प्रतीकात्मक फोटो।

भारत के कई पूर्व सैन्य अफसरों न उठाया मोदी के बयान पर सवाल

कर्नल अजय शुक्ला : क्या हमने नरेन्द्र मोदी को आज टेलिविज़न पर भारत-चीन की सीमा रेखा को नए सिरे से खींचते हुए नहीं देखा? मोदी ने कहा कि भारत की सीमा में किसी ने अनुप्रवेश नहीं किया। क्या उन्होंने चीन को गलवान नदी की घाटी और पैंगोंग सो की फ़िंगर 4-8 तक की जगह सौंप दी है, जो दोनों एलएसी में हमारी ओर पड़ते हैं, और जहां अभी चीनी सेना बैठ गई है? मोदी यदि आज कहते हैं कि भारत की सीमा में किसी ने भी अनुप्रवेश नहीं किया है तो फिर झगड़ा किस बात का है ? क्यों सेना-सेना में संवाद हो रहा है, क्यों कूटनीतिक बातें चल रही है, सेनाओं के पीछे हटने का क्या मायने है, क्यों 20 सैनिक मारे गए?

भारत के 20 सैनिकों ने भारत की सीमा में घुस आए अनुप्रवेशकारियों को पीछे खदेड़ने के लिये अपने प्राण गँवाए हैं । लेकिन मोदी कहते हैं कि भारत की सीमा में कोई आया ही नहीं । तब उन सैनिकों ने कहाँ जान गँवाई ? क्या मोदी चीन की बात को ही दोहरा रहे हैं कि उन्होंने चीन में अनुप्रवेश नहीं किया था ?

लेफ़्टिनेंट जनरल प्रकाश मेनन : मोदी ने समर्पण कर दिया है और कहा है कि कुछ हुआ ही नहीं है । भगवान बचाए ! उन्होंने चीन की बात को ही दोहरा कर क्या राष्ट्रद्रोह नहीं किया है ? इसमें क़ानूनी/ संवैधानिक स्थिति क्या है । कोई बताए !

मेजर जनरल सैन्डी थापर : तो, न कोई अतिक्रमण हुआ और न किसी भारतीय चौकी को गँवाया गया ! हमारे लड़के चीन की सीमा में घुसे थे उन्हें ‘खदेड़ने’ के लिए ? यही तो पीएलए कह रही है । हमारे बहादुर बीस जवानों के बलिदान पर, जिनमें 16 बिहार के हैं, महज 48 घंटों में पानी फेर दिया गया ! शर्मनाक !

मेजर बीरेन्दर धनोआ : क्या हम यह पूछ सकते हैं कि ‘मारते-मारते कहाँ मरे ?’

मेजर डी पी सिंह : प्रधानमंत्री को सुना । मेरे या किसी भी सैनिक के जज़्बे को कोई नुक़सान नहीं पहुँचा सकता है । मैंने सोचा था वे उसे और ऊँचा उठायेंगे । मैं ग़लत सोच रहा था ।

(वरिष्ठ लेखक अरुण माहेश्वरी के जरिये आज के ‘टेलिग्राफ़’ से।)

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