भाखड़ा बांध की सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ को दिया जाना केंद्र सरकार का तानाशाही भरा कदम : संयुक्त किसान मोर्चा

संयुक्त किसान मोर्चा ने भाखड़ा बांध की सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ को सौंपने के केंद्र सरकार के कदम को तानाशाहीपूर्ण कदम बताया है, जो संवैधानिक संघीय ढांचे को कमजोर करता है तथा शक्तियों के केंद्रीकरण की प्रवृत्ति को और मजबूत करता है।

इस कदम की निंदा करते हुए एसकेएम ने पिछले कई दिनों से भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड द्वारा लिए गए एकतरफा प्रशासनिक निर्णयों को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के प्रत्यक्ष प्रभाव में पक्षपातपूर्ण निर्णय करार दिया है।

इस कार्रवाई के लिए बांध सुरक्षा अधिनियम को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए एसकेएम ने बांध सुरक्षा अधिनियम को निरस्त करने की मांग की है, जो राज्यों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है।

इतिहास गवाह है कि पंजाब और उसके पड़ोसी राज्यों के बीच नदी जल विवाद को हमेशा ही वैज्ञानिक सिद्धांतों के प्रकाश में गैर-भेदभावपूर्ण, तर्कसंगत और जन-हितैषी तरीके से हल करने के बजाय राजनीतिकरण किया गया है।

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड द्वारा पंजाब और हरियाणा के बीच वर्तमान जल विवाद भी भाजपा नीत केंद्र सरकार के छिपे हुए राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित है।

भूजल के गिरते स्तर और जल प्रदूषण के कारण उत्तर-पश्चिम भारत में जल संकट दिन-प्रति दिन गंभीर होता जा रहा है। इस संकट को हल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को बहुस्तरीय कार्य नीति बनाकर काम करने की जरूरत है।

एसकेएम ने जल संकट के मुद्दे को मौलिक रूप से संवर्धित करने, बर्बाद हो रहे वर्षा जल को संरक्षित करने और उसका समुचित उपयोग करने, नदियों और नहरों का वैज्ञानिक प्रबंधन करने, बाढ़ के पानी और जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान और विनाश के लिए बीमा कवरेज के साथ प्रभावी नियंत्रण की मांग की है।

एसकेएम जल वितरण विवादों को तर्कसंगत, गैर-भेदभावपूर्ण और लोगों के अनुकूल तरीके से तटवर्ती/वैज्ञानिक सिद्धांतों के प्रकाश में हल करने का पक्षधर है।

एसकेएम ने घटते भू-जल स्तर को पुनः प्राप्त करने के लिए वाटरशेड विकास और जल संचयन की नीति तैयार करने पर भी जोर दिया। एसकेएम ने जल, उर्वरकों और कीटनाशकों के पर्याप्त वैज्ञानिक उपयोग के साथ टिकाऊ, पर्यावरण के अनुकूल और विविध फसलों पर कृषि अनुसंधान और खेती को प्रोत्साहित करने की मांग की है। एसकेएम ने लोगों की खाद्य सुरक्षा से समझौता किए बिना स्वामीनाथन फार्मूले के तहत फसल खरीद की गारंटी के लिए कानून बनाने की आवश्यकता दोहराई।

एसकेएम ने बिना किसी भेदभाव या पूर्वाग्रह के जल संकट को हल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों पर दबाव बनाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है, और लोगों से अपील की है कि वे शासक वर्ग की पार्टियों, विशेषकर भाजपा की राजनीतिक चालों से सावधान रहें, जो पड़ोसी राज्यों के लोगों, विशेषकर किसानों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश कर रही हैं।

(मीडिया सेल, संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी।)

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