धन्यवाद देते हुए, बर्नी सैंडर्स ने अपनी सोच को बहुत अच्छे तरीक़े से समझाया:

“चुनाव आते-जाते रहते हैं। लेकिन हमारे समाज में बदलाव लाने का प्रयास करने वाली राजनीतिक और सामाजिक क्रांतियाँ कभी समाप्त नहीं होतीं। सामाजिक और आर्थिक न्याय से युक्त राष्ट्र बनाने की लड़ाई में वे हर दिन, हर हफ्ते और हर महीने अपना काम करती रहती हैं। ट्रेड यूनियन आंदोलन [और सभी अन्य प्रगतिशील आंदोलन] यही काम करते हैं।…

“वास्तविक परिवर्तन कभी भी ऊपर से, या चुनाव अभियानों में पैसे लगाने वाले धनिकों के ड्राइंग-रूमों से नहीं शुरू होते। यह हमेशा नीचे से ऊपर चलता है …

“हम कैसा राष्ट्र बना सकते हैं, इस संबंध में अमरीकी चेतना को, हम सबने मिलकर बदल दिया है,  और इस देश को आर्थिक न्याय, सामाजिक न्याय, नस्लीय न्याय और पर्यावरण-संबंधी न्याय के लिए कभी न खत्म होने वाले एक संघर्ष की दिशा में हम काफी आगे ले गए हैं।…

जैसा कि आप में से काफी लोगों को, आधुनिक विश्व-इतिहास के महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक नेल्शन मंडेला का वह प्रसिद्ध कथन याद होगा,— “जब तक कोई काम संपन्न नहीं हो जाता, तब तक वह असंभव ही लगता रहता है।” उनका आशय यही था कि सामाजिक परिवर्तन की सबसे बड़ी बाधा यह है कि हमारे लिए क्या करना संभव है और मनुष्य के रूप में क्या करने के लिए हम अधिकृत हैं, इस संबंध में कॉरपोरेट और राजनीतिक प्रतिष्ठान हमारी दृष्टि को सीमित करने की हर संभव कोशिश करता रहता है।”…

उन्होंने सार्वभौमिक स्वास्थ्य-सेवाओं, समुचित वेतन और काम की परिस्थितियों और शिक्षा के लिए संघर्ष की जरूरत पर जोर दिया और साथ ही जलवायु-परिवर्तन, सूखा, बाढ़, समुद्र के जल-स्तर के ऊंचे होते जाने के मुद्दों पर भी ध्यान आकृष्ट किया जिसके कारण हमारी धरती लगातार न रहने-योग्य होती जा रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक ऐसी दुनिया की मांग करना हमारा हक़ है, जहां न्याय, लोकतंत्र और निष्पक्षता हो, तथा जहां नस्लवाद, लैंगिक भेदभाव, समलैंगिकों के प्रति घृणा, विदेशियों के प्रति घृणा, धार्मिक कट्टरता, आय और धन की भयानक असमानता, पूर्वाग्रह, बड़ी संख्या में लोगों को क़ैद में रखना तथा आप्रवासियों में भय न हो और जहां लाखों अमरीकियों को सड़कों पर न सोना पड़े। उन्होंने याद दिलाया कि— “ज्यादा दिन नहीं हुआ जब इन जनपक्षधर विचारों को लोग अतिवादी और अप्रासंगिक मानते थे। आज ये मुख्यधारा के विचार हैं और इनमें से कई को तो देश भर में कई राज्य और नगर अपने यहां लागू भी किए हुए हैं। यह सब हम सबने मिल कर हासिल किया है।…

“कृपया इस बात की भी सराहना करें कि इस संघर्ष को न केवल हम विचारधारात्मक रूप में जीत रहे हैं, बल्कि पीढ़ियों के हिसाब से भी जीत रहे हैं( मतलब कि इसे ज्यादा से ज्यादा नौजवानों का समर्थन हासिल है।)…

“हालांकि मेरा यह चुनाव अभियान समाप्त हो रहा है, किंतु यह आंदोलन नहीं। डॉ. मार्टिन लूथर किंग ने हमें चेताया था कि, “हालांकि नैतिक जगत की परिधि लंबी होती है, फिर भी इसका झुकाव हमेशा न्याय की तरफ होता है।” न्याय के लिए संघर्ष ही हमारे अभियान का उद्देश्य रहा है। न्याय के लिए संघर्ष ही हमारे अभियान का उद्देश्य रहेगा।”…

उन्होंने जोर दिया कि, “जो प्रगतिशील परिवर्तन हम मिल कर ला रहे हैं, उन्हें संस्थाबद्ध करने की जरूरत है। और अगर हम संगठित होते रहे और संघर्ष करते रहे तो इस बात में मुझे कोई शक नहीं कि यह हो कर रहेगा। हो सकता है कि इस समय रास्ता धीमा लग रहा हो, फिर भी हम इस राष्ट्र को बदल कर रहेंगे और साथ ही दुनिया भर के अपने समानधर्मा साथियों के साथ मिलकर पूरी दुनिया को बदल कर रहेंगे।”

