बांदा की महिला जज को मिली जान से मारने की धमकी, दिसंबर में सीजेआई से मांगी थी इच्छा मृत्यु

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न्यायिक अधिकारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर चर्चा में आईं महिला जज ने इस बार धमकी भरा पत्र मिलने की शिकायत की है। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में तैनात महिला सिविल जज को एक पत्र के जरिए जान से मारने की धमकी मिली है। जज ने तीन लोगों के खिलाफ शिकायत दी है। जिसके बाद बांदा पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। वहीं, महिला जज ने पिछले साल दिसंबर में अपने सीनियर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए भारत के चीफ जस्टिस न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को एक ओपन लेटर लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी थी।

बांदा शहर कोतवाली पुलिस ने इस मामले में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। कोतवाल अनूप दुबे ने बताया कि आरोपी का पता लगाने के लिए संबंधित पोस्ट ऑफिस के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जाएंगे।

जिले में तैनात एक महिला जज ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि उनके आवास पर 28 मार्च को पंजीकृत डाक से धमकी भरा पत्र आया है। पत्र आरएन उपाध्याय नामक व्यक्ति की ओर से भेजा जाना बताया गया है। लिफाफे पर मोबाइल नंबर 9415802371 भी लिखा है। महिला जज ने आरोप लगाते हुए कहा कि उसे विश्वास है कि पत्र रविन्द्र नाथ दुबे, अनिल शुक्ल और कृष्णा द्विवेदी के षड्यंत्र से भेजा गया है। उन्होंने कहा कि पत्र रवि उपाध्याय के नाम से भेजा गया है कि लेकिन ये फर्जी है, इसलिए पोस्ट ऑफिस के सीसीटीवी की जांच कराई जाए। उन्होंने कहा कि पत्र रवि उपाध्याय के नाम से भेजा गया है कि लेकिन ये फर्जी है, इसलिए पोस्ट ऑफिस के सीसीटीवी की जांच कराई जाए। सिविल जज ने कहा कि उन्हें अपनी जान का खतरा है, इसलिए वो मांग करती हैं कि एफआईआर दर्ज कर पूरे मामले का खुलासा किया जाए।

उन्होंने तहरीर में यह भी उल्लेख किया है कि उनके प्रार्थना पत्र पर उच्च न्यायालय के माध्यम से यौन उत्पीड़न की जांच की जा रही है। शहर कोतवाल अनूप दुबे ने बताया कि महिला जज की तहरीर कोतवाली में अज्ञात के खिलाफ धमकी देने की रिपोर्ट दर्ज कर मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। बांदा पुलिस ने सिविल जज की तहरीर पर आईपीसी की धारा 467 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की है।

महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को 14 दिसंबर को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की थी। पत्र में आरोप लगाया गया था कि एक जिला न्यायाधीश (जो उनसे सीनियर थे) और उनके सहयोगियों ने उनका यौन उत्पीड़न किया। जज ने पत्र में कहा, “मेरी नौकरी के थोड़े से समय में मुझे ओपन कोर्ट के डायस पर दुर्व्यवहार का दुर्लभ सम्मान मिला है। मेरे साथ हर सीमा तक यौन उत्पीड़न किया गया है। मेरे साथ पूरी तरह से कूड़े जैसा व्यवहार किया गया है। मुझे ऐसा लगता है कि मैं बेकार कीड़ा-मकोड़ा हूं।

उन्होंने आगे लिखा कि अगर कोई महिला सोचती है कि आप सिस्टम के खिलाफ लड़ेंगी। मैं आपको बता दूं, मैं नहीं कर सकी और मैं जज हूं। सिविल जज ने पत्र के आखिरी में सवाल किया: “जब मैं खुद निराश हूं तो मैं दूसरों को क्या इंसाफ दूंगी?”

करीब चार माह पूर्व सोशल मीडिया में यह पत्र वायरल हुआ था। पत्र में लखनऊ के पड़ोसी जिले बाराबंकी में तैनाती के दौरान एक न्यायिक अधिकारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था। इसकी जांच अभी भी जारी है। मामला चर्चा में आने के बाद जज की सुरक्षा में दो महिला सिपाहियों समेत तीन पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था। पत्र में महिला जज ने इंसाफ न मिलने का जिक्र करते हुए काफी हताशा भी जताई थी।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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