प्रतीकात्मक फोटो।

यूपी में कोरोना : 3 हफ्ते में बिगड़े हालात, टेस्टिंग डबल होते ही दुगुने हुए मामले

देश में कोरोना की रैंकिंग में उत्तर प्रदेश पांचवें नंबर पर आ खड़ा हुआ है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने 10 जुलाई की रात 10 बजे से तीन दिन के लिए लॉकडाउन बढ़ाने का फैसला किया है मगर इसे लॉकडाउन कहने से सरकार बच रही है। योगी सरकार का कहना है कि यह बस नियमों को सख्त करने जैसा है। वैसे, नाम चाहे जो दें मगर इन तीन दिनों में पूरे प्रदेश में सब्जी और राशन की दुकानों के अलावा सब कुछ बंद रहेगा। सवाल ये है कि तीन दिन के इस ‘लॉकडाउन’ से क्या यूपी में कोरोना संक्रमण की स्थिति में फर्क पड़ेगा? 

दो आंकड़ों पर गौर करें- 

एक, 18 जून तक यूपी में 5 लाख 15 हजार से ज्यादा कोरोना टेस्ट हो चुके थे। 10 जुलाई को यह संख्या बढ़कर 10, 74, 112 हो चुकी है। 

दूसरा, 18 जून को 15 हजार 785 कोरोना के मरीज थे। यह 10 जुलाई आते-आते 33 हजार 700 पार कर चुका है। 

ये दोनों आंकड़े बताते हैं कि कोरोना की टेस्टिंग दुगुनी हुई तो कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या भी दुगुनी से ज्यादा बढ़ गयी। यही आंकड़े उत्तर प्रदेश की उस खुशफहमी को भी तोड़ते हैं कि सबसे बड़ी जनसंख्या वाला प्रदेश होकर भी यहां कोरोना का संक्रमण दूसरे प्रदेशों के मुकाबले कम रहा। उत्तर प्रदेश ने जिन प्रदेशों को कोरोना संक्रमण के मामले में पीछे छोड़ा है उन प्रदेशों में शामिल हैं राजस्थान, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और कर्नाटक। 

इस तथ्य के बावजूद कि 18 जून के बाद 21 दिनों में यूपी में टेस्टिंग दुगुनी हुई है, यह आबादी के हिसाब से उन राज्यों की तुलना में बहुत कम है जिन्हें कोरोना संक्रमण में यूपी ने पीछे छोड़ा है। उपरोक्त तालिका में प्रति दस लाख आबादी पर टेस्टिंग में यूपी केवल तेलंगाना से आगे है। 

पश्चिम बंगाल से तुलना करें तो उत्तर प्रदेश मौत के मामले में संख्यात्मक नजरिए से उसके बराबर है। मगर, कोरोना के मामले में यूपी से पश्चिम बंगाल महज 6 हजार कम है। आबादी चूंकि प. बंगाल की 10 करोड़ से कम है और यूपी में करीब साढ़े 22 करोड़, इसलिए निश्चित रूप से यूपी की स्थिति पश्चिम बंगाल से बेहतर कही जा सकती है। मगर, जैसे ही टेस्टिंग की दर की हम बात करते हैं तो यूपी को यह फायदा वापस लेना पड़ जाता है। यूपी के मुकाबले पश्चिम बंगाल में प्रति 10 लाख आबादी पर करीब 2000 टेस्टिंग अधिक हुई है। 

उत्तर प्रदेश में 18 जून को कोरोना से मौत की संख्या 488 थी। 10 जुलाई को 889 हो गयी। यानी दुगुने से थोड़ा कम। इस तरह जो उपलब्धि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिहाज से यूपी ने हासिल की थी, उस पर बीते तीन हफ्ते में या सटीक कहें तो 22 दिन में पानी फिर गया है। 

यूपी में पहली बार 10 हजार कोरोना संक्रमण का आंकड़ा 6 जून को पहुंचा था। 25 जून को दूसरा 10 हजार जुड़ गया। इस तरह 20 दिन लगे दुगुना होने में। यह बाकी राज्यों के मुकाबले बेहतर स्थिति थी। मगर तीसरे 10 हजार का आंकड़ा यूपी ने 8 जुलाई को हासिल कर लिया। इस तरह महज 13 दिन में यह संक्रमण फैला। यही वास्तव में योगी सरकार के लिए चिंता का विषय है। अब संक्रमण तेज होने का खतरा वास्तविक रूप में यूपी को डराने लगा है। 

यूपी में एक्टिव केस का बढ़ना भी चिंता का विषय है। इसकी संख्या वर्तमान में 11,024 है। 22 दिन पहले एक्टिव केस 5,659 था। यूपी में एक दिन में टेस्टिंग की संख्या 38 हजार पार कर गयी है। टेस्टिंग बढ़ने का ही नतीजा है कि जहां बीते महीने कोरोना मरीजों की संख्या में दैनिक बढ़ोतरी साढ़े पांच सौ के स्तर पर हो रही थी, वहीं अब जुलाई में प्रतिदिन 1100 पार कर गयी है। हालांकि यूपी सरकार ने टेस्टिंग की दर बढ़ाकर कोरोना की ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट प्रक्रिया को बेहतर किया है, मगर आने वाले समय में कोरोना के संक्रमण की रफ्तार के मुकाबले सुविधाएं जुटाने की चुनौती योगी सरकार को रहेगी। सप्ताहांत लॉकडाउन के लौटने से स्थिति में आने वाले फर्क पर सबकी नजर रहेगी। इसके नतीजे के हिसाब से ही योगी सरकार आगे कदम बढ़ाने वाली है।

(प्रेम कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल आप को विभिन्न चैनलों के पैनल में बहस करते देखा जा सकता है।)

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