रोनन बर्टेनशॉ ने अपने लेख “थैंक यू बर्नी सैंडर्स” में बहुत अच्छी तरह से लिखा है कि, “वे (बर्नी सैंडर्स) समझ गए कि वास्तविक राजनीतिक ताक़त मेहनतकश वर्ग को संगठित करने और आंदोलन तैयार करने से आती है। इसी वजह से वे पिछले पांच साल केवल अभियान चलाने की बजाय एक राजनीतिक क्रांति की जमीन तैयार करते रहे हैं।” (जैकोबिन, 8 अप्रैल 2020)

‘द इंटरसेप्ट’ में वरिष्ठ संवाददाता, रुटगर्स विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और लंबे समय से सैंडर्स के समर्थक रहे नाओमी क्लेन ने ‘डेमोक्रेसी नाउ’ की  एमी गुडमैन के साथ एक साक्षात्कार में बताया कि सैंडर्स के अभियान ने “इस देश में राजनीतिक संभावना की एक खिड़की खोल दिया है… इस अभियान ने हमें एक दूसरे को खोजने में मदद किया है। यहां “हम” से मेरा आशय उनके “मैं नहीं, हम” अभियान के उस विशाल “हम” से है।… यह व्यवस्था, जो इतने भारी पैमाने पर संपदा को नीचे से ऊपर पंप कर रही थी और बाकी सभी लोगों के लिए असुरक्षा, अनिश्चितता, ग़रीबी और प्रदूषण फैला रही थी…. अब समय आ गया है कि हम  संगठित हों और मजदूरों का नेतृत्व करें।”

भाष्कर सुनकारा ने डाइलन मैथ्यूज को बताया कि सामाजिक जनवादी के रूप में खासकर के विदेशनीति और नाटो के संबंध में सैंडर्स ने कम ध्यान दिया है और “उन्हें कुर्दों तथा उस क्षेत्र में अनथक संघर्ष कर रही अन्य प्रगतिशील ताक़तों को लोकतांत्रिक समर्थन देने पर थोड़ा और ध्यान देना चाहिए था और उन ताक़तों के साथ एकता बढ़ानी चाहिए थी।”(“अ लीडिंग सोशलिस्ट एक्सप्लेन्स व्हाट बर्नी सैंडर्स’ सोशलिज्म गेट्स राइट एंड रांग”, वाल्यूम, 20 नवंबर 2015)

“डेमोक्रेसी नाउ” के लिए एमी गुडमैन के साथ एक साक्षात्कार में उनकी राजनीति से असंतुष्ट रहने वाले, भाषा विद और लेखक नोम चोम्स्की कहते हैं कि सैंडर्स का अभियान असाधारण रूप से सफल रहा है और इसने लाखों लोगों में ऊर्जा भर दिया है, साथ ही इसने बहस और राजनीतिक विमर्श के रंगमंच को पूरी तरह से बदल दिया है। इसका नतीजा यह है कि आज बहस के केंद्र में वे मुद्दे आ  गए हैं, जिनके बारे में कुछ साल पहले हम सोच भी नहीं सकते थे।

“सत्ता प्रतिष्ठान की नजरों में उनका सबसे बड़ा अपराध उनके द्वारा पेश की गई नीतियां नहीं हैं, बल्कि यह है कि वे उन तमाम लोकप्रिय आंदोलनों को प्रेरित कर पाए जो पहले से ही विकसित हो रहे थे, जैसे— ‘ऑक्युपाई’ और ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ जैसे आंदोलन, और वे उन आंदोलनों को कार्यकर्ता आधारित आंदोलनों में बदल सके। अब ये आंदोलन ऐसे नहीं रह गए हैं जो कुछ साल बाद उभरता है और एक नेता को आगे बढ़ा कर फिर सिमट जाता है। बल्कि अब ये आंदोलन निरंतर दबाव बनाए रहते हैं और निरंतर सक्रिय रहते हैं। यही चीज है जो बिडेन प्रशासन पर प्रभाव डाल सकी है।”

8 अप्रैल 2020 को राष्ट्रपति पद के लिए अभियान से बर्नी सैंडर्स के हटने के बाद ‘नेक्स्टजेन अमरीका’, ‘सनराइज मूवमेंट’ और ‘जस्टिस डेमोक्रेट्स’ जैसे सात प्रगतिशील समूहों ने बिडेन के चुनाव अभियान के मंचों के लिए मांगों की एक शृंखला जारी की है जो कहती है कि, “संगठन तो 100 मिलियन डॉलर से ज्यादा खर्च करेंगे… लेकिन हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे प्रयासों को एक ऐसे अभियान द्वारा समर्थित किया जाए जो हमारी पीढ़ी की बात करे।” और इस तरह से यह अभियान जारी है।

(हसन अब्दुल्ला के इस अंग्रेज़ी लेख का हिंदी अनुवाद शैलेश ने किया है।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments