जिला कोर्ट परिसर में सीसीटीवी के काम न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को जारी किया नोटिस

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (1 अप्रैल) को वकीलों की हड़ताल के दौरान गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के दो सदस्यों पर हमले पर स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई करते हुए इस तथ्य को गंभीरता से लिया। उस दिन कोर्ट परिसर में सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने जिला अदालतों में काम न करने वाले सीसीटीवी कैमरों के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश राज्य को नोटिस जारी किया।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि हमले की घटना के संबंध में जिला न्यायालय, गौतमबुद्ध नगर के जिला जज द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि सीसीटीवी फुटेज प्राप्त नहीं किया जा सका, क्योंकि जिला न्यायालय में सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे।

जज ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला कि राज्य सरकार को कई बार सूचित करने के बावजूद इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया। यह घटना 20 मार्च को विरोध प्रदर्शन कर रहे जिला बार एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा सीनियर एडवोकेट गौरव भाटिया और एडवोकेट मुस्कान गुप्ता पर हमले से संबंधित है।

उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मैं सीसीटीवी फुटेज पेश नहीं कर सकता, क्योंकि कोर्ट के सीसीटीवी कैमरों का सरकार की ओर से कोई रखरखाव नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने स्वीकृत फंड और बजट उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन को बार-बार पत्र लिखा, लेकिन बजट नहीं मिल पा रहा है। इसलिए सभी सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे हैं।”

जब मामला उठाया गया तो सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, सीनियर एडवोकेट डॉ आदिश सी अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने जिला बार एसोसिएशन के सदस्यों से बात की और उन्होंने अब इस घटना पर खेद व्यक्त किया है। इसलिए उन्होंने न्यायालय से नरम रुख अपनाने का अनुरोध किया।

हालांकि, सीजेआई ने हड़ताल की प्रकृति और ‘हड़ताल’ की आड़ में वकीलों के आचरण पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने आगे कहा, “भले ही वे माफ़ी मांग लें, हम इसे हल्के में नहीं लेंगे, क्योंकि यह…अदालत में प्रवेश करके जज को न्यायिक कार्य से विरत रहने के लिए कहना और यह कहना कि हम हड़ताल पर जा रहे हैं। इसलिए न्यायिक कार्य न करें…हम इसे गंभीरता से लेने जा रहे हैं, क्योंकि कोई भी वकील अदालत में प्रवेश नहीं कर सकता और अन्य वकीलों को हड़ताल के आधार पर अदालत छोड़ने के लिए नहीं कह सकता। हम इसे बहुत गंभीरता से लेंगे…विरोध हड़ताल नहीं है, विरोध निश्चित रूप से हड़ताल का वैध रूप है, जब तक लोगों को बहस करने के लिए अदालत में प्रवेश करने से नहीं रोका जाता।”

पीठ ने आगे निर्देश दिया कि रिपोर्ट संबंधित पक्षों के वकीलों को प्रसारित की जाए, जिसमें सुप्रीम कोर्ट बार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट आदिश अग्रवाल, साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया के वकील भी शामिल हैं। अब सुनवाई अगले सोमवार को होगी।
गौरतलब है कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने अदालत परिसरों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई निर्देश जारी किए, जिसमें सीसीटीवी लगाने से संबंधित उपाय भी शामिल हैं।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार एवं कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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