कोलकाता, बिहार और उधमसिंह नगर में बलात्कार और हत्या की घटनाओं के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन

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पिछले 8 अगस्त की रात को कोलकाता के “आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल” के सेमिनार हॉल में 31 वर्षीया महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई। वहीं बिहार से भी दलित नाबालिग लड़की के साथ क्रूरता की खबर सामने आई है। बिहार के मुजफ्फरपुर जिला अंतर्गत पारू थाना क्षेत्र के लालू छपरा गांव के नयाटोला गोपालपुर में दलित नाबालिग किशोरी से दबंगों ने हैवानियत की सारे हदें पार कर दी। हैवानों ने किशोरी से बलात्कार के बाद चाकू गोदकर उसकी हत्या कर दी। यही नहीं, नाबालिग के प्राइवेट पार्ट में 50 से ज्यादा बार चाकू गोदने के निशान मिले हैं। यह घटना अमानवीयता की सारी हदें पार कर गई है। घटना 11 अगस्त की है। आरोपी दलित बच्ची को उसके घर से जबरन उठा कर ले गए थे।

दूसरी तरफ उत्तराखंड के शहीद उधम सिंह नगर स्थित रुद्रपुर में नर्स के साथ उसी तरह की घटना का खुलासा हुआ है। बीते 30 जुलाई से रुद्रपुर के एक निजी हॉस्पिटल में काम करने वाली नर्स लापता थी। उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट उसकी बहन ने 31 जुलाई को स्थानीय थाने में दर्ज कराई। पुलिस अनुसंधान में लंबे समय के बाद नर्स की लाश मिली, तब जाकर मामला सामने आया कि उसके साथ पहले बलात्कार किया गया और फिर उसी के स्कार्फ से उसको मौत के घाट उतार दिया गया। वैसे इस मामले में पुलिस ने आरोपी धर्मेंद्र कुमार नाम के व्यक्ति को जोधपुर से गिरफ्तार कर लिया है।

बता दें कि कोलकाता के आरजी कर (राधागोविन्द कर) अस्पताल की प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले की जांच का सीबीआई को सौंप दी गई है। वहीं अस्पताल प्रशासन पर हिंसा वाली रात के बाद सबूतों से छेड़छाड़ समेत कई आरोप लगाए जा रहे हैं। अभी हाल में खबर आई है कि हिंसा वाली रात के बाद से अस्पताल के 42 डॉक्टरों का ट्रांसफर कर दिया गया है। यहीं नहीं, 32 डॉक्टरों के प्रमोशन की भी खबर आ रही है। बताया जा रहा है कि 10 डॉक्टर्स को दूर लोकेशन पर तैनात किया गया है, जहां वे काम कर रहे हैं।

कोलकाता के आरजी कर हॉस्पिटल की ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ रेप के बाद हत्या के बाद से पूरे देश में गुस्से की लहर है। देश भर के डॉक्टर 17 जुलाई की सुबह से हड़ताल पर चले गए हैं। उधर, महिला डॉक्टर से रेप के विरोध में आईएमए (IMA) ने 17 जुलाई की सुबह 6 बजे से 18 अगस्त की सुबह 6 बजे तक के 24 घंटे का हड़ताल शुरू कर दिया है।

महिलाओं के साथ हुई इन हैवानी वारदातों के बाद देश भर के युवा, छात्र और राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए विरोध प्रदर्शन किया है और ऐसी घटनाओं की पुनरावृति रोकने और आरोपियों पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

पूरे देश के डॉक्टरों सहित नागरिकों ने विरोध-प्रदर्शन के माध्यम से अपना आक्रोश ज़ाहिर किया है। आरजी कर हॉस्पिटल में 14 – 15 अगस्त को महिलाओं के नेतृत्व वाले ‘रिक्लेम द नाइट’ विरोध मार्च के दौरान लगभग रात 11 बजे उनपर हमला किया गया। चश्मदीदों का कहना है कि भीड़ ने उस मंच पर तोड़फोड़ की जिस पर विरोध प्रदर्शन हो रहा था और नवजात शिशुओं के केयर यूनिट में भी आग लगा दी। वे मुख्य रूप से क्राइम सीन पर तोड़फोड़ करने आए थे, जो चेस्ट डिपार्टमेंट के अंदर स्थित है।

हॉस्टल में बंद डॉक्टरो ने जब मदद मांगने के लिए सीनियर पुलिस अधिकारियों को फोन किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। जूनियर अधिकारियों ने बताया कि वे उनकी सुरक्षा के लिए जवाबदेह नहीं हैं। पश्चिम बंगाल में डॉक्टर त्वरित न्यायिक जांच, अस्पताल की सुरक्षा बढ़ाने, पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा देने तथा पुलिस से आधिकारिक माफी मांगने की मांग कर रहे हैं।

दूसरी तरफ उत्तराखंड के शहीद उधम सिंह नगर स्थित रुद्रपुर में नर्स के साथ उसी तरह की घटना का खुलासा हुआ है। बीते 30 जुलाई से रुद्रपुर के एक निजी हॉस्पिटल में काम करने वाली नर्स लापता थी। उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट उसकी बहन ने 31 जुलाई को स्थानीय थाने में दर्ज कराई। पुलिस अनुसंधान में लंबे समय के बाद नर्स की लाश मिली, तब जाकर मामला सामने आया कि उसके साथ पहले बलात्कार किया गया और फिर उसी के स्कार्फ से उसको मौत के घाट उतार दिया गया। वैसे इस मामले में पुलिस ने आरोपी धर्मेंद्र कुमार नाम के व्यक्ति को जोधपुर से गिरफ्तार कर लिया है।

बता दें कि कोलकाता के आरजी (राधागोविन्द) कर अस्पताल की प्रशिक्षु डॉक्टर महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले की जांच का सीबीआई को सौंप दी गई है। वहीं अस्पताल प्रशासन पर हिंसा वाली रात के बाद सबूतों से छेड़छाड़ समेत कई आरोप लगाए जा रहे हैं। अभी हाल में खबर आई है कि हिंसा वाली रात के बाद से अस्पताल के 42 डॉक्टरों का ट्रांसफर कर दिया गया है। यहीं नहीं, 32 डॉक्टरों के प्रमोशन की भी खबर आ रही है बताया जा रहा है कि 10 डॉक्टर्स को दूर लोकेशन पर तैनात किया गया है, जहां वे काम कर रहे हैं।

कोलकाता के आरजी कर हॉस्पिटल की ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ रेप के बाद हत्या के बाद से पूरे देश में गुस्से की लहर है। देश भर के डॉक्टर 17 जुलाई की सुबह से हड़ताल पर चले गए हैं। उधर, महिला डॉक्टर से रेप के विरोध में आईएमए (IMA) ने 17 जुलाई की सुबह 6 बजे से 18 अगस्त की सुबह 6 बजे तक के 24 घंटे का हड़ताल शुरू कर दिया है।

महिलाओं के साथ हुई इन हैवानी वारदातों के बाद देश भर के युवा, छात्र और राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए विरोध प्रदर्शन किया है और ऐसी घटनाओं की पुनरावृति रोकने और सभी अपराधियों पर तत्काल कार्यवाही की मांग की है।

कहा गया है कि हॉस्पिटल के परिसर में ही एक महिला डॉक्टर के साथ ऐसी घटना होना बेहद शर्मनाक है और इस घटना ने पूरे देश में महिलाओं के कामकाजी जगहों पर उनकी सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहां पर काम कर रहे डॉक्टरों ने अस्पताल की सुरक्षा में महत्वपूर्ण कमियों की ओर इशारा किया, जिसमें संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी कवरेज की कमी, बाहरी लोगों का अनियंत्रित प्रवेश और रात में महिला कर्मचारियों के लिए असुरक्षित स्थिति शामिल है।

रेप का एक आरोपी संजय रॉय अभी केंद्रीय एजेंसी की हिरासत में है। सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम न होने की वजह से उस दिन वो नशे की हालत में हॉस्पिटल में घुसता है, प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या कर देता है, उसके बाद बिना किसी डर के वो अपने बैरक में जा कर सो जाता है। इससे ये साफ़ समझ आता है कि बलत्कार जैसी अमानवीय घटनाओं को रोकने के लिए बने कड़े कानून का डर सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों से जुड़े लोगों को नहीं है।

भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा की घटना की निंदा

भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा (BSM) ने कहा कि हर दिन, हर घंटे महिलओं के साथ बलत्कार, अमानवीय घटनाएं, छेड़छाड़ आम बात हो गयी है और सरकार इसके खिलाफ़ काम करने में पूरी तरह नाकाम रही है। ऐसी घटनाए सिर्फ़ कड़े नियम कानून बनाने से ख़तम होने वाली नहीं है इसके लिए ज़मीनी स्तर पर काम करने के ज़रूरत है। राज्य मशीनरी से लेकर समाज में पितृसत्ता जड़ में व्याप्त है। पितृसत्ता के खात्मे की लड़ाई से ही हम इन घटनाओं से निजात पा सकते हैं।

रांची में महिला संगठनों ने किया प्रदर्शन

देश में बढ़ रहे महिला हिंसा के खिलाफ 16 अगस्त को रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर रांची के सभी महिला संगठनों और जागरूक नागरिक प्रतिवाद के द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया। विरोध प्रदर्शन में कहा गया कि एक तरफ देश में जब सत्ता पक्ष के द्वारा ही महिला हिंसा को करने वाले बाबाओं को जेल से रिहाई मिल रही है, वहीं दूसरी ओर देश में महिलाएं अपने कार्य क्षेत्र में भी सुरक्षित नहीं है। एक डॉक्टर जो हमेशा इमरजेंसी ड्यूटी में रहती है एक नर्स जो हमेशा इमरजेंसी ड्यूटी में रहती है इनके बलात्कार और हत्या की घटनाओं ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है, आज पूरा देश महिला हिंसा के खिलाफ सड़क पर नजर आ रहा है।

प्रदर्शन में मुख्य रूप से ऐपवा, एडवा, आदिवासी विमेंस नेटवर्क, नारी शक्ति क्लब, लोकतंत्र बचाओ आंदोलन, साझा मंच, भाकपा माले, सीपीआईएम सहित कई सामाजिक संगठनों ने हिस्सा लिया।

(विशद कुमार की रिपोर्ट)

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