पहलगाम के आतंकियों के स्केच गलत, एनआईए ने खोली पोल!

ये जानकारी एनआईए से आई है कि गृहमंत्रालय ने जिन तीन आतंकियों के आनन फानन में स्केच जारी करवा कर सिंदूर आपरेशन की सफलता का दावा किया था। हालांकि वो दो माह बीत जाने के बाद पकड़े नहीं गए। वो एनआईए रिपोर्ट में गलत साबित हुआ। उसने स्पष्ट किया है कि इन तीनों का इस घटना से कोई सम्बन्ध नहीं था।स्केच देखकर लग ही रहा था कि ये वे वयस्क हत्यारे नहीं हैं ये तो उम्रदराज लोग हैं। सिंदूर आपरेशन के दौरान मारे गए लोगों और देशवासियों को गुमराह करने की इस साज़िश का पर्दा अब खुल चुका है।

एनआईए ने जब उन दो कश्मीरी परवेज़ और बशीर से बातचीत की जिसके घर के पास बनी झोपड़ी में वे ठहरे हुए थे स्केच देखकर उन्होंने सिरे से नकार दिया। वे उनके लश्करे तैयबा से जुड़े होने की बात कह रहे हैं। संभावित है उन्होंने परवेज़ और बशीर को धमकाने और डराने के लिए इस संगठन का नाम लिया हो। दोनों की सुरक्षा के लिहाज़ और शरण देने की वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। बताया गया है कि कुछ प्रत्यक्षदर्शी पर्यटक भी इन स्केचों से सहमत नहीं थे।

आखिरकार वो कौन सी वजह थी जिसके कारण तीन स्केच जबरिया कश्मीर के बेगुनाह लोगों को फंसाने के लिए जारी हुए। इससे यह बात साफ़ नज़र आती है कि अब तक हुए आतंकी हमले में जिन्हें पकड़ा जाता रहा है कहीं वे सब ऐसे ही सीधे सच्चे कश्मीरी तो नहीं। क्योंकि कश्मीरी मुसलमान को यह सरकार आतंकी ही मानती रही है और लगता है उनके दमन के लिए ही इसे केंद्र शासित राज्य बनाकर उसे गृहमंत्रालय के अधीन कर दिया गया‌। अब शाह जी और राज्यपाल सिन्हा जी की मर्जी से ही यहां सब कुछ होता है।

इससे पहले हुए पुलवामा में मारे गए सैनिकों को जिस आरडीएक्स से उड़ाया गया वह सुरक्षित क्षेत्र में पहुंचना मुश्किल था यह संभव कैसे हुआ उसकी साज़िश किसने की और चुनाव में उसका फायदा किसने लिया ये सब जानते हैं। इसीलिए आजतक उसके कथित आतंकियों के नाम सामने नहीं आए। पहलगाम भी प्रायोजित ही लगता है क्योंकि इस दुर्दांत घटना के पहले शाह जी वहां की सुरक्षा स्थिति पर विमर्श करते हैं। पहलगाम की बेसरन से सुरक्षा बल हटाया जाता है। तैनात चार संदिग्ध आतंकवादी धर्म पूछकर 26 पुरुषों को मशीनगन से उड़ा देते हैं। इनमें तीन मुस्लिम कश्मीरी भी शामिल हैं जिन्होंने पर्यटकों की सुरक्षा में अपनी जान गंवाई। उनकी याद पर्यटक करते हैं गृहमंत्रालय ने उन्हें पूछा तक नहीं।

ऐसा पहली बार हुआ है कि तड़पती पत्नियों को छोड़ दिया गया। आतंकियों का कभी ऐसा आचरण सामने नहीं आया है। इसलिए आज भी उनके आतंकी होने पर शक है। वे तो पालित पोषित सुपारी किलर की तरह काम किए। उनका सुरक्षित होना या वहां से निकल जाना भी संदेहास्पद है। यह गृहमंत्रालय की पुलिसिंग की भारी असफलता का उदाहरण है।

अब सवाल का उत्तर गृहमंत्री के पाले में है लेकिन वे फिलहाल जवाब देने की स्थिति में नहीं हैं। एनआईए की यह जानकारी गृहमंत्रालय पर कलंक है।वे शर्मिंदा नहीं हैं और ठाठ से हुकूमत कर रहे हैं।

(सुसंस्कृति परिहार लेखिका और एक्टिविस्ट हैं।)

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