एंटी सीएए-एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी के खिलाफ वाराणसी में विरोध।

एंटी सीएए एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी के खिलाफ देशव्यापी प्रतिरोध; प्रदर्शन और धरना देकर लोगों ने दिखायी एकजुटता

नई दिल्ली। देशभर में आज एंटी सीएए एक्टिस्टों की गिरफ्तारी और उनके उत्पीड़न के खिलाफ विरोध दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीके से विरोध- प्रदर्शन हो रहा है। लखनऊ और वाराणसी में वाम-जनवादी संगठनों से जुड़े लोगों ने प्लेकार्ड लेकर अपने घरों में विरोध दर्ज किया। जबकि कुछ जगहों पर लोग सड़कों पर भी उतरे।

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=3190340347692184&set=a.1144915062234733&type=3&theater

आपको बता दें कि सीएए विरोधी एक्टिविस्टों को केंद्र सरकार और खासकर दिल्ली पुलिस ने निशाना बनाया हुआ है। और कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ यूएपीए जैसा काला कानून भी लगा दिया गया है। इसमें दिल्ली में जामिया की सफूरा जरगर से लेकर जेएनयू के पूर्व छात्र नेता खालिद उमर तक कई नाम शामिल हैं। सबसे हालिया गिरफ्तारी देवांगना कलिता और नताशा नरवल की है।

https://www.facebook.com/kusum.verma.146/posts/3190377091021843

ये दोनों जेएनयू की छात्राएं हैं और पिंजरा तोड़ संगठन से ताल्लुक रखती हैं। नताशा पर तो दिल्ली पुलिस ने यूएपीए लगा दिया है लिहाजा उनके नजदीक जमानत मिलने की अब कोई संभावना नहीं दिख रही है। लेकिन देवांगना को अदालत से जब जमानत मिल रही है तो पुलिस गिरफ्तार कर उन्हें दूसरे केस में जेल में डाल दे रही है। अभी तक 12 दिनों के भीतर उनकी तीन बार इस तरह से गिरफ्तारी हो चुकी है।

https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=592201441419896&id=100018901355445

दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली पुलिस को मानवाधिकारों का भी रत्ती भर ख्याल नहीं है। सफूरा जरगर तीन महीने के गर्भ से हैं। और इस समय जबकि देश में कोरोना का प्रकोप है और जेलें संक्रमण के लिहाज से सर्वाधिक खतरे वाली जगह मानी जा रही हैं तब पुलिस और प्रशासन इनकी जानों से खेल रहा है। और वह तब जबकि अदालतों ने सरकार को निर्देश दे रखा है कि जेलों में बंद लोगों को जमानत या फिर पैरोल पर रिहा कर इस खतरे की आशंका को बिल्कुल कम किया जाए।

https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=592221088084598&id=100018901355445

आज इस मौके पर ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव और एक्टिविस्ट कविता कृष्णन ने फेसबुक के जरिये संबोधित करते हुए सरकार के दोहरे रवैये की निंदा की। उन्होंने कहा कि सरकार उन लोगों को गिरफ्तार कर रही है जो लोग संविधान, कानून और न्याय की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरे और सरकार द्वारा देश में लोकतंत्र के खात्मे की कोशिश का विरोध जिनका बुनियादी संकल्प था। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने दिल्ली में दंगे को न केवल प्रायोजित किया बल्कि उसकी अगुआई की वो सभी खुलेआम घूम रहे हैं और आज भी पहले की तरह जहर उगल रहे हैं। उन्होंने कहा कि एंटी सीएए एक्टिविस्टों के साथ लोगों की एकजुटता प्रदर्शित करने का यह पहला प्रयास है और लॉकडाउन खुलने के बाद इस संघर्ष को और तेज किया जाएगा।

https://www.facebook.com/kavita.krishnan/posts/10221765884397897

आपको बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगा भड़कने के पीछे बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का सीधा हाथ सामने आया था। पूरे देश ने उस तस्वीर को देखा था जब जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास हो रहे एंटी सीएए धरने पर उनके नेतृत्व में हमला किया गया था और फिर उसी उकसावे के बाद पूरे इलाके में दंगा भड़क गया था। इस मामले का दिल्ली हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लिया था। और उसने दिल्ली पुलिस को इस बात के लिए तलब किया था कि ऐसा भड़काऊ भाषण देने वाले शख्स को आखिर गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। हालांकि उसी बीच, केस देखने वाले जज जस्टिस मुरलीधर का चंडीगढ़ हाईकोर्ट मे तबादला कर दिया गया। जिससे मामला वहीं का वहीं रुक गया।

दिलचस्प बात यह है कि सीएए विरोधी आंदोलनों में हिस्सा लेने वाले कार्यकर्ताओं को अब इसी दंगे से जोड़ दिया जा रहा है। जबकि उनका इससे कहीं दूर-दूर तक कुछ लेना देना नहीं था। जामिया और दिल्ली विश्वविद्यालय तथा जेएनयू में सीएए के खिलाफ आंदोलन करने वाला भला कैसे नार्थ-ईस्ट के दंगे से जुड़ जाएगा। लेकिन सरकार के पास उनको फंसाने का जब कोई दूसरा विकल्प नहीं मिल रहा है तो दिल्ली दंगा सबसे आसान रास्ता बन गया है और यूएपीए मुफ्त की धारा।  

https://twitter.com/ChaubeSaroj/status/1268116970236456960
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10216276020988893&set=a.10202166722625252&type=3&theater
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments