पटना। भाकपा-माले की पोलित ब्यूरो की बैठक आज से पटना में शुरू हो गई है। बैठक में पार्टी महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य सहित सभी शीर्ष नेतागण भाग ले रहे हैं। बैठक में झारखंड और महाराष्ट्र चुनावों की समीक्षा जारी है।
भाकपा-माले ने पोलित ब्यूरो की बैठक से कहा है कि झारखंड में पूर्ववर्ती ‘मार्क्सवादी कोआर्डिनेशन कमिटी’ का भाकपा (माले) के साथ विलय और कॉमरेड एके रॉय तथा भाकपा (माले) आंदोलन की विरासत का एकजुट होना धनबाद-बोकारो क्षेत्र में भाजपा को पीछे धकेलने में महत्वपूर्ण साबित हुआ। झारखंड विधानसभा चुनाव में पहली बार गठबंधन का हिस्सा बनकर चुनाव लड़ते हुए भाकपा-माले ने केवल चार उम्मीदवार उतारे, जिसमें से एक सीट पर झामुमो से ‘मैत्रीपूर्ण मुकाबला’ भी हुआ।
पार्टी की पारंपरिक बगोदर सीट गंवाने के बावजूद, धनबाद जिले की दो सीटों – निरसा और सिंदरी – पर जीत हासिल करना एक बड़ी उपलब्धि रही। खासकर सिंदरी सीट को लगातार पांच चुनावों में हारने के बाद फिर से जीतना वामपंथ के पुनरुत्थान की संभावना को नया उत्साह देता है। यह झारखंड में कॉर्पाेरेट लूट और सांप्रदायिक नफरत के खिलाफ एक मजबूत भूमिका निभाने की दिशा में भी अहम कदम साबित हो सकता है।
महाराष्ट्र में वामपंथ ने दो सीटें जीतकर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। सीपीआइ (एम) ने पालघर जिले की दहानू (एसटी) सीट पर कब्जा बरकरार रखा, जबकि ‘पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी’ ने सोलापुर जिले की सांगोले सीट जीती।
यह जीत एमवीए गठबंधन से बाहर रहकर हासिल की गई। पश्चिम बंगाल के उपचुनावों ने वाम दलों की व्यापक एकता की संभावना को मजबूत किया, जहां सीपीआइ (एम) ने उत्तर 24 परगना जिले के नैहाटी औद्योगिक क्षेत्र की सीट पर भाकपा (माले) का समर्थन किया।
हालांकि, वामपंथ अपने खोए हुए चुनावी आधार को वापस पाने में अभी तक कामयाब नहीं हुआ है, लेकिन भाजपा के वोटों में गिरावट के साथ, वामपंथ को व्यापक एकता बनाने और लोगों के ज्वलंत मुद्दों पर आंदोलन खड़ा करने की कोशिश जारी रखनी चाहिए।
नवंबर के नतीजे लोकसभा के आसन्न शीतकालीन सत्र और भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के साथ-साथ ऐतिहासिक किसान आंदोलन की चौथी वर्षगांठ के ठीक पहले आए हैं। अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा अडानी समूह पर आरोप लगाए जाने से मोदी-अडानी भ्रष्ट गठजोड़ और भी बेनकाब हो गया है।
वामपंथी और ‘इंडिया’ गठबंधन को महाराष्ट्र चुनाव में हार से निराश नहीं होना चाहिए। इसके बजाय, उन्हें इस झटके से सबक लेना चाहिए और भारत के लोकतंत्र को बचाने के लिए उसपर जारी फासीवादी हमलों के खिलाफ लड़ाई को तेज करना चाहिए।
साथ ही, भारत के गहरे आर्थिक संकट के बीच, लोगों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए लगातार आवाज उठाते रहना होगा।
पोलित ब्यूरो की बैठक में पार्टी महासचिव के अलावा वरिष्ठ पार्टी नेता स्वदेश भट्टाचार्य, पश्चिम बंगाल से कार्तिक पाल व अभिजीत मजूमदार, यूपी से रामजी राय, बिहार से कुणाल, धीरेन्द्र झा, राजाराम सिंह, अमर, मीना तिवारी, शशि यादव, दिल्ली से रवि राय, संजय शर्मा, झारखंड से मनोज भक्त, जनार्दन प्रसाद, विनोद सिंह, हलधर महतो, वी. शंकर शामिल थे।
(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित)
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