अररिया मे गिरा बकरा पुल, पांच साल में बिहार में पुल गिरने की10वीं घटना

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बिहार के अररिया में मंगलवार को एक निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा ढह गया। बीते पांच साल में बिहार में पुलों के ध्वस्त होने की यह 10वीं घटना है। बिहार के अररिया जिले में बकरा नदी पर बन रहा पुल उद्धाटन से पहले ही धराशायी हो गया। नदी की बदलती धारा के साथ 13 साल में 11 करोड़ से पुल की लागत बढ़कर हुई 31 करोड़ रुपये हो गई। निर्माण कार्य हुआ पूरा तो पुल शुरू होने से पहले ही जलमग्न हो गया। 2019 से आरईओ की ओर से ही पुल बनाया जा रहा था।

सोशल मीडिया पर आए वीडियो में दिखता है कि करोड़ों रुपये की लागत से बकरा नदी पर बना कंक्रीट का पुल कुछ ही सेकंड में टूट गया। इस पुल पर राजनीति गरमाने लगी है। इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सड़क परिवहन और हाईवे मंत्री नितिन गडकरी के कार्यालय ने बिना विलम्ब के सफाई जारी की है कि अररिया में दुर्घटनाग्रस्त पुलिया का निर्माण केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के अंतर्गत नहीं हुआ है। बिहार में एनडीए की ही सरकार है और बीजेपी सत्ताधारी पार्टियों में शामिल है। गडकरी के कार्यालय ने कहा है, ‘अररिया का उस पुल का काम बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत चल रहा था।

बिहार में आए दिन पुल गिरने की घटना देखने को मिली रही है। ताजा मामला बिहार के अररिया जिले से सामने आया है जहां सिकटी विधानसभा क्षेत्र के बकरा नदी पर पड़रिया घाट पर बना रहा पुल गिर गया है। ऐसे में लोग अब यह सवाल पूछ रहे हैं कि बिहार में पुल पके हुए आम की तरह जमीन पर क्यों गिर जा रहे हैं। दरअसल मंगलवार को अररिया जिले के सिकटी विधानसभा क्षेत्र के बकरा नदी पर पड़रिया घाट पर बन रहा पुल मंगलवार को गिर गया, जबकि 12 करोड़ की लागत से निर्मित इस पुल का एप्रोच बनाना बाकी था और अभी इसका उद्घाटन भी नहीं हुआ था।

तत्कालीन ग्रामीण कार्य मंत्री श्रवण कुमारने चुप्पी साध राखी है जबकि वर्तमान ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि इस मामले में 2 इंजीनियर को निलंबित कर दिया गया है। वहीं ठेकेदार को भी ब्लैकलिस्टेड कर दिया है। इस मामले पर स्थानीय विधायक विजय कुमार मंडल ने कहा कि पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है।

सिकटी प्रखंड स्थित बकरा नदी के पड़रिया घाट पर 12 करोड़ की लागत से पुल का निर्माण किया गया था। पुल के दो पिलर ध्वस्त हो गए, जबकि एक पाया नदी में धंस गया। पुल का निर्माण कार्य पूरा हो गया था। लेकिन, एप्रोच रोड नहीं बनने के कारण इस पर आवागमन अभी शुरू नहीं हुआ था। इसके 8 पायों के निर्माण पर ही आठ करोड़ का खर्च आया था।

स्थानीय विधायक विजय कुमार मंडल ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए बताया कि अररिया के बकरा नदी पर बने रहे पुल के दो से तीन पिलर नदी में धंस गए और पुल गिर गया। ये पुल सिकटी और कुर्साकांटा प्रखंड को जोड़ने वाला था। वे इस पुल निर्माण के लिए काफी प्रयास किए थे। पुल गिरने की सूचना पर वह भी घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। उन्होंने बताया कि ये पुल पूरी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। ये पुल दो प्रखंडों को सीधे जोड़ने का माध्यम बनता। लेकिन, उद्घाटन के पहले ही नदी में समा गया। ग्रामीण कार्य विभाग की ओर से ये पुल बनाया गया था। जमीन पर ही पिलर गाड़कर तैयार किया गया था। एप्रोच रोड भी अभी नहीं बना था।

पुल के ठेकेदार और विभागीय लापरवाही के कारण 12 करोड़ की लागत से बन रहे पड़रिया पुल के तीन पिलर बहकर नदी में समा गए। सिकटी विधायक ने कहा कि पुल के पिलर बनाने में भारी अनियमितता बरती गई। विधायक विजय कुमार मंडल स्पष्ट रूप से कहा कि संवेदक द्वारा रात के अंधेरे में पुल का निर्माण व पाइलिंग कार्य किया जाता था। पुल की पाइलिंग अगर सही होती तो उसका तीन से चार पाया बकरा नदी के गर्भ में नहीं समाता। उन्होंने विभागीय अधिकारी व संवेदक के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने यहां तक कहा है कि तत्काल संवेदक व विभागीय कार्यपालक अभियंता व विभागीय अधिकारी के विरुद्ध प्राथमिक की दर्ज कर विधि सम्मत कार्रवाई की जाए। भ्रष्टाचार का आलम ऐसा कि पिछले पांच साल में 10 पुल निर्माण के दौरान या निर्माण कार्य पूरा होते ही ध्वस्त हो गए। जनता के टैक्स के अरबों रुपए पानी में बह गए।

बिहार में इन दिनों पके आम की तरह पुल भी जमीन पर गिर जा रहे हैं। अररिया के सिकटी प्रखंड में बकरा नदी पर बनकर तैयार पुल उद्घाटन से पहले ही ध्वस्त हो गया। मंगलवार दोपहर 2:30 बजे नेपाल से नदी में पानी बढ़ने के बाद हल्के बहाव में ही धराशाई हो गया। 31 करोड़ रुपए से बने पुल का निर्माण तीन चरणों में हुआ था। इस पुल से सिकटी और कुर्साकांटा के दर्जनों गांव की दो लाख आबादी को सीधा लाभ मिलता। 2021 में पुल तैयार हुआ लेकिन अप्रोच नहीं बना था। नदी की धारा को मोड़ कर पुरानी धारा में लाने का काम होना था इस कारण पुल का उपयोग नहीं हो रहा था।

यहां से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर नेपाल की सीमा स्थित है। 2011 में पुल का शिलान्यास हुआ था वही 2017 में आधे हिस्से का निर्माण पूरा हो सका और 2018 में दूसरे हिस्से का निर्माण शुरू हुआ था। दरअसल ग्रामीणों ने घटिया सामग्री के इस्तेमाल को लेकर पहले भी विरोध किया था लेकिन यह पूर्व भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। ग्राउंड रिपोर्टिंग में यह बात साफ-साफ दिखाई दी कि पतले छड़ को पुल में लगाया गया था। वहीं नदी के बालू से ही पिलर डालने और पुल निर्माण की बात सामने आ रही है।

बीते पांच साल में बिहार में पुलों के ध्वस्त होने की यह 10वीं घटना है। 4 जून 2023 को बिहार के भागलपुर में गंगा नदी पर बन रहा पुल गिरने के बाद खूब हंगामा मचा था। 1,717 करोड़ रुपए की लागत से भागलपुर में अगुवानी-सुल्तानगंज पुल बन रहा था। साल भर पहले यानी 2022 में भी निर्माण के दौरान पुल का एक हिस्सा गिर गया था। तब पुल के डिजाइन में ही गड़बड़ी की बात सामने आई थी। बिहार सरकार ने जिस कंपनी को पुल निर्माण का काम दिया था। उसे सरकार ने तब बिहार में नौ हजार करोड़ रुपए के और प्रोजेक्ट भी दिए थे।

इसी साल 22 मार्च 2024 को सुपौल में निर्माणाधीन पुल का हिस्सा गिर गया था। इसमें एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी। अन्य 9 लोग घायल हुए थे। पुल का निर्माण एनएचएआई करा रहा था। मधुबनी के भेजा और सुपौल जिले के बकौर के बीच कोसी नदी पर 10.2 किलोमीटर लंबा पुल बन रहा था। निर्माण के क्रम में ही पुल का एक हिस्सा ध्वस्त हो गया था। तब डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने इसकी जांच के आदेश दिए थे।

राजधानी पटना के निकट 19 फरवरी 2022 को बिहटा-सरमेरा फोर लेन मार्ग पर रुस्तमंगज गांव में बन रहा पुल ध्वस्त हो गया था । लोगों का आरोप था कि पुल निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था। उसी साल 18 नवंबर को नालंदा में भी एक निर्माणाधीन पुल ध्वस्त हो गया था। एक आदमी की जान भी चली गई थी। यह पुल पहले भी एक बार निर्माण के दौरान ही ध्वस्त हो गया था। दूसरी बार ये पुल गिरा था। 9 जून 2022 को सहरसा जिले में भी एक पुल निर्माण के क्रम में ही ध्वस्त हो गया था । इसमें तीन मजदूर गंभीर रूप से घायल हुए थे। सिमरी-बख्तियारपुर प्रखंड के कुंडुमेर गांव में कोशी तटबंध के पूर्वी हिस्से पर ये पुल बन रहा था। मई 2023 में भी बायसी प्रखंड के चंद्रगामा पंचायत में सलीम चौक के पास ढलाई के दौरान ही पुल गिर गया था। इस दौरान कई मजदूर घायल भी हुए थे।

परड़िया घाट पर 2012 में लगभग 8 करोड़ रुपए की लागत से छः पिलर का एक पुल बनना शुरू हुआ, लेकिन काम होते-होते पिलर बढ़ कर आठ हो गए और खर्चा बढ़ कर 12 करोड़ पहुंच गया। लेकिन, पिलर बनाने के लिए खोद कर निकाली गई मिट्टी को वहीं छोड़ दिया गया, जिस वजह से 2016 आते-आते नदी पुल से बाहर भागने लगा। 2018 तक पुल किसी काम की नहीं रही और लोग वापस चचरी पर निर्भर हो गए। 2019 में वापस नदी पुल के ठीक नीचे से बहने लगी, लेकिन एक साल के अंदर ही पुल एक टापू में रह गया और चारो तरफ नदी बहने लगी। ऐसी सूरत में पुराने पुल से करीब 100 मीटर की दूरी पर जून 2021 में एक नए पुल का निर्माण शुरू किया गया, जिसे एक साल में पूरा कर लेना था। लेकिन, जून से नवंबर आते-आते नदी निर्माणाधीन पुल से भी बाहर निकल गई।

(जेपी वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं)

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